हाथियों को खदेड़ने के प्रयास में युवक का पैर हुआ फ्रैक्चर   हाथी रौंद रहे फसल, ग्रामीणों को हो रही आर्थिक क्षति

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कोरबा@M4S: जिले के कटघोरा वन मंडल अंतर्गत पोड़ी- उपरोड़ा ब्लॉक के जंगलों में हाथियों की लगातार मौजूदगी ने दहशत मचा रखी है। जंगल से निकलकर लगे हुए खेतों में लगातार पहुंचने और फसलों को खाने व रौंदकर नुकसान पहुंचाने का सिलसिला जारी है।

ग्रामीण अपनी फसलों को हाथियों से बचाने के लिए उस पर हमलावर हो रहे हैं। शोर मचाकर, सीटी बजाकर,पटाखे फोड़कर, पत्थर फेंक कर, हाथियों के नजदीक जाकर भगाने की कवायद कर रहे हैं जो कि उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। किसान अपने फसल की रक्षा के लिए चिंतित हैं जो उनके जीवन-यापन का सहारा है और हाथी उसे रौंद रहे हैं। हाथियों को भगाने की कोशिश में ग्रामीण चोटिल भी हो रहे हैं।
इसी कड़ी में पोड़ी खुर्द ग्राम पंचायत के खैरवार पारा का निवासी मोती राम पिता धनीराम खैरवार उम्र 30 वर्ष सुबह अपने फसल को हाथी से बचाने के चक्कर में अपना दायां पैर तुड़वा बैठा। हाथी को भगाने के दौरान जब एक हाथी पलट गया तो उससे बचने के लिए भागने के दौरान गिर पड़ा और पैर फ्रैक्चर गया। उसे इलाज के लिए कटघोरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसी तरह ग्रामीण राज कुमार प्रजापति रात्रि भोजन कर सो रहा था कि उसके घर के सामने हाथी आ धमका। जानकारी मिलने के बाद भी वह हिम्मत नहीं हारते हुए पत्नी, बच्चे को घर के पीछे से किसी तरह निकाल कर पडोस में निवासरत कृष्णा रजक के घर में ले जा कर जान बचाई । गौरतलब है कि शनिवार रात लगभग सवा ग्यारह बजे के आसपास झुंड से अलग हो कर एक दंतैल हाथी कोरबी, बजारपारा घनी आबादी क्षेत्र के मुख्य मार्ग में घुस गया था जिससे कुछ समय के लिए अफरा-तफरी मच गई थी। ग्रामीणों ने साहस का परिचय देते हुए हाथी को बस स्टेंड की ओर से जंगल की ओर खदेड़ा, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।


पिछले एक सप्ताह से लगातार हाथियों का आतंक कोरबी सहित फुलसर,रोदे, बनिया,खडफडी पारा, सिटीपखना, सेमरहा, चोटिया, परला, लालपुर के अलावा दर्जनों गांवों में बना हुआ है। हाथियों की चिंघाड़ से जंगल-खेत गूंज रहे हैं। इसके साथ रात-दिन किसानों के फसल नुकसान कर रहे हैं। हाथियों के कारण इन इलाकों के साप्ताहिक बाजारों की रौनक घटती जा रही है। रविवार को कोरबी के बाजार में चहल-पहल अपेक्षाकृत कम देखने को मिली। हाथियों के डर से कई लोग गांव छोड़कर बाजार की दूरी तय करने में डर रहे हैं। हाथियों के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने लगा है।

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