भू विस्थापितों ने सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का फूंका पुतला

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लिखित सहमति के बाद भू-विस्थापितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की निंदा, किसान सभा ने कहा — रोजगार और पुनर्वास के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे

कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ किसान सभा ने एसईसीएल द्वारा दीपका में आयोजित सुरक्षा पखवाड़ा मना रहे स्थल के बाहर सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का पुतला फूंककर खनन प्रभावित भू-विस्थापितों के आंदोलनकारी नेताओं के खिलाफ एसईसीएल प्रबंधन द्वारा एफआईआर दर्ज करने की तीखी निंदा की है और कहा है कि आंदोलनकारी रोजगार और पुनर्वास से जुड़े अपने अधिकारों के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे और दमन की किसी भी कार्यवाही से डरने वाले नहीं है। इसके पहले भी वे लाठी और जेल का सामना कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि कल किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने एसईसीएल के कुसमुंडा कार्यालय पर कब्जा कर लिया था। देर रात एसईसीएल प्रबंधन के साथ बनी सहमति के बाद यह कब्जा खत्म हुआ। इस बीच आंदोलनकारी ग्रामीणों ने कार्यालय के अंदर बैठकर दोपहर का भोजन खाया। प्रबंधन ने कुछ भू-विस्थापितों के लंबित रोजगार प्रकरणों को तत्काल अपनी स्वीकृति दी है और अन्य प्रकरणों के लिए 29-30 जनवरी को उच्च स्तरीय वार्ता का आयोजन करने की लिखित सहमति दी है।

इस समझौते के तत्काल बाद प्रबंधन ने प्रशांत झा सहित तीन नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। प्रशांत झा के खिलाफ प्रबंधन और प्रशासन द्वारा तीसरी बार एफआईआर दर्ज करवाई गई है। इस एफआईआर के खिलाफ क्षेत्र में तीखी प्रतिक्रिया हुई है और सैकड़ों भू विस्थापितों ने दीपका में आयोजित सुरक्षा पखवाड़ा स्थल जहां सीएमडी,डीटी,सहित सभी डायरेक्टर एवं सभी क्षेत्रों के जीएम उपस्थित थे वहां पहुंचकर भू विस्थापित विरोधी और दमनकारी सीएमडी और कुसमुंडा जीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी कार्यक्रम स्थल में जाने से और पुतला दहन रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ एसईसीएल के सुरक्षा गार्ड उपस्थित थे। बड़ी संख्या में पुलिस के उपस्थिति के बावजूद भू विस्थापित सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का पुतला फूंकने में कामयाब हो गए। पुतला फूंकने के समय पुलिस और भू विस्थापितों के बीच काफी खींचतान और नोकझोंक भी हुई।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और दीपक साहू ने एसईसीएल द्वारा एफआईआर दर्ज कराने को दमनात्मक रवैया बताते हुए एसईसीएल प्रबंधन की तीखी निंदा की है और कहा है कि आंदोलनकारियों के साथ समझौता और उनके खिलाफ एफआईआर एक साथ नहीं चल सकता। इससे पता चलता है कि कोल प्रबंधन आंदोलन के बढ़ते प्रभाव से घबराया हुआ है और हर बार की तरह ही समझौते का केवल दिखावा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला प्रबंधन आम जनता को दिग्भ्रमित न करें, बल्कि आंदोलनकारियों की जायज मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही करें। कंवर ने पूछा है कि यदि आंदोलनकारियों के मुद्दे गलत हैं, तो प्रबंधन ने उनके साथ लिखित समझौता कैसे किया है?

किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि पिछले 805 दिनों से भू-विस्थापित रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी मांगों पर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। चक्का जाम से लेकर खदान बंदी तक कई उग्र आंदोलन हो चुके है और हर बार कुसमुंडा प्रबंधन ने कई मांगों को माना है, लेकिन उस पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं की। कई बार लिखित में उच्च स्तर पर बातचीत का आश्वासन दिया है, लेकिन बाद में वह मुकर गया। इसलिए अब कुसमुंडा प्रबंधन की कोई साख आम जनता और ग्रामीणों की नजर में नहीं बची है। इस क्षेत्र में अशांति के लिए केवल कोयला प्रबंधन ही जिम्मेदार है।किसान सभा नेता ने कहा कि यदि 29-30 जनवरी की वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकलता, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
पुतला दहन में गेवरा,दीपका,कुसमुंडा खदान से प्रभावित भू विस्थापित उपस्थित थे।

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