हाईकोर्ट ने तैयार किए हैं दिशा-निर्देश
निदेशालय ने स्कूलों को दिए निर्देश में कहा कि हाई कोर्ट ने स्कूल जाते समय छात्रों के हाथों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति देने के लाभकारी और हानिकारक प्रभावों को संतुलित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। ऐसे में स्कूल अपने स्तर पर इस संबंध में एक नीति विकसित कर उसे लागू करने का कार्य करें।
छात्रों को डिजिटल साक्षरता दी जाए: दिल्ली हाईकोर्ट
इस वर्ष मार्च में पारित एक आदेश में, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि स्कूलों को छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, डिजिटल शिष्टाचार और मोबाइल फोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित करना चाहिए। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने जोर देकर कहा था कि छात्रों को यह सलाह दी जानी चाहिए कि स्क्रीन और इंटरनेट मीडिया पर अधिक समय बिताने से चिंता, ध्यान की अवधि में कमी और साइबर-बदमाशी हो सकती है।
कक्षा में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर लगे रोक: हाईकोर्ट
पीठ ने कहा कि मोबाइल फोन से कक्षा में पढ़ाई, अनुशासन या समग्र शैक्षणिक माहौल में बाधा नहीं आनी चाहिए। इसके लिए कक्षा में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा, पीठ ने कहा कि मोबाइल उपयोग नीति में सुरक्षा और समन्वय के उद्देश्य से कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए, लेकिन मनोरंजन के लिए उनके इस्तेमाल की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि स्कूल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को विनियमित करने और निगरानी करने की नीति माता-पिता, शिक्षकों और विशेषज्ञों के परामर्श से बनाई जानी चाहिए ताकि एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित किया जा सके जो सभी संबंधित पक्षों की जरूरतों और चिंताओं को संबोधित करे।
‘मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना अव्यावहारिक’
कोर्ट ने कहा था कि शैक्षिक और अन्य संबंधित उद्देश्यों सहित प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में पिछले वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। इसलिए स्कूल जाने वाले छात्रों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना अवांछनीय और अव्यवहारिक दृष्टिकोण है।
आइटीएल पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या सुधा आचार्या ने कहा कि अभिभावकों से बातचीत के बाद बच्चों को केवल की-पैड फोन लाने की अनुमति ही दी गई है। उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन स्कूल में लाने पर बिल्कुल मनाही है। कक्षाओं में स्मार्टफोन की अनुमति देने से साइबर बुलिंग जैसे अपराध होने का खतरा रहता है।
बच्चे शौचालय में स्मार्टफोन ले जाकर करते हैं गलत इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि बच्चे शौचालयों तक में स्मार्टफोन ले जाकर उसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। स्मार्टफोन किसी भी तरह से कक्षाओं में पढ़ाई को लेकर मदद नहीं करता है। इसके लिए कक्षाओं में स्मार्टबोर्ड हैं। स्मार्टफोन से बच्चों का ध्यान, एकाग्रता, सोचने व समझने की क्षमता खराब हो रही है।