कोरबा@M4S: एसईसीएल कुसमुंडा विस्तार पर ग्रामीणों के लामबंदी से रोड़ा अटक गया है। कंपनी के नियम व शर्तों को अस्वीकार करते हुए ग्राम पाली के ग्रामीणों ने अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया है। जिसे लेकर उन्होंने कलेक्टर से शिकायत करते हुए मांग पूरी करने गुहार लगाई है।
एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के लिए ग्राम पंचायत रिसदी, खैरभवना के अधिनस्थ ग्राम पड़निया एवं ग्राम पंचायत पाली के अधिनस्थ ग्राम सोनपुरी के अधिग्रहण की प्रक्रिया जून 2009 में की गई थी। नवंबर 2009 में धारा 7(1) एवं मार्च 2010 में धारा 9 (1) व नवंबर 2010 में धारा 11 का प्रकाशन किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि उनके स्वामी हक की भूमि की खरीदी बिक्री पर प्रारंभिक प्रक्रिया से रोक लगा दी गई। मुआवजा राशि के रूप में प्रति एकड़ 6 से 8 लाख एवं सिंचित भूमि के एवज में 10 लाख की जानकारी दी गई। ग्रामीणों ने बताया कि आज के समय में प्रबंधन के द्वारा 10 वर्ष पुराने बाजार दर में गुपचुप तरीके से केवल ग्राम पाली के भूस्वामियों को मुआवजा प्रदान किया जाना न्यायसंगत नहीं है। प्रबंधन के द्वारा अधिग्रहित भूमि के एवज में घटते क्रम में रोजगार पाने के लिए कम से कम 60-70 डिसमिल भूमि अनिवार्य हो गया। प्रबंधन के उक्त नियम एवं शर्त से उससे कम भूमि वाले कृषक रोजगार से वंचित हो जाएंगे। वर्षों से प्रदूषण के कारण वे किसी भी प्रकार की फसल का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। जलस्त्रोतों का स्तर काफी नीचे चला गया है। खदान आज गांव के समीप ही पहुंच चुका है। हैवी ब्लास्टिंग के कारण मकानों में दरारें आ रही है। ग्राम पंचायत पाली के ग्रामीणों ने इस संबंध में कलेक्टर को अपनी व्यथा सुनाई है। उनका कहना है कि प्रबंधन के नियम व शर्त के आधार पर वे जमीन देने सहमत नहीं है।