दिल्ली(एजेंसी):केंद्र सरकार स्कूली बच्चों को फेल न करने की नीति अगले साल से खत्म कर सकती है। इस पर राज्यों की मंजूरी लेकर संसद में विधेयक लाया जाएगा। अभी शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों को फेल नहीं किया जा सकता है।
शीतकालीन सत्र में विधेयक
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, राज्यों से चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। 25 अक्टूबर को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में राज्यों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा होगी। यदि राज्य सरकारें राजी होते हैं तो शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक लाकर सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी। इस मामले में और देरी करना सरकार सही नहीं मान रही है।
गैरसरकारी संगठन सहमत नहीं
केरल समेत कुछ राज्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि फेल नहीं करने की नीति के कारण बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति घट रही है। वे इसके लिए सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को जिम्मेदार मानते हैं जहां शिक्षा का स्तर सुधरने की बजाय गिरता जा रहा है। इसलिए ये संगठन कहते हैं कि सरकार स्कूलों की दशा सुधारे।
कई विकल्प हैं
इस मुद्दे परा मंत्रालय के पास कई विकल्प हैं। एक प्रस्ताव यह था कि सिर्फ पांचवीं और आठवीं में ही फेल करने का प्रावधान हो। लेकिन मंत्रालय इससे सहमत नहीं है। नीति में बदलाव होगा तो फिर पुरानी नीति चलेगी वर्ना मौजूदा नीति कायम रहेगी। सिर्फ दो कक्षाओं में पास-फेल का कोई औचित्य नहीं है।
आदेश के जरिए बदलाव नहीं
केंद्र सरकार इस विकल्प पर भी विचार कर रही थी कि एक सरकारी आदेश के जरिए इस नीति में बदलाव किया जाए। लेकिन कानून मंत्रालय ने इस पर असहमति जताई है। क्योंकि ऐसे आदेश को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इसलिए नीति में बदलाव के लिए सरकार को संसद में ही जाना पड़ेगा।
राज्यों की सहमति
केंद्र राज्यों का रुख देना चाहती है। यदि सभी बड़े राज्य तैयार होते हैं और उसे लगता है कि जिन राज्यों ने बदलाव का समर्थन किया है, वहां सत्तारूढ़ दलों के सांसद संसद खासकर राज्यसभा में भी इसका समर्थन करेंगे तो सरकार इस पर आगे बढ़ेगी।