कोरबा@M4S:एसईसीएल कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली परियोजना में दिनाँक 26 जुलाई 2020 की रात करीब 10 बजे भूधसान की घटना हुयी है । जिसमे एक बड़ा कुआँ के आकार में गड्ढा बन गया है तथा आवासीय क्षेत्र में बोर धंस गया है साथ ही इसी खदान से प्रभावित ग्राम भेजीनारा में भी कई मकानों में लगभग 10 दिन पूर्व दरार आ गयी थी । इन पूरी घटनाओं में एसईसीएल द्वारा कोयला उत्खनन और उत्खनन उपरान्त फेस बंद करने के लिए डी-पिलरिंग के कारण स्थिति निर्मित हुआ है ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि इससे पूर्व भी वर्ष 2000 से 2010 के मध्य कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ही रजगामार, मानिकपुर ,बलगी ,बांकी परियोजना एवं ढेलवाडीह आदि भूमिगत खदानों के आसपास ऐसी ही भूधसान एवं मकानों और जमीन में दरार होने की घटना सामने आ चुकी है तथा इसका कारण डी-पिलरिंग को बताया गया था ,वहां पर प्रति वर्ष बरसात का मौसम आते ही घटना की पुनरावृत्ति देखने को मिलता है । डी-पिलरिंग करने से पूर्व खान सुरक्षा महानिदेशालय से विधिवत अनुमति एवं प्रभावित होने वाले क्षेत्र में आवश्यक सुरक्षा उपाय तथा ग्रामीणों से सहमति लेना अनिवार्य होता है किन्तु एसईसीएल के अधिकारी ज्यादा उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध उत्खनन करवाने के चक्कर में सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करते तथा कोयला खदान में काम करने वाले कर्मचारियों सहित आमजनों को खतरे डाल दिया जाता है।
उपरोक्त बातों की ओर आपकी ध्यानाकर्षण कराते हुए मांग है कि –
01. इस घटना की उच्चस्तरीय जांच करवायी जाए और एसईसीएल के द्वारा सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है तो आपराधिक मामला दर्ज कर दोषियों पर कार्यवाही किया जाए ।
02. प्रभावित क्षेत्र सहित कोयला उत्खनन एवं उत्खनन के पश्चात फेस बन्द करने के लिए की गयी डी-पिलरिंग एरिया को रेडजोन घोषित कर फेंसिंग करावाई जाए ।
03. भूधसान एवं मकानों में आयी दरार के कारण आम ग्रामीणों और किसानों को हुयी नुकसानी के एवज में क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किया जाए ।
04. अन्य भूमिगत खदानों के आसपास के क्षेत्र में प्रति वर्ष हो रही बार बार की भूधसान एवं दरार का वैज्ञानिक अध्ययन करायी जाए और आवश्यकता होने पर गाँव और प्रभावित क्षेत्र का अधिग्रहण कर नियमतः मुआवजा,रोजगार और बसाहट प्रदान किया जाए ।
05.ढेलवाडीह-सिंघाली-बगदेवा परियोजना अंतर्गत सभी गोदग्रामो में तत्काल सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया करायी जाए ।