कोरबा@M4S: ऐसा प्रतीत होता है मानों भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष डॉ राजीव सिंह इन दिनों पार्टी का दफ्तर अपने क्लिनिक से ही संचालित कर रहे है। अब ऐसा क्यों कहा जा रहा है, इसके पीछे की वजहों को भी जान लीजिये।
दरअसल पिछले दिनों कोरबा भाजपा के जिला प्रमुख डॉ राजीव सिंह का एक फोटो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुआ था। इस वायरल तस्वीर में देखा गया था कि, दांत का इलाज कराने आई एक महिला मरीज को ही उन्होंने भाजपा की सदस्यता दिला दी थी। इस दौरान डॉ राजीव सिंह देते प्रसन्नचित्त मुद्रा में नजर आ रहे थे। इस फोटोके समें आने के बाद कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना लिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर बीजेपी जिलाध्यक्ष के इस हरकत पर गंभीर सवाल भी खड़े किये थे। यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि डॉ राजीव सिंह के कुछ और फोटो सामने आये है जिसपर फिर से सवाल खड़े किये जा रहे है।
मरीजों को सुनाया ‘मन की बात’
दरअसल इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर चलने वाला कार्यक्रम मन की बात का संगठनात्मक तौर पर एक बड़ा आयोजन होता है। इस आयोजन की मंशा है कि काफी संख्या में लोग एक जगह एकत्र होकर प्रधानमंत्री को सुनें और उनके मन की बात को जानें। जिला भाजपा के अध्यक्ष डॉ. राजीव सिंह प्रधानमंत्री के मन की बात को लेकर आयोजन कराने के प्रति कितना गंभीर हैं, यह तो वक्त-वक्त पर दिखता रहा है। अब सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय डॉक्टर साहब अपने क्लीनिक से ही इस तरह के महत्वपूर्ण आयोजन को संचालित कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला है जिसमें वह प्रधानमंत्री के मन की बात को सुनते हुए सेल्फी डाल रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके क्लीनिक में बैठे चार लड़के अपने मोबाइल में व्यस्त हैं। डॉक्टर साहब बताना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री के मन की बात बड़ी गंभीरता से सुनी जाती है किंतु इसकी हकीकत उन्होंने स्वयं ही बयां कर दी। जो लड़के क्लीनिक में मौजूद हैं उनका भी कोई ध्यान प्रधानमंत्री की बातों पर नहीं है। अब समझ जा सकता है कि जब संगठन के मुखिया ही इस तरह से गंभीर न हों तो अन्य पदाधिकारी का क्या हाल होगा? प्रेस विज्ञप्तियों के भरोसे संगठन को संचालित किया जाना बताया जा रहा है।
यह कोई अतिश्योक्ति नहीं कि जिले में भाजपा नेता अपने-अपने हिसाब से काम कर रहे हैं। सब के अलग-अलग नेता और समर्थक हैं। नगर निगम का चुनाव सिर पर है, पंचायत के भी चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव में तो लखन लाल देवांगन के अंडर करंट व प्रतिस्पर्धी दल में अंदरूनी कलह के कारण भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली लेकिन यह संगठन की नहीं बल्कि लखन लाल देवांगन के व्यक्तित्व और कृतित्व की जीत लोग अभी भी मान रहे हैं। दूसरी तरफ संगठन की टूट-फूट के कारण एकजुटता के अभाव में व अपनी- अपनी टेक पर चलने के कारण लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। दूसरी तरफ जिला अध्यक्ष सोशल मीडिया पर ही संगठन को एक्टिव किए हुए हैं जबकि धरातल पर हकीकत से हर कार्यकर्ता वाकिफ है।