बच्चों के साथ पहली बार एनआरसी पहुची मंझुवार महिलाओं ने सराहा योजना को
कोरबा@M4S:कभी आसपास के नदी तालाब में मछली पकड़ने तो कभी जंगल में वनोपज संग्रहण कर पूरा दिन गांव में ही बिताने वाली गरीब मंझुवार महिलाओं को भी अब शासन प्रशासन की योजनाओं की जानकारी होने लगी है। कुछ साल पहले तक पैदा होने वाले बच्चों का इलाज बीमारी में ही कराने वाली अनेक महिलाओं को अब कुपोषण की बात भी समझ आने लगी है। वे समझने लगी है कि जन्म के कुछ साल बाद उनके बच्चों को जरूरी पोषण आहार नही मिला तो बच्चें शारीरिक रूप से कमजोर तो होंगे ही,इसका दुष्परिणाम भी हो सकता है। शायद यही वजह से कि जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में इन दिनों शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूर ग्राम नकिया के मंझुवार बस्ती से एक या दो नही 6 अलग-अलग बच्चों की मातायें न सिर्फ पहुंची हुई है, गांव और घर की परवाह न करते हुये बच्चों की बेहतर सेहत की खातिर यहा मिलने वाली स्पेशल डाइट,प्रोटीन एवं विटामिन से युक्त पूरक पोषण आहार बच्चों
को खिला पिला रही है। अभी इन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में 8 दिन ही हुये है।
प्रतिदिन डाक्टरों की जांच और हलवा,खिचड़ी,दलिया,रोटी,दूध सहित विशेष रूप से कुपोषित बच्चों के सेहत सुधारने तैयार की गई आहार ने बच्चों के शारीरिक कमजोरी को भी दूर करना शुरू कर दिया है। कुपोषण की वजह से अपनी मां के गोद में चिपके रहने वाले कई बच्चें सेहतमंद बनकर यहा झूले,खिलौने से मन बहलाने के साथ धमाचैकड़ी भी करने लगे है। एक अलग ही दिनचर्या और विपरीत माहौल मंे पले-बढ़े मंझुवार बच्चों और उनकी माताओं को शासन प्रशासन द्वारा सभी सुविधाओं के साथ शुरू किया गया पोषण पुनर्वास केंद्र रास आ रहा है।
बच्चे देश के भविष्य है। जब वे शारीरिक रूप से सक्षम और स्वस्थ होंगे
तो देश के विकास में उनका योगदान होगा। शायद यही सोच प्रदेश के मुख्यमंत्री
डाॅ रमन सिंह की भी है। प्रदेश के बच्चं कुपोषण के शिकार न हो इसके लिये
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रो में अमृत योजना
प्रारंभ कर गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने की दिशा में कदम उठाया गया
है। कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने की दिशा में सभी जिलें एवं विकासखंड स्तर
पर प्रारंभ पोषण पुनर्वास केंद्र का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
कोरबा जिले के जिला अस्पताल में भी पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित है। इस
केंद्र में शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूर कोरबा विकासख्ंड के ग्राम नकिया जैसे वनांचल गांव की महिलायें भी अपने बच्चों के साथ रह रही है। पहली बार शहर आई सुहाना बाई ने बताया कि जांच के बाद उसके बच्चें को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल करने कहा पहुची। यहा पर उसके बेटे विनय को सुबह शाम पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। सुहाना बाई ने बताया कि बिनय उसका पहला बच्चा है वह कैसे कुपोषण का शिकार हो गया यह नही मालूम,लेकिन डाक्टरों ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में रहकर कुछ दिन में ही तंदरूस्त हो जायेगा। यहा कुछ दिन में खान पान से फर्क पड़ा है। मंझुवार समुदाय की सुहाना बाई ने बताया कि वह कभी शहर नही आई थी। उसका पूरा दिन जंगल में बीत जाता है। यहा इतनी सुविधाओं के साथ रहने में कुछ संकोच तो हुआ था,लेकिन बच्चे की सेहत के लिये शासन की योजना का लाभ उठा रही है। अपने 17 माह के बच्चे कृष्ण कुमार को लेकर एनआरसी पहुंची फूलकुवंर, 14 माह के राजेश के साथ आई पवारो बाई,11 माह के गोपाल और दीपक के साथ पहुंची सुखबाई ने बताया कि एनआरसी में सुबह,दोपहर और शाम को पौष्टिक आहार दिया जाता है। रोजाना चिकित्सक भी आते है और बच्चों का जांच करते है। राजकुमारी की माता राम बाई ने बताया कि यहा के खाना से सेहत में सुधार हो रहा है। सुख बाई ने बताया कि केंद्र में बच्चों के लिये खिलौने भी है। उसने बताया कि बच्चों की माताओं को भी यहा नियमित खाना मिलता है। उसने कहा कि अपना गांव और घर तो सबको अच्छा ही लगता है लेकिन जब इतनी सुविधाये उसके बच्चों के लिये निःशुल्क में शासन द्वारा दी जा रही है तो गरीब परिवारों को इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिये। उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले के सभी 5 विकासख्ंाड में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन किया जा रहा है। जिसमें अप्रेल 2015 से मार्च 2016 के बीच 1141 बच्चों को पोषण आहार देकर स्वास्थ लाभ दिया गया। अप्रेल 2016 से मई 2016 तक 186 बच्चे लाभान्वित
हुये है।
कुपोषण से डरने की नही जरूरत,पोषण पुनर्वास केंद्र में सुधर रही सेहत
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