कोरबा@M4S:कोरबा-चाम्पा मुख्य मार्ग पर सड़क किनारे स्थित अगाध आस्था का केन्द्र मां मड़वारानी के मंदिर को तोड़कर सड़क निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने की कवायद जारी है। मंदिर के पीछे निकट ही दूसरा मंदिर बन रहा है जहां माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान से भविष्य में कराया जाना है। उक्त कार्य संपन्न होने से पहले ही मौजूदा मंदिर को तोड़ने के लिए आज दलबल के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी मड़वारानी पहुंचे। इसकी जानकारी होने पर बड़ी संख्या में ग्रामवासी यहां एकत्र हो गए हैं और मंदिर को तोड़े जाने का विरोध किया। सुबह से प्रारम्भ विरोध के मद्देनजर व युवा नेता अजय कंवर सहित ग्रामीणों की मौजूदगी में प्रदर्शन के मध्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों द्वारा सकारात्मक चर्चा की गई। एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कोरबा सीएसपी भूषण एक्का,उरगा थाना प्रभारी निरीक्षक युवराज तिवारी आदि की मौजूदगी में हुई चर्चा में ग्रामीणों ने पहले ६ माह का समय मांगा, जो घटते-घटते १० दिन पर आकर ठहरा। बताया गया कि ग्रामवासियों, मंदिर समिति को १० दिन याने २५ नवम्बर तक मंदिर शिफ्ट करने की मोहलत दी गई है। कहा गया है कि निर्माणाधीन मंदिर का कार्य जल्द पूरा करते हुए माता की मूर्ति की विधिवत प्रतिस्थापना करा ली जाए। ० पैसा प्रशासन के पास जमा, आखिर किसको दें मड़वारानी मंदिर को विस्थापन करने से पूर्व मंदिर के भूमि की नापजोख नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा कराई गई। मंदिर की जमीन का मुआवजा के एवज में लगभग ८० से ८५ लाख रुपए शासन के पास आकर पिछले लगभग एक से डेढ़ वर्ष से जाम पड़ा हुआ है। यह राशि प्रशासन द्वारा मड़वारानी मंदिर के किस समिति के खाते में डाला जाए, इसे लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। बताते चलें कि मंदिर संचालन को लेकर दो अलग-अलग समितियां काम कर रही हैं। दूसरी तरफ निर्माण कार्यों के लिए ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया जाता है और ऐसे में दो समितियां के साथ अब ग्राम पंचायत भी तीसरी लेनदार के रूप में सामने आया है। यह तो प्रशासन को तय करना है कि वह राशि इन तीनों में से किसके खाते में जमा करे। वहीं अभी पंचायत और मंदिर समितियां तय नहीं कर पाई हैं कि राशि कौन किसके खाते में जमा कराएगा और उसका आहरण कर मंदिर के कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। बताया गया कि राशि अंतरण के संबंध में कल शुक्रवार को जिला मुख्यालय में बैठक रखी गई है जिसमें पंचायत के सरपंच सहित पदाधिकारी व मंदिर संचालन समिति के लोग उपस्थित रहेंगे। यहां यह गौर करने वाली बात है कि कोरबा जिले के शहर के मध्य और शहर से लगे आउटर क्षेत्र में स्थित दो प्रमुख मॉ सर्वमंगला और मड़वारानी मंदिर के संचालन को लेकर ट्रस्ट बनाने की मांग वर्षो से उठ रही है। इन दोनों मांगों को लेकर प्रशासन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है वहीं मामला न्यायालय की चौखट पर भी पहुंच चुका है। ऐसे हालातों में मंदिरों का संचालन समितियां के द्वारा ही कराया जा रहा है।