कोरबा@M4S:आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम अभिनंदन करते हैं। इस फ़ैसले से न केवल प्रदेश की तात्कालीन भाजपा सरकार का 58 प्रतिशत के आरक्षण का फैसला सही साबित हुआ है, बल्कि कांग्रेस जिस तरह इस मामले में भी दोहरी राजनीति करती रही है, उसका भी पर्दाफाश हुआ है।
भाजपा शासन काल में लागू आदिवासियों के 32% आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा लगवायी गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की नीति, सिद्धांताे की जीत है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी को भी यह समझ लेना चाहिए कि वे संविधान से ऊपर नहीं है। किसी सही नीयत से कानून बनाने पर क्या होता है, वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से जाहिर हुआ है। अगर सच में आपकी नीति मस्ती राजनीति नहीं कर वास्तव में वंचितों को न्याय दिलाने की होती है, तो सारे संवैधानिक प्रावधानों पर विचार-विमर्श कर कानून बनाया जाता है, जैसा भाजपा सरकार ने बनाया था। इसके उलट केवल समाज में विभेद पैदा करने, ‘बांटो और राज करो’ की नीति के तहत समाज के बीच जहर फैला कर अपनी रोटी सेंकना कैसा होता है, आप कांग्रेस के कृत्यों से यह देख सकते हैं। यह बात अकतलरा विधायक श्री साैरभ सिंह ने मंगलवार काे शहर प्रवास के दाैरान जिला भाजपा कार्यालय, दीनदयाल कुंज में पत्रकार वार्ता के दाैरान कही।
उन्हाेंने कहा कि हम सब जानते हैं कि कांग्रेस नेता पद्मा मनहर और के पी बांडे आदि ने कोर्ट जा कर आदिवासियों का आरक्षण रुकवाया था। इसी तरह पिछड़े वर्ग को दिए आरक्षण के विरुद्ध कांग्रेस सरकार में ही आज पीठ के अध्यक्ष बने कुणाल शुक्ला अपनी ही सरकार के खिलाफ कोर्ट गए थे। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण की मुखालफत करने का पुरस्कार जहां श्री खांडे को आयोग का अध्यक्ष बना कर दिया, वहीं कुणाल शुक्ला को पीठ का अध्यक्ष बनाया। ऐसा दोहरा चेहरा केवल कांग्रेस का ही हो सकता है।
आरक्षण के मामले में जब हाईकोर्ट में मामला था, तब भी कांग्रेस ने जान बूझ कर केस को कमजोर किया। कोर्ट में अपना पक्ष सही से नहीं रखा, जिस कारण वह हाई कोर्ट में मुकदमा हार गयी। इस तरह कांग्रेस ने लगातार वंचित वर्गों से छल किया है। कांग्रेस हमेशा से न केवल आरक्षण के खिलाफ रही है, बल्कि वह इसपर केवल राजनीति करती रही है। केंद्र में गैर कांग्रेसी भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार ही पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान लेकर आयी थी। भाजपा के समर्थन से आयी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने सबसे पहले शासकीय नौकरियों में पिछड़ों के आरक्षण का प्रावधान किया, उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी। जाहिर है कांग्रेस तब भी आरक्षण को विरोधी ही थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले इस न्याय से स्पष्ट है कि हाईकोर्ट तक में शासन ने अपना पक्ष बेहतर नहीं रखा। कांग्रेस चाहा रही थी कि सरकार किसी तरह हार जाए। इसी लिए उसने क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे तमाम कृत्यों के कारण कांग्रेस की नीयत पर हमेशा सवाल उठता ही रहेगा।
भाजपा का यह स्पष्ट मानना है कि जान बूझ कर कांग्रेस सरकार आरक्षण का मुकदमा हारना चाहती थी ताकि एक भी नौकरी नहीं दे पाने की अपनी विफलता पर वह पर्दा डाल सके। इस फैसले से कांग्रेस का नकाब उतर गया है। उसका असली चेहरा एक बार और जनता के बीच आया है।
भाजपा यह मांग करती है कि अब ऐसी सभी बहानेबाज़ी को छोड़ कर कांग्रेस सरकार जल्द से जल्द सभी खाली पदों पर पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए भर्तियां शुरू करे। युवाओं के भविष्य से संबंधित ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर किसी भी तरह की हीलाहवाली अब भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी। प्रदेश के युवा भी इसे सहन नहीं करेंगे।
पत्रकार वार्ता के दाैरान विधायक सौरभ सिंह के साथ प्रदेश भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के उपाध्यक्ष लखनलाल देवांगन, प्रदेश कार्यसमिति के के सदस्य जाेगेश लांबा, जिला भाजपा अध्यक्ष राजीव सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक चावलानी व जिला भाजपा महामंत्री टिकेश्वर राठिया मौजूद थे।
सात माह 11 दिन तक छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के षड्यंत्र का दंश झेला छत्तीसगढ़ के युवाओं ने।
19 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने भाजपा सरकार द्वारा लाएगा युवाओं के हित के लागू 58% आरक्षण को कांग्रेस नेता कमला मनहर, के पी खांडे के आवेदन पर रोक दिया था। 58% आरक्षण पर रोक लगाने वाले खांडे को भूपेश सरकार ने पुरस्कृत कर केंद्रीय मंत्री का दर्जा दिया है।