कलेक्टर से जो मिले थे हाथ, आज उन्हीं हाथों से ब्लैक बोर्ड पर चल रही चाक पहाड़ी कोरवा छात्रा छतकुंवर अब बन गई है शिक्षिका तत्कालीन कलेक्टर पी दयानंद ने घर जाकर पढ़ाई के लिए किया था प्रेरित वर्तमान कलेक्टर  अजीत वसंत ने दी नौकरी

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कमल ज्योति  (सहायक संचालक,जनसंपर्क विभाग)

कोरबा:बात आज से ठीक आठ साल पहले की है। तारीख थी एक जुलाई और दिन था शुक्रवार का। घड़ी में यूं ही कोई सुबह के 11 बजे थे। कोरबा जिले के तत्कालीन कलेक्टर  पी दयानंद अचानक कोरबा ब्लॉक के एक गांव आंछीमार पहुंच गए। यहां एक झोपड़ी में आकर चारपाई में बैठते हुए विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं की समस्याओं से रूबरू हुए। समाज को शासन की योजनाओं का लाभ उठाकर आगे बढ़ने की अपील करने के दौरान उन्हें मालूम हुआ कि इस गांव में रहने वाली पहाड़ी कोरवा छतकुवंर गांव में सबसे ज्यादा पढ़ी है और अब वह कॉलेज में आगे पढ़ाई करने जाने वाली है। पी दयानंद पहाड़ी कोरवा छात्रा के घर पहुंचे और उन्होंने बताया कि वे कलेक्टर है और उनसे मिलने आए हैं तो छतकुंवर और उसके परिवार को पहले तो भरोसा नहीं हो रहा था। कुछ देर बाद पहाड़ी कोरवा छात्रा छतकुंवर और उनका परिवार कलेक्टर को अपने घर पाकर खुश हो गए। इसी दौरान छात्रा छतकुंवर ने हाथ बढ़ाते हुए कहा “हैलो सर आप कलेक्टर है“ और उन्होंने कलेक्टर से हाथ मिलाकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया। छात्रा छतकुंवर ने अपनी सम्पूर्ण परिस्थितियों को बताते हुए नौकरी के संबंध में चर्चा की, तब कलेक्टर पी दयानंद ने उनसे कहा था कि आप अभी अपनी पढ़ाई जारी रखे, अपने समाज में सबसे ज्यादा पढ़ाई करने वाली बनें और अन्य बच्चों का प्रेरणास्रोत बनें, शासन-प्रशासन का पूरा सहयोग रहेगा और एक दिन नौकरी अवश्य मिलेगी। कलेक्टर की इस बात को सुनकर छतकुवंर ने तब नौकरी की लालसा त्याग दी और ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। आखिरकार पहाड़ी कोरवा छतकुंवर आज स्कूल में नौकरी कर रही है। वह कभी किताबों को साथ लेकर क्लास रूम में बच्चों को पढ़ा रही है तो कभी ब्लैकबोर्ड में चाक चलाकर अपनी विषम परिस्थितियों का साक्षात उदाहरण बनकर समाज का नाम रौशन कर रही है।

कोरबा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत करूमौहा अंतर्गत आश्रित ग्राम आंछीमार की रहने वाली पहाड़ी कोरवा छतकुंवर को हाल ही में मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ से सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी दी गई है। कलेक्टर  अजीत वसंत ने छतकुवंर सहित अन्य पीवीटीजी को उनकी योग्यता के अनुसार जिले के स्कूलों सहित स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यकतानुसार नियुक्ति दी है। इस नियुक्ति की कड़ी में पहाड़ी कोरवा छतकुंवर को भी नौकरी मिली है। करतला ब्लॉक के शासकीय माध्यमिक शाला नोनबिर्रा में शिक्षिका के रूप में अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करते हुए छतकुंवर अपने बीते दिनों को याद कर भावुक हो जाती है। विषम परिस्थिति में एक गरीब परिवार में पली-बढ़ी वह कहती है कि उन्हें खुशी है कि एक कलेक्टर ने घर आकर उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और एक कलेक्टर ने उन्हें स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी दी है। छतकुवंर का कहना है कि पहाड़ी कोरवा समाज अभी भी बहुत पिछड़ा हुआ है। समाज के कुछ लोग ही पढ़ाई कर पाये हैं, उन्हें नौकरी दिए जाने से जो पिछड़े हुए हैं उन्हें भी प्रेरणा मिल रही है। वे लोग भी पढ़ाई करने स्कूल जा रहे हैं। छतकुंवर चाहती है कि अन्य समाज की तरह उनके समाज के सभी लोग शिक्षा से जुड़ पाएं और एक सामान्य जीवनयापन कर सकें। उन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों को भी पढ़ायेगी और आगे बढ़ायेगी। छतकुंवर ने उन्हें और उनके समाज के बेरोजगारों को नौकरी से जोड़ने आर्थिक रूप से सक्षम बनाकर विकास से जोड़ने के लिए शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया और बताया कि नौकरी मिलने के बाद घर की आर्थिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहाड़ी कोरवा समाज के अनेक घरों में आज भी जीवनयापन सामान्य नहीं है। गरीबी की वजह से ही वे पीछे हैं। उनका कहना है कि शुक्र है कि उन्होंने शिक्षा से नाता जोड़ लिया, आज इसी का परिणाम है कि जिला प्रशासन ने उन्हें नौकरी देकर बहुत पिछड़े हुए समाज को अन्य समाज के साथ मुख्यधारा में लाने और बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में कदम उठाया है।

आठवी के बाद पति छोड़ चुके थे पढ़ाई, छतकुंवर ने पूरी कराई बारहवी की पढ़ाई 
जिस पहाड़ी कोरवा परिवार में महिलाएं पढ़ाई के क्षेत्र में पीछे रही हो, कलेक्टर की प्रेरणा से उसी छतकुंवर ने न सिर्फ स्कूल की पढ़ाई पूरी की अपितु ग्रेजुएट, मास्टर डिग्री और कम्प्यूटर में डीसीए की पढ़ाई भी पूरी कर ली। इस बीच उनकी शादी हो गई तो आठवीं पास अपने पति को भी उन्होंने कक्षा 12वीं तक पढ़ाने में पूरा योगदान दिया। छतकुंवर बताती है कि उनके समाज में युवा ज्यादा पढ़ाई नहीं किये थे, इसलिए आठवीं पास सजातीय युवक से विवाह हो गया। इस बीच उन्हें 12वीं तक पढ़ाने में मदद की। अभी उनके पति की नौकरी भी भृत्य के पद पर लग गई है और परिवार खुश है।

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