MUMBAI RAINS: हर साल मानसून के दौरान मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति क्यों आ जाती है? पढ़ें ये 5 बड़े कारण

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नई दिल्ली(एजेंसी):मुंबई में पिछले दो दिन से भयंकर बारिश हो रही है। मुंबई की सड़कें पानी से लबालब है। मुंबई में वेस्टर्न और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे समेत कई अन्य प्रमुख मार्गों पर भी ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। बताया जा रहा है इस बार महाराष्ट्र में समय से पहले मानसून ने एंट्री दे दी है।
मुंबई में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है हर बार मुंबई में बारिश से बाढ़ जैसे हालात क्यों बनते हैं । मुंबई एक ऐसा शहर है जो हर साल बारिश में डूबता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?
टाइड्स पर निर्भरता
मुंबई की जल निकासी प्रणाली (Mumbai drainage system) काफी हद तक टाइड्स पर निर्भर करती है, और यदि भारी बारिश और उच्च टाइड एक साथ आते हैं, तो पानी को बनाए गए पंपिंग स्टेशनों के माध्यम से बाहर निकलना पड़ता है। मुंबई की प्राकृतिक जल निकासी और पानी का प्रवाह केवल तभी काम होता है जब टाइड कम होता है।

समुद्र के पानी को शहर में एंटर करने से रोकने के लिए लॉक गेट का इस्तेमाल किया जाता है और यही कारण है कि पंप काम करने के बावजूद इसे बाहर निकालने में समय लगता है।

टॉपोग्राफी: सात द्वीपों का संग्रह

मुंबई मूल रूप से सात द्वीपों का एक संग्रह था। जमीन को दोबारा हासिल करके एक लैंड मास बनाया गया, लेकिन इससे निचले इलाकों का निर्माण हुआ जहां भारी बारिश के दौरान बारिश का पानी इकट्ठा होता है, जिसे फिर तूफानी नालों और पंपिंग स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से बाहर पंप किया जाता है।

बारिश का पैटर्न बदलना

पिछले कुछ सालों में मुंबई में बारिश के पैटर्न में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं, और इसकी वजह से पूरे मानसून जल्दी आ गया और समय से पहले ज्यादा मात्रा में बारिश हो रही है।

अब बारिश के पानी के लिए बनी नालियां, चाहे उनमें कितनी भी बेहतर व्यवस्था क्यों न हो, भारी बारिश का सामना नहीं कर पातीं।

मानसून से पहले का महत्वपूर्ण काम

मानसून का समय से पहले आना मुंबई जैसे शहर के लिए कई तरह की चुनौतियां लेकर आता है। नालियों को साफ करने और गाद निकालने का काम एक तय समय पर होता है और अधूरे काम की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि जल निकासी की व्यवस्था ठीक से काम नहीं करती।

पुराना और अधूरा ड्रेनेज सिस्टम

मुंबई के स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम जिसका अनावरण 2005 की मुंबई बाढ़ के बाद किया गया था। इसमें उस साल 1094 लोग मारे गए थे, जिसका उद्देश्य मुंबई की 19वीं सदी की जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त करना था, ये अभी भी अधूरा है। मुंबई नगर निगम ने ब्रिटिश काल के इस ड्रेनेज सिस्टम को अभी तक आधुनिक शहर के हिसाब से पूरी तरह नहीं सुधारा है। ये भी एक कारण है मुबंई में बाढ़ आने का

पिछले 10 साल में जल निकासी प्रणाली में क्षमता बढ़ाने के लिए काफी काम किए गए हैं, जिसमें तूफानी जल निकासी नालियों को चौड़ा करना और पंपिंग स्टेशन जोड़ना शामिल है।

 

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