कोरबा@M4S:ग्रामीण एवं शहरी स्लम क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा दे रहे लोगों को जनस्वास्थ्य रक्षक का प्रशिक्षण देकर या अनुभव के आधार पर चिकित्सा मित्र का दर्जा देते हुए छत्तीसगढ़ पैरामोडिकल कौंसिल में पंजीकृत करने की मांग छत्तीसगढ़ आरएमपी चिकित्सक संघ ने की है।
छत्तीसगढ़ आरएमपी चिकित्सक संघ के द्वारा पंप हाऊस के आदर्श क्लब में प्रदेश के श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन का सम्मान किया गया। इस दौरान श्री देवांगन के समक्ष संघ ने अपनी बात रखी कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांव एवं शहरी स्लम आबादी क्षेत्रों में अनुभवी चिकित्सकगण लगभग 20-30 तथा कुछ सदस्यों के द्वारा लगभग 50 वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं, जिनको शासन के द्वारा वर्तमान में झोलाछाप की श्रेणी में रखा गया है, जो कि अनुचित है।
अखण्ड मध्यप्रदेश के समय सन् 1995 से 2000 तक शासन द्वारा ट्रायसेम योजना के तहत् प्रशिक्षण देकर प्राथमिक उपचार की जानकारी एवं ईलाज करने के लिए चिकित्सा सेवा प्रमाण-पत्र दिया गया था, उक्त योजना को पुन: चालू किया जाये। सन् 2000 में छग शासन के द्वारा पैरामेडिकल कोर्स शुरु किया गया और प्रशिक्षण उपरांत छत्तीसगढ़ सह-चिकित्सकीय परिषद अधिनियम के तहत् पैरामेडिकल कार्यकर्ता के रूप में पंजीकृत करने का प्रावधान था और प्रेक्टिस करने की अनुमति थी। इन्होंने बताया कि हमारे चिकित्सक किसी न किसी बड़े अस्पतालों/चिकित्सकों के अधिनस्थ रहकर चिकित्सा सहायक के रुप में अनुभव प्राप्त किया है। पूर्व में आयुर्वेद रत्न वैद्य विशारद इलाहाबाद प्रयागराज एवं आर.एम.पी. प्रमाण-पत्र मेडिकल कॉसिल, भोपाल से मान्यता थी एवं अल्टरनेटिव पद्धति से डिग्री डिप्लोमा प्राप्त किये हैं तथा विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर प्राथमिक उपचार कर रहे हैं जिन्हें शासन द्वारा सन् 2003 के बाद अमान्य कर दिया गया है। अगर शासन स्तर पर कड़ा रुख अख्तियार किया जाता है तो लाखों परिवार पर संकट के बादल छा जायेंगे और हमारे साथ-साथ आम जानमानस पर भी प्रभाव पड़ेगा। श्री देवांगन को उक्ताशय की ज्ञापन संघ द्वारा सौंपा गया, जिस पर उन्होंने सरकार के संज्ञान में यह बात लाने के प्रति आश्वस्त किया। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष एवं संयोजक डॉ. गोपाल कुर्रे, प्रांताध्यक्ष डॉ. बीआर हिरवानी, अध्यक्ष डॉ. केएल राठौर, उपाध्यक्ष डॉ. एम एल चन्द्रा, सचिव डॉ. गणेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष डॉ. सुनील चौहान, प्रवक्ता अशोक स्वर्णकार आदि उपस्थित थे।