कोरबा@M4S:हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तवित कोल खनन परियोजनाओं के खिलाफ आज मोरगा में सम्मेलन हुआ जिसमें ग्रामीणों ने कहा किसी भी कीमत पर हम अपने जंगल जमीन का विनाश होने नही देंगे। हमारा गांव संविधान की पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में शामिल हैं और पेसा कानून के तहत बिना ग्रामसभा सहमति के भूमि अधिग्रहण नही हो सकता, लेकिन केंद्र सरकार का कोयला मंत्रालय खनन कंपनियों के दवाब में जबरन भूमि अधिग्रहण की कोशिश कर रहा हैं। सम्मेलन में एक स्वर में प्रस्तावित परसा , पतुरिया गिड़मूड़ी और मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक को निरस्त करने की मांग को दुहराते हुए आगामी दिनों में रायपुर तक पदयात्रा का निर्णय लिया गया।
सम्मेलन में पोड़ी जनपद अध्यक्ष संतोषी पेन्द्रों, वरिष्ठ किसान नेता आनंद मिश्रा, नंदकुमार कश्यप जिला किसान संघ राजनादगांव से सुदेश टीकम, कोरबा से दीपक साहू छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला सहित 10 पंचायतों के सरपंच और जनपद सदस्य भी शामिल हुए।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रमेश मंझवार सरपंच केंदई ने कहा कि हम अपना जल जंगल और ज़मीन बचाने के लिए संकल्पित है हम अपने क्षेत्र में २०१५ से खदानो के विरोध में प्रस्ताव कर राज्य एवं केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा है फिर भी सरकार हमारे पाँचवी अनुसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा से परामर्श किए खदानो को आबंटित कर दिया है जिसका हम विरोध करते आए है ओर आगे भी करेंगे ।
पोड़ी-उपरोडा के जनपद अध्यक्ष – संतोषी पेंदरो – हमारे क्षेत्र के भोले भाले आदिवासियों को झूठे प्रलोभन देकर यहाँ कम्पनी कोयला खदान पर नज़र गाड़े हुए है । परंतु हम अपनी ज़मीन को नहीं छोड़ेंगे मैं आपके आंदोलन के साथ हूँ । जनपद स्तर पर हम इस कोल ब्लॉक का पुरज़ोर विरोध करेंगे।
ज़िला किसान संघ के सुदेश टेकाम ने कहा आप अपने संघर्ष को इसी तरह आगे बढ़ाए । किसान ओर मज़दूर को अपनी लड़ाई साथ मिल कर लड़ना है । नंद कश्यप ने कहा कि ये जंगल हमारा है, ये ज़मीन हमारी है लेकिन हमको ये समझना पड़ेगा कि सरकार झूट बोलकर हमको कैसे लड़वाती है । आज इस देश में बिजली के नाम से सरकार जंगल उजाड़ना चाहती है लेकिन यही कोरबा में २ ऐसे पावर प्लांट है जो चालू नहीं हो पाए ओर आज उनको कोई ख़रीदने वाला भी नहीं है । केंद्र की सरकार ने बिजली अध्यादेश लाया है अब पूरे देश में बिजली की सब्सिडी ख़त्म करने वाली है । ये केंद्र की बेईमान सरकार अड़ानी ओर अम्बानी के लिए काम कर रही है । हसदेव का पूरा कोयला अड़ानी के हाथों में देने की तैयारी है
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की पिछले १० सालो के संघर्ष का नतीजा है कि आज भी इस क्षेत्र में खनन शुरू नही हो पाया और कमर्सियल माइनिंग की नीलामी से 5 कोल ब्लॉक हटाये गए । हमारी लड़ाई इस जंगल के साथ साथ छत्तीसगढ़ को बचाने की लड़ाई है । उन्होंने कहा कि खनन प्रभावित क्षेत्रो में वनाधिकार कानून के तहत अधिकार पत्रक नही दिए जा रहे हैं जो पूर्णतः गलत हैं। जब तक वनाधिकार कानून की मान्यता की प्रक्रिया पूरी नही होती तब तक किसी भी वन भूमि का डायवर्सन नहीं हो सकता
आनंद मिश्रा ने कहा कि कोरोना से जब देश दुनिया मे सब काम बंद हो गया लेकिन हम यह जंगल मे अपने खेत मे काम कर रहे थे । इसलिए हम कहते है जल जंगल जमीन हमारा है इसी जंगल ने आज हमको कोरोना जैसी महामारी से बचाया है और ये सरकार इस जंगल को उजाड़ने में लगी है । हमारा हसदेव का जंगल ऑक्सीजन की फैक्ट्री है और इसी जंगल को कोयला बिजली के लिए ये सरकार काटना चाहती है,गांव बचेगा तो देश बचेगा ।