कोरबा@M4S: तापमान का पारा अब चढऩे लगा है, इसी के साथ ठंड का असर कम और गर्मी का एहसास होने लगा है। गर्मी बढ़ते ही बिजली की डिमांड भी बढऩे लगी है। मौजूदा समय में बिजली की डिमांड लगभग 49 मेगावाट तक पहुंच रही है। आगामी दिनों में गर्मी बढऩे के साथ ही बिजली की मांग में और बढ़ोतरी होने के आसार हैं।जिसे देखते हुए संयंत्रों प्रबंधनों ने पावर प्लांट से क्षमता अनुरूप बिजली उत्पादन की कवायद शुरू कर दी है। मांग ज्यादा रही तो पावर कट का खतरा भी बना रहेगा।
जिले में तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जाने लगी है। रविवार को बदली के कारण गर्मी का एहसास ज्यादा हुआ।अधिकतम तापमान 37 तो न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। रात में हल्की ठंड का एहसास हो रहा है। इसकी वजह से बिजली की डिमांड भी अब धीरे-धीरे बढऩे लगी है। फरवरी के अंतिम दिनों में ही बिजली की मांग 5000 मेगावाट के करीब पहुंचने लगी है। गर्मी के पिक अप्रैल-मई के दौरान डिमांड में 600 से 800 मेगावाट की और बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से क्षमता अनुरूप उत्पादन का दबाव बना हुआ है। उत्पादन कंपनी के संयंत्रों की क्षमता 2840 मेगावाट है,जबकि बांगो हाइडल प्लांट से 120 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। गर्मियों में बिजली की डिमांड पिक पर होगी तो सेंट्रल सेक्टर पर और दबाव बढ़ जाएगा। वर्तमान में बिजली की मांग 5000 मेगावाट के करीब है तो लगभग 29 मेगावाट तक बिजली सेंट्रल सेक्टर से लेनी पड़ रही है। रविवार को पिक लोड आवर में बिजली की मांग 4866 मेगावाट दर्ज की गई। जिसके मुकाबले प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 4900 मेगावाट बनी रही। बिजली की डिमांड पूरा करने 2830 मेगावाट बिजली सेंट्रल सेक्टर से ली जाती रही। वहीं राज्य उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से लगभग 2000 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन होता रहा।
मड़वा संयंत्र से हो रहा कम उत्पादन
राज्य उत्पादन कंपनी के कोरबा स्थित डीएसपीएम और एचटीपीपी संयंत्र से तो क्षमता अनुरूप बिजली उत्पादन हो रहा है, लेकिन उत्पादन कंपनी की टेंशन मड़वा संयंत्र बढ़ा रहा है। मड़वा की एक इकाई से ही लंबे समय से बिजली उत्पादन हो रहा है। दोनों इकाइयों से एक साथ बिजली उत्पादन नहीं होने के कारण वर्तमान में उत्पादन कंपनी के संयंत्रों से क्षमता अनुरूप उत्पादन नहीं हो पा रहा है। पहले तकनीकी फिर वार्षिक रखरखाव के लिए एक इकाई को लंबे समय के लिए बंद रखा गया। इसके बाद कोल क्राइसिस के कारण एक इकाई को बंद रखना पड़ रहा है। मड़वा से लगातार कम उत्पादन का क्रम जारी है। गर्मी में यही स्थिति बनी रही तो हालात मुश्किल हो सकते हैं।