1 जनवरी को रोजगार और जमीन वापसी की मांग को लेकर कुसमुंडा खदान बंद करेंगे भू विस्थापित

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सीएमडी कार्यालय में पुराने रोजगार प्रकरणों के निराकरण को लेकर हुई बैठक में प्रकरणों के निराकरण को लेकर गंभीरता से चर्चा नहीं होने पर बैठक का भू विस्थापितों ने किया बहिस्कार

कोरबा@M4S:एसईसीएल के कुसमुंडा,गेवरा,दीपका क्षेत्र के प्रभावित गांव के भू विस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित संगठन के नेतृत्व में लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,खमहरिया की जमीन किसानो को वापस करने एवं बसावट गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर 1 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद हड़ताल करने की घोषणा की है।

उल्लेखनीय है कि 23 दिसंबर को बिलासपुर मुख्यालय के सामने भू विस्थापितों द्वारा अर्द्धनग्न घेराव प्रदर्शन करते हुए सभी खातेदारों को रोजगार देने के साथ पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानो को वापस करने की मांग की थी एसईसीएल मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करने के बाद कार्मिक निर्देशक बिलासपुर मुख्यालय की अध्यक्षता में बैठक कर समस्याओं का समाधान का लिखित आश्वासन दिया गया था जिसके बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ।लेकिन भू विस्थापितों की समस्याओं के संबंध में हुए बैठक में भू विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीरता से पहलकदमी बिलासपुर मुख्यालय के अधिकारियों ने नहीं की फिर 1 जनवरी को होने वाले खदान बंद हड़ताल को टालने के लिए गुमराह करने की बात करते रहे जिसके बाद भू विस्थापितों की बातों को गंभीरता से नहीं सुनने पर किसान सभा और भू विस्थापितों ने बैठक का बहिष्कार करते हुए नए साल के पहले दिन 1 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद हड़ताल की घोषणा की है।

किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने अधिकारियों से साफ कहा की सभी भू विस्थापित किसानों जिनकी जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण किया है उन सभी खाते पर भू विस्थापितों को स्थाई रोजगार एसईसीएल को देना होगा। हर साल एक नौकरी देकर गुमराह करना बंद करे प्रबंधन नए साल के पहले दिन कुसमुंडा से एक भी कोयला बाहर निकलने नहीं देंगे।विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर करोड़ों लोगों को विस्थापित किया गया है अपने पुनर्वास और रोजगार के लिये भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं।विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। कोरबा जिले की विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। लगातार संघर्ष के बाद खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियां गरीबों की आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को उनसे छीन रही है।यही कारण है कि कुछ लोग मालामाल हो रहे है और अधिकांश जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

किसान सभा के नेता सुमेंद्र सिंह कंवर ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढ़ियों से खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है।

भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम,रेशम यादव ने कहा कि 1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए जमीन को अधिग्रहित किया गया है लेकिन तब से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न रोजगार दिया गया है न पुनर्वास ऐसे प्रभावितों की संख्या सैकड़ों में है। प्रत्येक खातेदार को रोजगार दिया जाए नहीं तो नए साल में संघर्ष और तेज होगा।

भू विस्थापित नेताओं ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे । गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

हड़ताल को सफल बनाने के लिए गांव गांव में बैठक आयोजित कर पर्चे वितरण कर हड़ताल को सफल बनाने की अपील की जा रही है जिसमे प्रमुख रूप से दामोदर श्याम,रेशम यादव, सुमेंद्र सिंह कंवर,जय कौशिक,दीनानाथ,पवन यादव,अनिरुद्ध,अनिल बिंझवार,रघुनंदन,कृष्ण कुमार,होरीलाल, डूमन,उमेश,उत्तम,गणेश, मानिक दास, विष्णु,मुनीराम, के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित शामिल हो रहे है।

किसान सभा और भू विस्थापित संगठन ने घोषणा की है कि भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर 1 जनवरी 2025 को जब पूरी दुनिया नए साल का जस्न बनाएगा तब भू विस्थापित कुसमुंडा खदान बंद करते हुए विस्थापन के बाद अपनी दुर्दशा को बताने के लिए उग्र आंदोलन करेंगे।

मांगे :-
1) भू विस्थापित जिनकी जमीन सन 1978 से 2004 तक अर्जन की गई उन प्रत्येक खातेदार को रोजगार संबंधित प्रक्रिया पूरी कर जल्द रोजगार प्रदान किया जाए।
2) जिन भू विस्थापितों का फाइल बिलासपुर मुख्यालय में है उन्हे तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए।
3) पूर्व में अधिग्रहित खमहरिया की जमीन मूल किसानों को वापस की जाए।
4) भैसमाखार के विस्थापित को बसावट प्रदान किया जाए।

 

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