THAILAND: सेना का रूढ़िवादी शासन होगा खत्म, विपक्ष ने मारी बाजी; थाईलैंड का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?

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बैंकॉक(एजेंसी): थाईलैंड में करीब एक दशक बाद रूढ़िवादी सेना-समर्थित शासन के खिलाफ विपक्ष ने चुनाव में जीत हासिल की है। इस चुनाव में विपक्ष के रूप में लिबरल मूव फॉरवर्ड पार्टी और लोकलुभावन फीयू थाई पार्टियों ने नेतृत्व किया। दोनों पार्टियों की तरफ से सेना को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया।

शासन में बदलाव चाहती थी थाईलैंड की जनता

ये चुनाव थाईलैंड की जनता के लिए काफी अहम रहा है क्योंकि, यहां के लोग शासन में बदलाव के लिए काफी समय से मांग कर रहे थे। बता दें कि बीते दिन हुआ मतदान 2020 में युवा नेतृत्व वाले सामूहिक लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के बाद पहला है और 2014 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद दूसरा मतदान है। सेना ने साल 2014 में एक निर्वाचित सरकार को बाहर कर दिया था और एक रूढ़िवादी गुट को बहाल किया था, जिसका नेतृत्व प्रयुथ चान कर रहे थे।

हालांकि, उन्हें मूव फॉरवर्ड और फू थाई से कड़ी चुनावी चुनौतियों और अभियानों का सामना करना पड़ा था। ये दोनों ही सैन्य विरोधी दल हैं। 97% वोटों की गिनती के दौरान, चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक मूव फॉरवर्ड के सबसे अधिक सीटें जीतने और दूसरे स्थान पर फीयू थाई पार्टी के रहने की घोषणा की गई थी।

थाईलैंड का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?

ऐसा माना जा रहा था कि पेतोंगतार्न शिनावात्रा की अगुवाई वाले विपक्षी दल फेयु थाई पार्टी 500 सदस्यीय निचले सदन में सबसे अधिक सीटें जीत सकती है। हालांकि, अगली सरकार के नेतृत्व को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि रविवार को हुए मतदान के आधार पर इसे तय नहीं किया जा सकता।

दरअसल देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, इसका चयन निचले सदन और 250 सदस्यीय सीनेट के संयुक्त सत्र में जुलाई में किया जाएगा। जीतने वाले उम्मीदवार के पास कम से कम 376 वोट होने चाहिए और वो बात अलग है कि किसी भी दल के लिए अपने दल पर ये आंकड़ा छूना सबसे बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री प्रयुथ से क्यों नाखुश रही जनता

2019 या इससे पहले हुए चुनाव की बात करें तो फेयु थाई पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन उसके चिर प्रतिद्वंद्वी सेना समर्थित पलांग प्रचारथ पार्टी ने प्रयुथ के साथ गठबंधन कर लिया। फिर प्रयुथ ने दोबारा चुनाव लड़ा।

प्रधानमंत्री प्रयुथ चान से यहां की जनता नाखुश थी, उनपर लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, महामारी से निपटने में कमियों और लोकतांत्रिक सुधारों को लेकर विफल रहने का आरोप है। बता दें कि प्रयुथ चान-ओचा पहली बार 2014 में तख्तापलट होने के बाद सत्ता में आए थे। साथ ही वह थाईलैंड के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक हैं।

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