कोरबा@M4S; बिजली कर्मियों के स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े कई अहम बदलाव किए गए हैं। रेफरल, गंभीर बीमारी, इलाज के बाद राशि के भुगतान से लेकर इमरजेंसी में इलाज के लिए भी अब राशि का प्रावधान किया गया है। कंपनी ने इस सम्बंध में आदेश भी जारी कर दिया है।
फिजियोथैरेपी और डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए अब रेफरल की बाध्यता नहीं होगी।
वर्तमान में बिजली कर्मियों के लिए जिले में दो अस्पताल संचालित हैं, कोरबा पूर्व व एचटीपीपी में संचालित अस्पतालों में बिजली कर्मियों व उनके परिवार के सदस्यों का इलाज हो रहा है, लेकिन अब भी गंभीर बीमारी या फिर आपात स्थिति में इलाज की सुविधा नहीं है। वर्तमान में रेफरल की सुविधा हैं, लेकिन वह इतनी जटिल और अव्यवहारिक थी कि बिजली कर्मियों को इसका लाभ लेने में बड़ी परेशानी होती थी। इन परेशानियों को अब कंपनी ने दूर कर दिया है।अब तक बिजली कर्मियों को इलाज के लिए पॉवर कंपनी के डॉक्टरों से रेफरल करवाकर उसी अस्पताल से इलाज करना पड़ता था, अन्यथा की स्थिति में उसे बिना रेफरल के इलाज मानते हुए चिकित्सा में हुए खर्च में 50 से 75 फीसदी की कटौती कर दी जाती थी अब किसी भी अस्पताल में इलाज कराने के बाद सीजीएचएस दर पर कंपनी देगी। अब तक किसी भी कर्मी को रेफरल महज सात दिन के लिए ही मिलता था। सात दिन बाद फिर से रेफरल बनाना पड़ता था। कंपनी ने अब इसे बढ़ाकर 30 दिन कर दिया है।अब कंपनी के नियमित कर्मी व उनके आश्रित के किसी भी अस्पताल में इलाज के बाद व्यय की गई राशि के रिफंड लेना आसानी होगा। पहले दावा करने के लिए 48 घंटे की बाध्यता होती थी। इसे बढ़ाकर अब 5 दिन कर दिया गया है।फिजियोथैरेपी और डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए कंपनी के अस्पताल से रेफरल करवाना होता था। फिजियोथैरेपी के लिए कई दिनों का रेफरल बनाने से डॉक्टर परहेज करते थे। इससे कर्मी परेशान हो रहे थे। कंपनी ने अब इन दोनों सुविधा के लिए रेफरल की बाध्यता को ही खत्म कर दिया है।
75 हजार की स्वीकृति तत्काल
अब पावर कंपनी में कार्य के दौरान घटित हादसे के बाद इलाज हेतू खर्च का भुगतान अस्पताल को सीधे विभाग के नियंत्रणकर्ता अधिकारी द्वारा किया जाएगा। इसके लिए अस्थाई तौर पर अग्रिम 75 हजार रुपए की स्वीकृति कार्यपालन अभियंता द्वारा दी जाएगी। इससे बड़ी राहत मिलेगी।
अस्पतालों में सुविधा की कमी
कंपनी द्वारा रेफरल सिस्टम को भले मजबूत किया जा रहा है, लेकिन खुद के अस्पतालों को अपग्रेड करने पर जोर नहीं दिया जा रहा है। अस्पतालों में इलाज व दवाईयों की कमी को दूर नहीं किया जा रहा है। जिससे कर्मी व उनके परिजन बाहर इलाज को मजबूर होते हैं। ऐसी सुविधा मिलनी चाहिए कि रेफरल कराने की जरुरत ही न पड़े।