एसईसीएल की मनमानी आधे हिस्से पर खनन और आधे को छोड़ दिया, मुआवजे के लिए भटक रहा परिवार परेशान राष्ट्रपति के नाम भेजा मार्मिक पत्र

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कोरबा@M4S:एसईसीएल की दीपका परियोजना से प्रभावित ग्राम सुवाभोड़ी का एक भू-विस्थापित परिवार अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार है। यह उपेक्षा तब हो रही है जब एसडीएम के द्वारा इन्हें भू-अर्जन के एवज में प्राप्त होने वाली सुविधाएं देने के लिए दो बार पत्र लिखा जा चुका है। पुन: मुआवजा प्रदान करने के लिए 7 फरवरी 2024 को पाली एसडीएम द्वारा निर्देशित किया गया लेकिन राहत न मिलने पर परिजन ने राष्ट्रपति को आवेदन प्रेषित कर आत्मदाह करने की अनुमति देने की मांग की है।


दीपका परियोजना अंतर्गत ग्राम सुवाभोड़ी निवासी कुन्ती राठौर ने राष्ट्रपति के नाम प्रेषित आवेदन में बताया है कि उसके दिवंगत पति नंदकुमार पिता स्व.बरातु राम के नाम पर खसरा नंबर 316/4 रकबा 0.117 हेक्टेयर भूमि स्थित थी। दीपका क्षेत्र द्वारा 24 नवंबर 2004 को अर्जित किया गया उक्त जमीन पर नंद कुमार ने मकान बनाया था। भूमि पर निर्मित मकान, मरघट, स्थित पेड़-पौधों, परिसंपत्तियों तथा अन्य सुविधा, मुआवजा राशि दिए बगैर, बिना नोटिस व सूचना के अवैध रूप से उत्खनन किया गया है। आज दिनांक तक उक्त भूमि के संबंध में ट्रेजरी में राशि जमा नहीं किया गया। 12 अप्रैल 2020 को पति की मृत्यु उपरांत फौती नामांतरण के लिए पाली एसडीएम के समक्ष आवेदन किया गया था, जिस पर कार्यवाही करते हुए जांच-पड़ताल हेतु तहसीलदार हरदीबाजार को प्रकरण भेजा गया। प्रकरण में एसडीएम द्वारा स्व. नंद कुमार के वैध वारिस विकास, विनय, रेखा पिता स्व. नंद कुमार एवं कुन्ती राठौर को भूमि के एवज में प्राप्त होने वाली सुविधाएं एसईसीएल परियोजना से दिलाया जाना उचित होने संबंधी आदेश 29 अप्रैल 2022 को महाप्रबंधक दीपका क्षेत्र को दिया गया लेकिन आज तक परिणाम शून्य है। कुंती राठौर ने बताया कि पक्का मकान को बाउंड्रीवॉल में आंकलन कर मात्र 20 प्रतिशत मुआवजा बनाया गया है जबकि चार गुना देने का आदेश है।

आधा हिस्सा को छोडक़र उत्खनन किया गया है और आधे हिस्से पर मरघट आज भी है। आरोप है कि जब भी मुआवजा के संबंध में पूछने के लिए महाप्रबंधक कार्यालय जाते हैं तो प्रताडि़त कर अभद्र व्यवहार करते हुए भगा दिया जाता है। पुत्र विनय कुमार राठौर को फंसाने के उद्देश्य से फर्जी एफआईआर हरदीबाजार थाने में दर्ज किया गया है। पीडि़ता ने कहा है कि गरीब होने के कारण भू-विस्थापित किसान अत्याचार का शिकार हो रहे हैं और हम आत्मदाह के लिए मजबूर हो रहे हैं। राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि हमारा अधिकार नहीं दिया जा सकता है तो उसे व पूरे परिवार को आत्मदाह करने की अनुमति प्रदान की जाए।

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