SC: दागी उम्मीदवार लड़ाएं तो पार्टियां जनता को ये तीन बार बताएं

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नई दिल्ली@एजेंसी:सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को फैसला दिया कि गंभीर किस्म के अपराधों में आरोपित किसी नेता को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव लड़ रहे ऐसे नेताओं को खुद पर लगे आरोपों की मोटे अक्षरों में जानकारी देनी होगी। राजनीतिक दलों को वेबसाइट व मीडिया के माध्यम से उम्मीदवारों पर लगे आरोपों के बारे में तीन बार बताना होगा।
कोर्ट कानून नहीं बना सकता
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अदालत लक्ष्मण रेखा लांघ विधायिका के दायरे में घुसकर ऐसे उम्मीदवारों के लिए अयोग्यता तय करने का प्रावधान नहीं कर सकती जो गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। न ही हम चुनाव आयोग को ऐसा निर्देश दे सकते हैं कि वह आरोपित नेताओं को चुनाव से प्रतिबंधित करे।
उत्सुकता से कानून की प्रतीक्षा
पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार और राजनीति का अपराधीकरण लोकतंत्र की जड़ों पर चोट करता है। इस खतरे को रोकने के लिए संसद को कानून बनाना चाहिए। सरकार ऐसा कानून बनाए जिससे ऐसे अपराधी राजनीति में न प्रवेश कर सकें। हम सिफारिश करते हैं कि संसद ऐसा कठोर कानून बनाए कि राजनीतिक दल ऐसे व्यक्ति की सदस्यता समाप्त कर दें जिसके खिलाफ संज्ञेय अपराधों में आरोप तय हो गए हों। राष्ट्र संसद से इस कानून का उत्सुकता से इंतजार करेगा। भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय और पब्लिक इंटरेस्ट संगठन ने याचिका दायर कर दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी।
केंद्र का विरोध
केंद्र ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि नियम के मुताबिक, सांसदों-विधायकों के चुनाव लड़ने पर तभी रोक लगाई जा सकती है, जब वे दोषी ठहराए जा चुके हों। दोषी साबित होने तक हर कोई निर्दोष रहता है।
चार प्रमुख निर्देश
1. हर उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ शपथपत्र में अपने खिलाफ लगे आरोपों को मोटे अक्षरों में लिखना होगा
2. पार्टियों को उम्मीदवारों पर लगे आरोपों की जानकारी वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से जनता को देनी होगी
3. उम्मीदवार के नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार पार्टियों की ओर से ऐसा किया जाना चाहिए
4. जनता को यह जानने का हक कि उम्मीदवार का इतिहास कैसा है
सुप्रीम कोर्ट – लोकतंत्र में नागरिक को असहाय की तरह पेश कर भ्रष्टाचार के प्रति मौन, बहरे एवं शांत बने रहने को विवश नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे का शीघ्र हल निकाल लिया जाना चाहिए, ताकि यह लोकतंत्र के लिए घातक न बन जाए।
लोकसभा में 179 सांसदों पर मुकदमे
– 220 सांसदों पर आपराधिक मामला दर्ज, 179 लोकसभा के और 51 राज्यसभा के
– 8 सांसदों पर अपहरण का मुकदमा (पांच लोकसभा के और तीन राज्यसभा के)
– 15 सांसद भड़काऊ भाषण देने के आरोपी
– 3 सांसदों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप
36% दागी
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक शपथपत्र में बताया गया था कि देश में 1765 सांसद और विधायकों के खिलाफ 3045 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। यह सांसदों-विधायकों की कुल संख्या का 36 फीसदी है। संसद और विधानसभाओं में कानून निर्माताओं की संख्या 4896 है।
मौजूदा प्रावधान
जनप्रतिनिधित्व कानून के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार आपराधिक मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं।

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