लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण,बसावट,जमीन वापसी की मांगों को लेकर 12 घंटे खदान बंद किया भू विस्थापितों ने

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कुसमुंडा में 12 घंटा पूर्ण और गेवरा में 5 घंटे उत्पादन और परिवहन बंद रहा

बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के साथ 10 दिनों में लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ

15 दिनों में निराकरण नहीं हुआ तो 7 मई को फिर होगा खदान बंद

कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ द्वारा एसईसीएल के खदानों से प्रभावित भू विस्थापित किसानों की लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,बसावट, खमहरिया की जमीन किसानों को वापस करने एवं प्रभावित गांव में मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराने के साथ 10 सूत्रीय मांग को लेकर सीएमडी को सभी खदान में महाबंद की चेतावनी दी गई थी घोषणा अनुसार सुबह 6 बजे से कुसमुंडा और गेवरा खदान में कोयले के सभी गाड़ियों को रोक दिया गया आंदोलन में बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल थे। बिलासपुर मुख्यालय में चर्चा के साथ 10 दिनों में समस्याओं का निराकरण के आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त हुआ ।

किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने कहा की भू विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं अब अपने अधिकार को लेने के लिए रोजगार समेत भू विस्थापितों की समस्याओं के निराकरण के लिए एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है जिससे भू विस्थापितों के सब्र का बांध टूट चुका है। एसईसीएल के अधिकारियों का ध्यान केवल भू विस्थापितों के अधिकारों को छीन कर आपस में लडवाकर केवल कोयला उत्पादन को बढ़ाने और उच्च अधिकारियों को खुश करने की है जिसमें जिला प्रशासन भी एसईसीएल के साथ खड़ी है लेकिन भू विस्थापित किसानों की एकजुटता के सामने कोई प्रबंधन टिकने वाली नहीं है।

किसान सभा के नेता दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह कंवर ने कहा कि विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियां गरीबों की आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को उनसे छीन रही है।यही कारण है कि कुछ लोग मालामाल हो रहे है और अधिकांश जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि 31अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 1269 दिनों से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है।

किसान सभा के कटघोरा ब्लॉक अध्यक्ष जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार, को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढ़ियों से खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीन रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है। किसान सभा भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी कर रही है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव,रघु यादव ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे और भू विस्थापित संघ से जुड़े भू विस्थापितों ने कहा कि सरकार को विस्थापितों को ऐसा जीवन प्रदान करना चाहिए जिससे उनको लगे की उन्होंने अपनी जमीन नहीं खोया है लेकिन सरकार गरीबों को जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

लगभग 12 घंटे तक खदान के बंद के दौरान कुसमुंडा और गेवरा खदान में कोल परिवहन पूर्ण रूप से बंद होने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया बिलासपुर मुख्यालय से वार्ता कर अधिकारियों ने सीएमडी कार्यालय में 10 दिनों में बैठक कर तत्काल रोजगार प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन दिया जिसके बाद हड़ताल समाप्त हुआ किसान सभा ने एलान करते हुए कहा है कि भू विस्थापितों के समस्याओं पर सकारात्मक पहलकदमी नहीं होने पर कोल परिवहन को 15 दिनों में बार बार बंद किया जाएगा।

हड़ताल में प्रमुख रूप से देव कुंवर,राजकुमारी,सूरज बाई, सुनीला ,दीना नाथ,हरिहर,अनिल बिंझवार,चंद्रशेखर,होरी,रघुनंदन,मुनीराम, डुमन,राजकुमार,गणेश,विजय कंवर,मिलन,नरेंद्र,हेमलाल,नारायण, जितेन्द्र,उत्तम के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल थे ।

 

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