राष्ट्रीय सेवा योजना चैतमा ने राहगीरों के लिए बुधवारी बाजार में पियाऊ घर का खोला 

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कोरबा@M4S:स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई चैतमा छेत्रीय निर्देशालय भोपाल, राज्य संपर्क अधिकारी डॉ नीता बाजपेयी, डॉ मनोज सिन्हा समन्वयक रासेयो अटल बिहारी वाजपेयी विश्विद्यालय बिलासपुर, जिला संगठक कोरबा प्रो वाय के तिवारी,प्राचार्य संरक्षक चंद्राणी सोम के निर्देश कार्यक्रम अधिकारी,ईको क्लब प्रभारी ब्यख्याता जीवविज्ञान वीरेंद्र कुमार बंजारे मार्गदर्शन में पियाऊ घर का निर्माण किया।
पियाऊ घर निर्माण में अतिथि राजलाल सिन्द्रम  सरपंच , इंद्रा शिव पटेल जनपद सदस्य पाली,
सुकालू प्रजापति उपसरपंच अध्यक्ष शाला विकास समिति,इंद्रा शिव पटेल जनपद सदस्य पाली,ब्यख्याता सुरेन्द्र सिंह नेटी, सुरेन्द्र प्रजापति ग्राम वासी के गरिमामय उपस्थित में पियाऊ घर का पूजा अर्चना रिबन काट कर शुभारंभ किया गया ।
स्वंय सेवक थानेश्वर, पीयूष, अश्वनी, पंकज, संदीप, अनीश, विनय महंत,ज्योति देवांगन , दीपांजलि, रश्मि, सीमाक्षी ने सहभागिता निभाई। राजलाल सिन्द्रम सरपंच ने बताया कि  ग्रीष्म ऋ तु में पानी पिलाने की व्यवस्था करना एक पुनीत और धार्मिक कार्य मानते हैं। प्रशंसा की। सुकालू प्रजापति उपसरपंच ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ-साथ सभी प्राणियों के लिए पानी की आवश्यकता भी बढ़ने लगती है। प्रायः देखा जाता है कि इस मौसम में लोग जगह-जगह पर प्यास बुझाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था करते हैं? प्याऊ द्वारा प्यास बुझाने की प्रक्रिया को भारतीय संस्कृति प्रपा दान कहती है। रास्ते में या वृक्ष के नीचे अर्थात छाया में पानी पिलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। सामर्थ्यवान व्यक्ति को चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ इन चार महीनों में जल पिलाने की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए।  सुरेन्द्र सिंह नेटी ब्यख्याता ने बताया कि जल को जीवन का पर्याय और अमृततुल्य माना गया है, सामाजिक ब्यक्तिओ को जल पिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। शास्त्रों में प्रत्येक मौसम के अनुरूप दान का अत्यंत महत्त्व बतलाया गया है, जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति भी सुखपूर्वक रह सके तथा सामाजिक विकास में सभी की भागीदारी हो सके। ग्रीष्म ऋ तु में जल देना, गरीब व्यक्तियों को घड़े का दान करना, सत्तू का दान करना अत्यंत श्रेयस्कर बताया गया है। वीरेंद्र कुमार बंजारे कार्यक्रम अधिकारी ब्यख्याता ने बताया कि  किसी को जल पिलाने के लिए अगर जल खरीदना भी पड़े तो भी उसको यथाशीघ्र जल पिलाना चाहिए।बसंत और ग्रीष्म यानी गर्मी के चार महीनों में घड़े के दान, वस्त्र का दान तथा पीने योग्य जल का जो दान एवं प्यास से व्याकुल व्यक्ति जिस क्षेत्र से होकर गुजारता हैं पास बुझाने के लिए रक्षा हेतु  प्याऊ की व्यवस्था करनी चाहिए। गर्मी के दिनों में चौक चौराहा में भी लोग जल की व्यवस्था करनी चाहिए । जल दान के इस धार्मिक महत्त्व को स्वीकार करते हुए भारत में प्याऊ की परंपरा का लंबे अरसे से चले आ रहे थे। जल संरक्षण, हमारा कर्तव्य, भविष्य के लिए एक बेहतर के लिए
जल है जीवन, इसे व्यर्थ मत जाने दो,
पानी बचाओ, धरती बचाओ, जीवन बचाओ,
जल संरक्षण से ही होगा देश का विकास ,जल-बचत, जल-संरक्षण,पियाऊ घर निर्माण सराहनीय कार्य के लिए वीरेंद्र कुमार बंजारे कार्यक्रम अधिकारी का   ग्राम पंचायत सरपंच, उपसरपंच,जनपद सदस्य,ग्राम वासियों ने प्रशंसा की।

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