तीन दिन के काम को 24 घंटे में पूरा कर विद्युत आपूर्ति बहाल -ट्रक की ठोकर से हाईटेंशन 132 केवी बिजली टॉवर हुआ था क्षतिग्रस्त

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रायपुर@M4S: छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने 132 केवी के 100 फीट से अधिक ऊंचाई की दुर्घटनाग्रस्त हाईटेंशन टॉवर लाइन को रिकार्ड समय में खड़ा कर विद्युत आपूर्ति सामान्य करने में सफलता प्राप्त की है। आमतौर पर ऐसे टॉवर को खड़ा करने में तीन दिन का समय लगता है, जिसे ट्रांसमिशन कंपनी की टीम ने तकनीकी दक्षता और कार्यकुशलता का परिचय देते हुए 24 घंटे में पूरा कर लिया। इस उपलब्धि के लिए ट्रांसमिशन कंपनी के अध्यक्ष श्री सुबोध सिंह एवं प्रबंध निदेशक श्री आरके शुक्ला ने टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

रायपुर के पास बरबंदा गांव के पास 25 मार्च को दोपहर 2.17 बजे रिंग रोड नंबर तीन (जोरा-सड्डू-धनेली) से जा रही एक मालवाहक ट्रक अनियंत्रित हो गई। धान से लदा यह ट्रक 132 केवी के हाईटेंशन टॉवर से जा टकराया, जिससे 32 मीटर ऊंचा टॉवर गिर गया और इसमें लगी डबल सर्किट लाइन टूटकर रिंगरोड पर गिर गई। इस घटना में किसी तरह की जान-माल का नुकसान नहीं हुआ परन्तु राजधानी के एक बड़े इलाके में विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई। साथ ही रिंगरोड में तार गिरने से यातायात भी अवरूद्ध हो गया। ट्रांसमिशन कंपनी ने यातायात पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक को डायवर्ट किया और इंजीनियरों और कर्मियों की टीम ने सड़क से ऊलझे हुए तारों को हटाकर फिर सड़क यातायात शुरू करवाया। इधर विधानसभा से लेकर अंबूजा मॉल, दलदल सिवनी, कंचना, आमासिवनी क्षेत्र में कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति बंद हो गई।

राजधानी के हॉस्पिटल, स्कूल, वीआईपी इलाके व जनसामान्य के लिए विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था की गई, क्योंकि 132 केवी डबल सर्किट लाइन टूट गई थी, जिसे बनाने में काफी समय लगने की आशंका थी, इसलिए ट्रांसमिशन कंपनी ने महासमुंद के परसवानी क्षेत्र से 132 केवी लाइन से विद्युत आपूर्ति आरंभ की। इधर छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने भी लोड मैनेज करने के लिए त्वरित गति से कार्य किया और उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति जारी की।

इस दौरान क्षतिग्रस्त टॉवर को ठीक करने के लिए ट्रांसमिशन कंपनी की टीम मौके पर रवाना हो गई। दूसरी टीम टॉवर खड़ा करने की सामग्री लेने भिलाई स्टोर भेजी गई। सबसे पहले टॉवर का फाऊंडेशन तैयार किया गया और एंगल को जोड़-जोड़कर टॉवर को तैयार किया गया। इसमें क्रेन (हाइड्रा) की भी सहायता ली गई और 24 घंटे के भीतर ट्रांसमिशन कंपनी की टीम ने अपनी तकनीकी दक्षता और कुशल प्रबंधन से टॉवर को खड़ा करने में सफलता प्राप्त की। इस तरह चौतरफा समन्वित प्रयासों का सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। इस कार्य में अधीक्षण अभियंता  वीए देशमुख, कार्यपालन अभियंता  यूके यादव, सूचेन्द्र उइके , सहायक अभियंता  अनिल व्दिवेदी,  हेम कैलाश साहू, प्रदीप तिवारी, सुरेश वर्मा सहित तकनीकी कर्मचारियों ने उत्कृष्ट योगदान दिया।

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