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नरईबोध, बाम्हनपाठ, भठोरा मिट्टी कोयला फेस का कराया काम बंद
कोरबा@M4S: रोजगार, पुनर्वास, मुआवजा सहित अन्य मांगों को लेकर भू विस्थापितों ने एक बार फिर एसईसीएल के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद कर दिया है। ऊर्जाधानी भू विस्थापित किसान कल्याण समिति के नेतृत्व में किसानों ने चरणबद्ध आंदोलन का आगाज कर दिया है। जिसके तहत शनिवार को भू विस्थापितों ने सैकड़ों की संख्या में गेवरा खदान में घुसकर कामकाज ठप कर दिया। नरईबोध, बाम्हनपाठ, भठोरा मिट्टी कोयला फेस में आंदोलन से कामकाज प्रभावित रहा। विस्थापितों के आंदोलन से प्रबंधन में हडक़ंप मच गया। खदान बंदी से कोल परिवहन का काम भी ठप्प रहा।
गत दिनों ऊर्जाधानी संगठन के पदाधिकारियों ने मुख्यालय पहुंचकर सीएमडी को मांग पत्र सौंपा था। जिसमें 25 से गेवरा खदान बंदी के साथ आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। गेवरा के बाद बारी-बारी अन्य खदानों को भी बंद कराया जाएगा। साथ ही रेल व सडक़ जाम का ऐलान भी विस्थापितों ने किया है। इस संबंध में समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि कई बार बैठकों में लिए गए निर्णय और आश्वासन, जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों को पालन नहीं किया गया है7 जिसके कारण कोरबा जिले में एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा एवं कोरबा क्षेत्र के भूविस्थापित परिवार अपने अधिकार को पाने के लिए भटक रहे हैं। जिसके कारण मजबूरीवश भूविस्थापित परिवारों के 11 सूत्रीय मांंगो को आंदोलन शुुरू किया गयाा है। उनका कहना है कि वन टाइम सेटलमेंट कर रोजगार के पुराने लंबित मामलो का जल्द से जल्द निराकरण किया जाये 7 अर्जन के बाद जन्म वाले प्रकरण , एक खाता एक रोजगार नियम के विरुद्ध अलग अलग खाता का संयोजन, रोजगार से वंचितों को रोजगार प्रदान किया जाये 7 एसईसीएल में लागू कोल इण्डिया पालिसी 2012 को वापस लिया जाये और हर खाते में स्थायी रोजगार/नौकरी प्रदान किया जायेे। चूँकि वर्ष 2010 से इस पालिसी को अमल में लाने का फैसला लिया गया था, उसके पहले वर्ष 2004-2009 के अर्जन के मामलो में सभी मूल खातेदार एवं पैतृक बंटवारे से सहखातेदार को रोजगार दिया जाये। फंक्शनल डायरेक्टर्स मीटिंग के निर्णय को सरायपाली सहित सभी खदानों में लागू किया जाये 7 बसाहट के लिए 10 डिसमिल भूमि , बसाहट की एवज में 25 लाख रूपये की राशि दी जाये 7 शासन की योजनाओं से प्राप्त पट्टों /शासकीय/वन भूमि एवं भूमि पर बने मकानों का मुआवजा एवं सौ प्रतिशत सोलिशियम और बसाहट की पात्रता हेतु वर्तमान में प्रचलित नियमो में संशोधन कर समुचित लाभ दिया जाये। आंदोलनकारियों का कहना है कि रलिया , भिलाईबाजार , हरदीबाजार ,करतली सहित अन्य सभी ग्रामो में हुये आंशिक अधिग्रहण को रद्द किया जाये, गाँव का सम्पूर्ण अर्जन किया जाये। खदान बंद हो जाने अथवा अनुपयोगी होने पर पुराने अर्जित भूमि को मूल खातेदारों को वापसी करायी जाये 7 कोरबा एवं कुसमुंडा क्षेत्र में अर्जन करते समय जमीन को नियत समय के बाद मूल खातेदारों को वापस करने अथवा पुन: अर्जन की प्रक्रिया पूरा कर पुनर्वास नीति के अनुसार लाभ दिलाने की शर्तों पर जिला प्रशासन के द्वारा दखल करने का आदेश दिया था 7 कोरबा क्षेत्र में कुछ जमीन की वापसी भी किया गया है 7 वर्तमान में रा’य सरकार द्वारा कब्जाधारियों को पट्टा प्रदान किया जा रहा है जबकि बड़े पैमाने पर बाहरी लोंगो द्वारा अर्जित भूमि पर बलात कब्जा किया जा रहा है, उसपर रोक लगाते हुए मूल खातेदारों को उनकी जमीन वापस किया जाये। वर्तमान में दीपका ,कुसमुंडा गेवरा में लागू बसाहट के एवज में राशि , भूविस्थापितो को टेंडर इत्यादि सुविधाओं को कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सरईपाली परियोजना में भी प्रदान किया जाये।गेवरा क्षेत्र अंतर्गत नयी रेल परियोजना से प्रभावित परिवारों की परिसम्पतियों का मुआवजा तत्काल भुगतान किया जाये।अर्जित गाँव से विस्थापन से पूर्व उनके पुनर्वास स्थल की सर्वसुविधायुक्त व्यवस्था किया जाये 7 गेवरा क्षेत्र अंतर्गत आमगांव के भूविस्थापितो को नेहरु नगर में आबंटित पुनर्वास स्थल में सभी सुविधाएं प्रदान किया जाये। भू विस्थापितों के ब‘चों के नि : शुल्क उ‘च शिक्षा और परिवार को एसईसीएल की अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा और सहयोग प्रदान किया जाये।एसईसीएल की सीएसआर के तहत प्रभावित क्षेत्रों का समुचित विकास कार्य कराया जाना सुनिश्चित किया जाये। पुनर्वास ग्रामों में सर्वे कराया जाकर वहां पर सभी विकास कार्य किया जाये। पुनर्वास ग्रामों व प्रत्यक्ष प्रभावित गांवों में जिला खनिज न्यास मद संस्थान के नियमानुसार 60 प्रतिशत खर्च करने , शिक्षा , स्वास्थ और रोजगार सृजन के लिए सुनिश्चित करायी जाये।आउट्सोर्सिंग कंपनियों में नियोजित ठेका कामगारों को कोल इण्डिया द्वारा निर्धारित वेतन सहित समस्त सुविधाएं प्रदान किया जाये। उक्त मांगों को लेकर सुबह से ही विस्थापित खदान में प्रवेश कर गए थे। खदान में कामकाज ठप कर दिया। उनकी मांग है कि जब तक मुख्यालय से अफसर आकर उनकी मांग का निराकरण नहीं करेंगे तब तक आंदोलन जारी रहेगा।