ग्रामीणों की जान खतरें में
कोरबा@M4S: आतंक का पर्याय बन चुके गणेश हाथी को ज्यादा देर तक जंजीरों में जकड़ पाने में वन विभाग नाकाम रहा ।होश में आने के बाद पहले से ज्यादा आक्रमक हुए गणेश ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया। गणेश को पकड़ने के बाद तैमूर पिंगला रेस्क्यू सेंटर ले जाने की कवायद में वन विभाग की टीम जुटी रही ,लेकिन विभाग को सफलता नहीं मिल पा रही है ।देर रात गणेश जंजीर को तोड़ कर जंगल की ओर भाग निकला है ।जिससे वन विभाग की मुश्किल बढ़ गई है ।हालांकि हाथी की गर्दन पर लगे रेडियो कॉलर आईडी से उसकी निगरानी की जा रही है । रेडियो कालर से मिल रहे लोकेशन से पता चला है कि गणेश करतला के कुदमुरा रेस्ट हाउस से लगभग 4 किलोमीटर दूर जंगल में ही मौजूद है ।अधिकारियों के मुताबिक अब 48 घंटे तक उसे ट्रेंकुलाइज (बेहोश )नहीं किया जा सकता है ।बस उसकी निगरानी की जाएगी और उसके बाद ही ट्रेंकुलाइज कर फिर से रेस्क्यू किया जाएगा । कोरबा व धरमजयगढ़ वनमंडल में उत्पात मचाने वाले दंतैल गणेश को मंगलवार को छाल परिक्षेत्र के बहेरामार जंगल में 5 घंटे तक रेस्क्यू कर ट्रैक्यूलाइज करके पकड़ा गया था। रेस्क्यू टीम ने जंजीर व रस्सी के जरिए उसके पैरों को बांधा था। इसके बाद रात में उसे कुमकी हाथी व क्रेन की मदद से उसे ट्रक में चढ़ाकर तैमोर पिंगला एलीफेंट रिजर्व के लिए रवाना किया था। कुमकी हाथी भी अन्य वाहनों में सवार थे। लेकिन ट्रैक्यूलाइज होने के 4 घंटे बाद गणेश पर दवा का असर खत्म हो गया। जिससे वह चलती ट्रक में उत्पात मचाने लगा। उसने खुद पर बांधे गए रस्सी को तोड़ दिया। इससे वन अधिकारियों समेत रेस्क्यू टीम भी घबरा गई। आगे जाने पर उसके भागने की संभावना से धरमजयगढ़ के पास से ही ट्रक को मोड़ा गया। फिर वापस कुदमुरा के रेस्ट हाऊस लाकर उसे कुमकी हाथियों के सहयोग से काबू में किया गया। इस बार उसके चारों पैर में जंजीर बांधा गया जिससे रास्ते में उत्पात न मचा सकें। गणेश को कुदमुरा के रेस्ट हाउस में रखा गया था । जहाँ से वह जंजीर तोड़कर भाग निकला ।बताया जाता है कि भागने के दौरान गणेश ने रेस्ट हाऊस की दीवार को भी तोड़ दिया है । साथ ही उसने भारी नुकसान भी पहुंचाया है । गणेश के आक्रमक रुख को देखते हुए विभाग ने आसपास के क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है । विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की टीम को क्षेत्र में तैनात कर दिया है ताकि किसी तरह की जनधन हानि ना हो
वन विभाग ने ऐसे पकड़ा था गणेश को
दंतैल गणेश ने ढाई महीने के भीतर कोरबा व धरमजरगढ़ वनमंडल में 12 लोगों कुचल डाला है । डेढ़ महीने पहले वन विभाग ने दंतैल के ट्रैकिंग के लिए वन मुख्यालय से रेडियो कॉलर आईडी लगाने अनुमति मांगी थी। एक जून को इसकी अनुमति भी मिल गई थी। लेकिन गर्मी अधिक होने के कारण कई बार कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। धरमजयगढ़ में एक महीने से सरगुजा की ट्रैकिंग टीम व वर्ल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट देहरादून की टीम दंतैल गणेश पर नजर रखी हुई थी। रविवार को तमोर पिंगला से तीन ट्रकों में भरकर कुमकी हाथी को लाया गया। ताकि दंतैल गणेश को पकड़ा जा सके। सोमवार को कुमकी हाथी को लेकर महावत कुदमुरा के आगे मांड नदी पार कर छाल पहुंचे। लेकिन दंतैल जंगल के भीतर चला गया था। मंगलवार को लोकेशन मिलने के बाद 1:30 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ। डीएफओ एस वेंकटाचलम, धरमजयगढ़ डीएफओ प्रणय मिश्रा के साथ सरगुजा व देहरादून की टीम ट्रैकिंग करते हुए पहुंची। हाटी से 4 किलोमीटर दूर बहेरामार में दंतैल को ट्रैक्यूलाइज किया गया। इससे वह शाम लगभग 5 बजे बेहोश हो गया। बुधवार को उसे तैमूर पिंगला रवाना किया गया मगर होश में आने के बाद वाहन में उसकी आक्रमता को देखते हुए आधे रास्ते से टीम को लौटना पड़ा था । बुधवार की रात उसे कुदमुरा रेस्ट हाऊस में रखा गया । जहाँ से वह भाग निकला है ।
तैमूर पिंगला ले जा पाना आसान नहीं
आपरेशन गणेश में शामिल अधिकारियों ने बताया कि गणेश की उम्र 19 साल है। उसका वजन 10 टन, लंबाई 10 फीट है। इस कारण उसका वजन अधिक है। ऐसे भारी भरकम गणेश को पिंगला ले जा पाना कतई आसान नहीं है । जब तक वह पूर्ण रूप से बेहोश न हो उसे ले जाना खतरे से खाली नहीं है । बीच रास्ते में उसके होश में आ जाने से वह वाहन को भी पलटाने की ताकत रखता है ।
पेट भरा हुआ है शायद गांव की तरफ न आए
गणेश को काबू करने के बाद बुधवार को उसे रेस्ट हाउस में बने अस्थाई रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था । जहां तीनों कुमकी हाथी भी उसके आसपास थे। गणेश को शांत रखने के लिए उसे दिनभर कटहल-केला खिलाया गया। इस वजह से उसका पेट भरा हुआ है । ऐसे में संभावना है कि वह भोजन की तलाश में गाँव की ओर नहीं आएगा । अगर गणेश गाँव की ओर रूख कर गया तो फिर वन विभाग के लिए उसे काबू कर पाना कतई आसान नहीं होगा । इससे भारी जनहानि का खतरा भी रहेगा।