नई दिल्ली@एजेंसी: मी टू आंदोलन के जोर पकड़ने के साथ द एशियन एज अखबार में काम कर चुकीं 17 महिला पत्रकार अपनी सहकर्मी प्रिया रमानी के समर्थन में आईं जिन्होंने केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए। उन्होंने दावा किया कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया और अन्य इसकी गवाह हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा, ”रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है। हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करती हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं।
बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुशिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीझा गजारी, मालाविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा और संजरी चटर्जी शामिल हैं। अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए सोमवार को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी।
सच्चाई है हमारा हथियार – रमानी के पति
पत्रकार प्रिया रमानी के पति और पत्रकार समर हलरनकर ने कहा कि एमजे अकबर के पास ताकतवर वकीलों की फौज है। कानूनी नोटिस में 97 वकीलों के नाम सूचीबद्ध हैं और उनकी पत्नी प्रिया रमानी के पास सिर्फ एक वकील है।
हलरनकर ने मंगलवार को लिखे एक लेख में कहा कि उनके और उनकी पत्नी के पास केंद्रीय मंत्री के ‘विशाल संसाधनों’ के सामने केवल एक महत्वपूर्ण हथियार है और वह ‘सच्चाई’ है। हलरनकर ने कहा- अकबर ने मेरी पत्नी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया है। उनका इरादा एकदम स्पष्ट है- हमें डराना-धमकाना और मुकदमे के जरिये दूसरों को भी डराना।
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