नई दिल्ली(एजेंसी):कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले पनामा में कई भारतीयों द्वारा विभिन्न कंपनियों में धन लगाने के सनसनीखेज खुलासे पर सरकार ने सोमवार को इस पूरे मामले पर एक बहु-पक्षीय एजेंसी समूह का गठन किया है। यह समूह पनामा की एक विधि फर्म के लीक हुए दस्तावेजों की सूचनाओं पर लगातार निगरानी करेगा।
अनुपालन खिड़की नहीं जाने वालों को खिलवाड़ महंगा पड़ेगा
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने समूह के गठन की घोषणा करते हुए कहा है कि जिन लोगों ने विदेशों में अपनी अघोषित आय व संपत्तियों का हिसाब देने के लिए सरकार की ओर से गतवर्ष उपलब्ध कराए गए मौके (अनुपालन खिड़की) का लाभ नहीं उठाया। उन्होंने यह खिलवाड़ बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पनामा के खुलासे पर आज सुबह उनसे बात की और उनकी सलाह पर एजेंसियों का समूह गठित किया गया है। इसमें कंेद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की वित्तयी आसूचना इकाई (एफआईयू) के अधिकारी शामिल हैं। याद रहे कि लाखों की संख्या वाले इन दस्तावेजों में कम से कम 500 भारतीयों के नाम भी बताए गए हैं जिनमें फिल्म कलाकार और उद्योगपति शामिल हैं।
मौजूदा कानूनों के तहत होगी सख्त कार्रवाई
जेटली ने कहा कि गठित किया गया समूह इस मामले की लगातार निगरानी करेगा और जो भी खाते अवैध पाए जाएंगे, उन पर मौजूदा कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। वित्त मंत्री जेटली का यह बयान एक अंग्रेजी अखबार में इस संबंध में आई रपट के बाद आया है। यह रपट पनामा की विधि सेवा फर्म मोसैक फोंसेका के लीक हुए दस्तावेजों पर आधारित है जिसमें यह भी दावा किया गया है कि भारतीय नामों से संबद्ध मामलों में 234 व्यक्तियों के न्यासों, संस्थानों व पासपोर्ट का ब्यौरे सामने आए हैं। यह सारा ब्यौरा खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क इंटरनेशलन कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्टस (आईसीआईजे) ने जारी किया है। इसमें आईसीआईजे ने कहा है कि इनमें बहुत से मामले विदेशी कंपनियों के वैध इस्तेमाल के भी हो सकते हैं।
खुलासे की सूचनाओं का यह चौथा मामला
जेटली खुलासे का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह की सूचनाओं का यह चौथा मामला है। उन्होंने कहा कि सबसे पहला मामला लिचेंस्टाइन के खातों का था। सभी के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई पहले ही शुरू की जा चुकी है और आय के आकलन का आदेश भी दिया जा चुका है। इसके बाद 2011 में एचएसबीसी बैंक के खाताधारकों का मामला सामने आया। इनमें 569 खाताधारकों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 390 अवैध थे इनमें 154 में अभियोग दायर किया जा चुका है। लगभग 6500 करोड़ रूपये की अवैध धन संपत्ति का पता लगा है। इन मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। जेटली ने कहा कि आईसीआईजे ने 2013 में 700 लोगों की सूची प्रकाशित की जिसका विश्लेषण किया गया था। इसमें से 434 भारतीय इकाइयों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 184 ने इन खातों के साथ अपने संबंध स्वीकार किए हैं और ऐसे मामलों में आकलन व अभियोजन की कार्रवाई चल रही है। आयकर अधिकारी अब तक 52 अभियोग पत्र दायर कर चुके हैं।
विदेशों में जमा अवैध धन भारत लाने को प्रतिबद्ध सरकार
वित्त मंत्री जेटली कहा कि केंद्र सरकार विदेशों में जमा अवैध धन को भारत लाने को प्रतिबद्ध है। खोजी पत्रकारों द्वारा निकाली गई सूचनाओं का स्वागत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आईसीआईजे की पिछली सूची में वित्तीय लेनदेन व बैंक खातों की जानकारी नहीं थी पर सरकारी जांच में संबंधित भारतीयों के खातों में 2000 करोड़ रूपये से अधिक की अघोषित संपत्ति का पता लगा था। जेटली ने कहा कि आज के खुलासे के बाद आने वाले दिनों में कुछ और नाम भी आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी राय में यह एक अच्छी बात है कि इस तरह के पर्दाफाश किए जा रहे हैं। मैंने बार-बार कहा है कि दुनिया अब पहले से अधिक पारदर्शी हुई है, सरकार अब एक दूसरे के साथ सहयोग कर रही हैं और विभिन्न वैश्विक पहलों के बाद अब धीरे-धीरे ऐसी सारी सूचनाएं सामने आती रहेंगी।