कोरबा@M4S:मौजूदा केंद्र की सरकार श्रम सुधार के नाम पर श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव लाने जा रही है इस कड़ी मे 44 श्रम कानूनों को समेट कर चार कोड क्रमशः इंडस्ट्रियल कोड,वेज कोड, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी व कोड ऑन सेफ्टी है इन लेबर कोड को सरकार ने गजट के माध्यम से पहले ही पब्लिक डोमेन में अध्ययन के लिए डाल दिया है और कभी भी इसकी अधिसूचना सरकार जारी कर सकती है इस संबंध मे भारतीय खान मजदूर फेडरेशन एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार जो लेबर कोड ला रही है उसके पूरी तरह लागू होने की स्थिति में देश का श्रमिक वर्ग पूरी तरह बंधुआ मजदूर होकर रह जाएगा उन्होंने आगे कहा कि सरकार लेबर कोड विधेयक के जरिए मजदूर संगठनों एवं कामगारों पर पूरी तरह नकेल कसना चाहती है इस कड़ी मे गैर कानूनी हड़ताल में जाने वाले, उसके लिए प्रेरित करने वाले या उसमें प्रत्यक्ष परोक्ष मदद करने वालों पर कठोर दंड के प्रधान बनाए गए हैं इसके अलावा गैरकानूनी हड़ताल जाने वालों पर भी कठोर दंड का प्रावधान किया गया है उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह सरकार देश का सब कुछ निजी हाथ में सौंपने की मुहिम चला रही है इस कड़ी मे पूरे देश में कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम लादने का कोशिश कर है इसी के तहत तमाम सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों का ताबड़तोड़ निजीकरण करने पर भी आमदा है जो देश हित के खिलाफ है उन्होंने आगे कहा कि यह अजीब विडम्बना है कि देश में आजादी के पहले जब अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी तब 1929 में साइमन कमीशन ने कॉन्ट्रैक्ट पद्धति की जो सिफारिश की थी उसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देश हित के खिलाफ है पर मौजूदा सरकार पूरे देश मे ठेका पद्धति को तेजी से आगे बढ़ा रही है इस संबंध मे दीपेश मिश्रा आगे कहा कि ये सरकार सिर्फ बहुराष्ट्रीय कंपनियां व चुनिंदा उद्योग घरानों को फायदा पंहुचाने के लिए ही श्रम सुधार के नाम पर 44 श्रम कानूनों मे बदलाव करके चार लेबर कोड मे तब्दील कर दिया है जिसका अधिसूचना जारी कर देने के लिए कवायद कर रही है जिसका आरएसएस से जुड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर देश के सभी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन विरोध कर रहे हैं।उन्होंने अंत मे कहा कि सरकार श्रम संहिता लाने मे जल्दी बाजी ना करें बल्कि मजदूर संगठनों से वार्तालाप करें और लेबर कोड मे जो खामियां है उसमें सुधार करें।