कोरबा@M4S:प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा अंचल में बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कराने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी के एम.डी मनोज खरे को पत्र लिखा है। प्रबंध निदेशक विद्युत वितरण को लिखे पत्र में राजस्व मंत्री ने कोरबा अंचल में विद्युत आपूर्ति की लचर व्यवस्था पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा है कि प्रदेश में कोरबा विद्युत उत्पादन का प्रमुख केन्द्र है और समूचे देश में एक तरफ कोरबा में स्थापित राज्य की विद्युत उत्पादन इकाईयों को सर्वश्रेष्ठता का खिताब मिला है तो दूसरी तरफ बिजली की कटौती के मामले में सबसे अधिक कोरबा अंचल के लोग ही पीड़ित हैं। पत्र में इस बात का जिक्र विशेष तौर पर किया गया है कि कोरबा में आए दिन किसी न किसी समस्या के चलते लम्बे समय तक बिजली कटौती होती रहती है जिससे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साथ ही अनेक लघु उत्पादन इकाईयों सहित विद्यार्थियों और आम नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करने के साथ ही बड़े पैमाने पर नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में आगे लिखा है कि वर्ष 1980 में छात्र जीवन में जब वे कोरबा के प्रथम शासकीय हायर सेकेण्ड्री स्कूल में छात्र कल्याण परिषद के अध्यक्ष थे उस समय कोरबा अंचल में की जा रही व्यापक पैमाने पर बिजली कटौती के मुद्दे को तत्कालीन मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल के चेयरमैन के समक्ष कोरबावासियों की समस्याओं को रखा था और उनके द्वारा सकारात्मक रूख अपनाते हुए आश्वस्त किया गया था कि कोरबा चूंकि राज्य में बिजली उत्पादन का प्रमुख केन्द्र है और इसके लिए कोरबावासियों को पूरा हक है कि उन्हे बिजली कटौती की परेशानियों से मुक्त रखा जाय। उन्होने विश्वास दिलाया था कि कोरबा में असामान्य परिस्थितियों को छोड़कर सामान्य तौर पर बिजली कटौती नहीं की जाएगी और कोरबावासी इस बात के साक्षी हैं कि मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल का विखण्डन होने तक कोरबा अंचल के लोग बिजली कटौती की गंभीर समस्या से अछूते रहे।
राजस्व मंत्री ने पत्र में एम.डी. डिस्ट्रीब्यूशन को आगाह करते हुए लिखा है कि कोरबा अंचल में आए दिन की जा रही बिजली कटौती से आम नागरिकों में भारी आक्रोश व्याप्त है जिसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है। पत्र में आगे लिखा गया है कि यदि कोरबा अंचल के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए शीघ्र ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं तो जनाक्रोश कभी भी विस्फोटक रूप लेकर जन आन्दोलन में परिवर्तित हो सकता है जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी स्वयं उनकी और उनके वितरण विभाग की होगी।