कोरबा@M4S:चार साल में 4 बार बिजली दर बढऩे के बाद अब बिल में सुरक्षा निधि की राशि जुडऩे से लोगों की जेब पर भार बढ़ गया है। बिजली के दाम 13 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए हैं। इससे हजार के बिजली बिल पर सालभर का 2 हजार सुरक्षा निधि के नाम पर लिया जा रहा है। अक्टूबर से दिसंबर महीने के बिल में सुरक्षा निधि वसूली से जिलेभर में खलबली मच गई है। हर किसी को बिल एक हजार से 5 हजार तक ज्यादा लग रहा है। इसकी ढेरों शिकायतें हर दिन बिजली दफ्तर में पहुंच रही है।
दरअसल बिजली कंपनी सालभर के बिल को जोड़कर दो माह के औसत बिल के बराबर सुरक्षा निधि जमा रखती है। दो साल पहले की जमा की तुलना में अब औसत बिल बढ़ गए हैं। इसलिए बैलेंस राशि अक्टूबर महीने के बिल में जोड़ी गई है, जिससे हर किसी का बिजली बिल बढ़ गया है। कोरोना की वजह से दो साल तक कंपनी ने सुरक्षा निधि की राशि का रिवाइज नहीं किया था। इसे रिवाइज कर बैलेंस राशि बिल में जोड़कर भेजी तो मध्यम वर्गीय परिवार को उनका बिल लगभग दोगुना लगने लगा ।बिजली अफसर शिकायत लेकर पहुंचे लोगों को बता रहे हैं कि सुरक्षा निधि रिवाइज हुई है और इसलिए बची रकम उपभोक्ताओं से ली जा रही है। इसलिए बिल थोड़ा अधिक लग रहा है। यह सुरक्षा निधि कंपनी के पास उपभोक्ताओं की अमानत है। कनेक्शन कटने पर यह लौटाई जाएगी। कंपनी इस रकम पर लोगों को 4.25 फीसदी सालाना दर से ब्याज भी देगी, जो बिल में एडजस्ट किया जाएगा।बिजली कंपनी नया कनेक्शन देने के साथ ही लोगों से सुरक्षा निधि जमा करवा लेती है। यह सुरक्षा निधि दो महीने के औसत बिजली बिल होती है। पिछले सालभर की खपत के आधार पर दो महीने का औसत बिल कंपनी के पास जमा रहना चाहिए। इसमें कमी होने पर बिजली कंपनी रिवाइज कर अतिरिक्त रकम वसूलती है। बिजली कंपनी ने पिछले दो साल इसे रिवाइज नहीं किया। यानी कंपनी के पास दो साल पहले का सुरक्षा निधि जमा है।
क्या है सुरक्षा निधि
सुरक्षा निधि के रूप में बिजली कंपनी अपने पास कुछ रकम जमा करके रखती है। यह इसलिए किया जाता है, क्योंकि बिजली कंपनी लोगों को पहले बिजली बेचती है। उसके बाद उसकी कीमत वसूलती है। मीटर रीडिंग होने और उसके बाद कंपनी तक बिल का भुगतान होने में डेढ़ से दो महीने लगते हैं। इसके बाद यदि किसी ने बिल नहीं जमा किया तो कंपनी को नुकसान होता है, जिसे कंपनी इसी सुरक्षा निधि से एडजस्ट करती है।