कोरबा@M4S: दो माह पहले तक 30 से 35 रूपए किलो की दर से बिकने वाले प्याज का भाव आज आंसू निकाल रहा है और अभी चिल्हर में 55 से 60 रूपए किलो की दर पर बिक रहा है। काफी दिनों से प्याज और लहसून के रेट में कोई बदलाव नहीं आया है। व्यापारी कह रहे कि प्याज की आवक शहर में बेलगाम से होने लगी है, आने वाले दिनों में और कीमत घटने की संभावना है। अभी भी थोक में प्याज 35-38 रूपए प्रतिकिलो है जो चिल्हर में अनाप-शनाप बेचे जा रहे। इसी तरह लहसून का तड़का भी कीमत के चलते काफी महंगा हो गया और 400 रूपए किलो बिक रहा है जो आम आदमी की पहुंच से दूर है। लहसून के दाम जनवरी-फरवरी में नई आवक होने के बाद कम होने के चांसेज हैं, तब तक इसी तरह दाम बना रहेगा। अभी तक प्याज की आपूर्ति महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से होती थी जो पुराना प्याज था, अब नया प्याज बैंगलोर और बेलगाम से आने लगा है। यहां प्रतिदिन थोक सब्जी मंडी को मिलाकर सीजन के समय 400 टन प्याज की खपत होती है जो अभी बढ़ी कीमत के दौरान खपत आधी हो गई है। इस समय 250 टन प्याज की आवक हो रही है। शहर में बाजार में चार-पांच दिनों से बेलगाम और बैंगलोर से प्याज की नई फसल आने लगी है। कीमत में जल्द ही कमी आने की संभावना है।इस मौसम में प्याज का भाव हर वर्ष बढ़ा होता है और यह स्थिति अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह तक बनी रहती है। नवंबर माह में लोकल प्याज के साथ फिर से नासिक एवं अन्य शहरों से प्याज की आवक शुरू हो जाती है जससे इसका भाव भी नियंत्रित हो जाएगा।
लहसुन 400 रु. किलो पर स्थिर
लहसून की कीमत भी काफी ज्यादा है, दो माह से अधिक समय हो रहा लहसून 350 रूपए से 400 रूपए प्रतिकिलो पर स्थिर हो गया है। थोक कारोबारी कह रहे कि आने वाले जनवरी-फरवरी के महीने में लहसून की नई फसल आती है जिसके बाद ही कीमत में मंदी का दौर रहता है, तब तक बढ़े कीमत के साथ खाना पड़ेगा। यही हाल अभी टमाटर का भी है, टमाटर थोक में 50-55 रूपए किलो है और चिल्हर में 60 से 70 रूपए किलो बिक रहा है।