SOMVATI AMAVASYA : मास, वार, तिथि और नक्षत्र का संयोग सद्कामना पूर्ति में सहायक

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वाराणसी(एजेंसी):’हरियाली अमावस्या’ के नाम से भी प्रसिद्ध श्रावण की अमावस्या सोमवार को है। इस वर्ष की अमावस्या तिथि को सोमवार और पुनर्वसु नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। यह सद्कामनाओं को पूरा करने में सहायक है। इस तिथि पर भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु और पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा का विशेष महत्व है।

श्रावण अमावस्या तिथि रविवार, 19 जुलाई को अर्द्धरात्रि में 12 बजकर 10 मिनट पर लग चुकी है जो 20 जुलाई को रात्रि 11. 03 बजे तक रहेगी। सोमवार को पूरे दिन अमावस्या तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग रहेगा। जिन्हें पितृदोष हो, उन्हें अमावस्या को विधि-विधानपूर्वक शांति करानी चाहिए। ज्योतिषी विमल जैन ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर पीपल वृक्ष की पूजा-अर्चना से सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती है। इस दिन विधि पूर्वक पितरों की भी पूजा-अर्चना से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली आती है। इस दिन भगवान् विष्णु की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने से आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पीपल की विशेष महिमा
पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का वास माना गया है। इस वृक्ष के जल सिंचन, पूजन और 108 बार परिक्रमा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट देवी-देवता की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने और सफेद रंग की वस्तुओं के दान का भी विधान है। दान में ब्राह्मण को दक्षिणा के साथ चावल, दूध, मिश्री, चीनी, खोवे से बने सफेद मिष्ठान्न, सफेद वस्त्र, चांदी एवं अन्य सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। यदि ब्राह्मण को भोजन न करा सकें तो उन्हें भोजन सामग्री (सिद्धा) के साथ द्रव्य देना चाहिए। इस दिन व्रती को अपनी दिनचर्या संयमित रखते हुए गरीबों, असहायों और जरूरतमन्दों की सेवा करनी चाहिए।

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