राजस्व वनभूमि और आवासीय पट्टे में पुनर्वास नीति का लाभ देने से वंचित कर खदान विस्तार

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कलेक्टर और आदिम जाति विकास आयुक्त के आदेश के पालन करने की मांग पर एसडीएम को लिखा पत्र

पुनर्वास नीति का पालन नही कर उत्पादन पर जोर – करेंगे आंदोलन -कुलदीप

 

कोरबा@M4S:ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने छतीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति और भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 का पालन किये बगैर आदिवासियों के अधिकार का हनन किये जाने का आरोप लगाते हुये राजस्व वन भूमि और आवासीय पट्टाधारकों को पुनर्वास नियम के तहत सुविधाएं दिलाने की मांग करते हुए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कटघोरा सहित सबंधित विभागों को पत्र लिखा है ।

ऊर्जाधानी सन्गठन के अध्यक्ष श्री सपुरन कुलदीप ने अपने पत्र के संदर्भ में जानकारी देते हुये बताया है कि एसईसीएल गेवरा विस्तार परियोजना के लिए दो चरणों मे ग्राम रलिया तहसील दीपका जिला कोरबा की सम्पूर्ण भूमि का अर्जन किया है किंतु राजस्व वन भूमि और आवासीय भूमि हेतु प्राप्त पट्टा धारको को उनकी भूमि व स्थित मकानों के अर्जन करने के एवज में पुनर्वास नीतियों में निहित सुविधाओं से वंचित किये जाने की शिकायत और आवश्यक कार्यवाही की मांग किया गया है । उन्होंने बताया कि पहले चरण के अर्जन के बाद से ही इस विषय पर पूर्व में अनेको पत्राचार किये जाने के उपरान्त भी कोई कार्यवाही नहीं होने ग्रामवासियों में गहरा आक्रोश है और आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिया गया है । उन्होंने बताया कि पहले चरण में गेवरा खुली खदान के लिए रकबा 126.341 हेक्टयर राजस्व वन भूमि के गैर वानिकी प्रयोजन हेतु ग्राम रलिया की भूमि अर्जन के लिए व्यपवर्तन के लिए अनापत्ति प्रदान करने बाबत कलेक्टर कौरबा के पत्र क्र. 801/भु अ / म.अ.भू.अ. / 2015 दिनांक 29/04/2015 द्वारा सचिव छ० ग० शासन राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग को पत्र प्रेषित किया गया था जिसमे ग्राम रलिया के 49.566 हेक्टयर भूमि की गैर वानिकी प्रयोजन हेतु शर्त रखा गया था कि सीमांकन उपरान्त आवेदित भूमि पर वन अधिकार पत्र विवरण होना पाया जाता है । उक्त स्थिति में छ.ग. शासन की पुनर्वास नीति 2007 का उचित पालन एवं वन अधिकार पत्र धारियों के उचित व्यवस्थापन किये जाने की शर्त पर अनापत्ति दिया जाता है। इससे पूर्व कलेक्टर कोरबा के पत्र क्रमांक 2556/भू.अ. स.अ.भू.अ./ 2014 दिनांक 4/12/2014 द्वारा जारी प्रमाण पत्र में उल्लेखित है कि एस ई सी एल गेवरा विस्तार परियोजना हेतु ग्राम रलिया के वन भूमि व्यपवर्तन हेतु 49.566 है. राजस्व वन भूमि के मामले में वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अनुपालन में उचित कार्यवाही पूर्ण किया गया है तथा रलिया की ग्राम सभा, वन समिति की बैठक एवं पारित प्रस्ताव और वन एवं राजस्व विभाग का सयुक्त जाँच प्रतिवेदन दर्शित किया गया। और स्पष्ट किया गया है कि प्रस्तावित वन क्षेत्र में प्रदत वन अधिकार मान्यता पत्र धारकों की संख्या 41 है ,इसी तरह से ग्राम रलिया में वर्ष 2001 में राजस्व विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राजस्व शासकीय भूमि पर निर्मित भवन एवं भवन निर्माण हेतु अधिकार पत्र जारी किया गया था । किंतु इसकी जानकारी होते हुए भी राजस्व दस्तावेजो में दुरुस्तीकरण किये बिना ही अर्जन की प्रक्रिया को पूरी कर लिया गया । जिसके कारण आज जिला प्रशासन और एसईसीएल दोनों पुनर्वास लाभ देने से इनकार कर रहे हैं और प्राप्त पट्टा को रद्दी बताकर उपहास उड़ा रहे हैं ।

श्री कुलदीप ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि ऐसे ही प्रकरणों के निष्पादन हेतु पांचवी अनुसूची क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों के भूमि की सुरक्षा अधिग्रहण (व्यपवर्तन संबंधित कार्यवाही के सबंध में आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के पत्र- वन अधि. / LAAR/2024-25/4432 दिनाक- 30/07/2024 को एक आदेश पत्र जारी की गयी है ।

उन्होंने कहा है कि देश मे कोयला संकट बताकर किसानों और आदिवासियों की जमीन को जबरन हड़पा जा रहा है और भूमि अर्जन की सम्पूर्ण कार्यवाही और व्यपवर्तन की प्रक्रिया के दौरान उक्त सभी प्रकरणों का रिकार्ड दुरुस्त नहीं किया गया जिसके कारण ग्राम रलिया में शासन द्वारा प्रदत सभी पट्टाधारको के साथ अन्याय किया जा रहा है और उन्हें न तो छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति 2007 का लाभ दिया जा रहा है और न भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्व्यब्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 (LAAR) के वर्णित प्रावधानों का पालन किया जा रहा है।

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