भूविस्थापित बोले – 37 साल पहले ली हमारी जमीन, नौकरी अब तक नहीं दी
चेतावनी दी- सुनवाई नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन
कोरबा@M4S:साउथ ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड एसईसीएल दीपका खदान से प्रभावित भूविस्थापितों ने कहा है कि 37 साल पहले अर्जित हमारी जमीन पर खदान खुली है और कोयला उत्खनन से देश की कोयला जरूरत को पूरा कर रही है मगर उन्हें नियमानुसार हर खाते में नौकरी नहीं मिली जबकि कोल इंडिया की पुरानी भू-अर्जन नीति में हर खाते में जमीन अधिग्रहण के बदले नौकरी देने का प्रावधान था बावजूद इसके एरिया प्रबंधन ने नौकरी नहीं देना पड़े इसके लिए खाता संयोजन भी कराया इससे भी अनेक भूविस्थापित एसईसीएल में रोजगार पाने से वंचित हो गए ।
शुक्रवार को दीपका खदान प्रभावित 10 गांवों के भूविस्थापित ग्रामीणों ने एरिया मुख्यालय ज्ञापन देने पहुंचे थे एरिया के उप-कार्मिक प्रबंधक लकिता चहल को भूविस्थापित ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा है रोजगार के पुराने लंबित व खाता संयोजन से छूटे भूविस्थापित ग्रामीणों की जानकारी देते हुए नियमानुसार एसईसीएल में रोजगार की मांग की है ज्ञापन में बताया कि साल 1986 में 10 गांवों की जमीन अधिग्रहित कर दीपका खदान खोली गई इससे प्रभावित 1645 खातेदारों को एसईसीएल में रोजगार दिया जाना था प्रबंधन ने खाता संयोजन से अनेक भूविस्थापित ग्रामीणों को नौकरी से वंचित कर दिया अनेक पुराने प्रकरण पर भी नौकरी नहीं मिली है साल 1988 में भू-अर्जन नीति पर हर खातेदार को नौकरी देने का नियम था यही कारण है कि उसे समय अधिग्रहित जमीन पर पात्रता रखने वाले भूविस्थापित ग्रामीणों को रोजगार दिया जाए ज्ञापन में दीपका खदान से प्रभावित गांवों के भागीरथ यादव प्रकाश कोर्राम रामाधार यादव संदीप कंवर सागर जायसवाल बालेश्वर सिंह दिनेश यादव राम कश्यप आकाश पटेल विष्णु सिंह अहिल्याबाई कमलाबाई नरेंद्र कुमार सहित अन्य के हस्ताक्षर हैं ।
15 दिसंबर को तालाबंदी फिर 25 से खदान बंदी आंदोलन की चेतावनी
भूविस्थापित ग्रामीणों के रोजगार के लंबित पुराने प्रकरणों पर नियमानुसार कार्यवाही नहीं किए जाने पर प्रभावितों ने 15 दिसंबर को दीपका एरिया दफ्तर में तालाबंदी की चेतावनी दी है इसके बाद 25 दिसंबर से अनिश्चितकालीन खदान बंदी आंदोलन करेंगे इसके पहले दीपका क्षेत्रीय कार्यालय के सामने शांतिपूर्ण धरना देकर इस ओर प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट करा चुके हैं ।
जन्म वाले प्रकरण भी शामिल
नौकरी के लंबित पुराने प्रकरणों में अर्जन के बाद जन्म वाले प्रकरण भी शामिल है प्रभावितों की माने तो प्रशासन ने भी उत्तराधिकार अधिनियम के तहत जमीन अधिग्रहण के बाद जन्मे हुए खातेदार के आश्रित भी रोजगार के अधिकार रखते हैं ऐसे में उनकी वाजिब मांग पूरा किया जाना चाहिए भूविस्थापितों ने खाता संयोजन को एक खाता एक नौकरी के विरुद्ध बताया ।
3 महीने भेजे गए प्रपोजल पर अब तक कोई सुनवाई नहीं
भूविस्थापित ग्रामीणों ने बताया कि तीन माह पहले आमरण अनशन से प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराने पर प्रपोजल बनाकर एरिया दफ्तर से कंपनी मुख्यालय भेजा है प्रकरणों में रोजगार देने के बजाय पेंडिंग रखा है इस लेटलतीफी से भूविस्थापित ग्रामीणों में खासी नाराजगी है ।