संजोग मिश्र,(प्रयागराज):कुम्भ क्षेत्र में अखाड़े सबके आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हर कोई साधु-संन्यासियों की जीवनचर्या और धार्मिक गतिविधियों के बारे में जानने को उत्सुक हैं। इन संतों की शीर्ष संस्थाएं अखाड़े हैं जिनके नियम बहुत ही सख्त हैं। बड़ा उदासीन अखाड़े में अगर कोई बड़ी गलती करता है तो उसे 80 हंडे धोने की सजा दी जाती है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन भी अपने साधु-संतों को कायदे-कानून में बांधे रखते हुए धर्म की रक्षा के साथ सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ा रहा है। रमता पंच सर्वोच्च संस्था है जो साधु, संत के बीच उत्पन्न विवादों का निपटारा कर न्यायालय का काम करता है। रमता पंच का निर्णय अखाड़े के मुख्यालय एवं 13 शाखाओं से जुड़े साधु-संत और महामंडलेश्वर के लिए अंतिम एवं सर्वमान्य होता है।
अखाड़े के श्रीमहंत महेश्वरदास बताते हैं कि उनके यहां आर्थिक दंड का तो कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन कोई गलती करता है तो सजा के रूप में उससे हंडे धुलवाएं जाते हैं। सेवाकार्य के जरिए प्रायश्चित करने का अवसर दिया जाता है। आमतौर पर 10-20 हंडे धुलवाने की सजा दी जाती है। वैसे अधिकतम 80 हंडे धुलवाने की सजा दी जा सकती है। अखाड़े के स्थानीय महंत त्रयम्बकेश्वर नासिक प्रेमानंद उदासीन बताते हैं कि यदि किसी साधु, संत या पदाधिकारी से कोई गलती होती है तो संबंधित इलाके के पदाधिकारी या श्रीमहंत निपटारा करते हैं। यदि सारे प्रयासों के बावजूद समस्या का समाधान नहीं होता तो रमता पंच के पास भेजा जाता है। रमता पंच का निर्णय सर्वमान्य होता है। रमता पंच के चारों महंत के अधिकार समान हैं और उनमें से कोई भी निर्णय देता है तो उसे पंच का आदेश माना जाता है।
हर साल होती है आमसभा की बैठक
अखाड़े की आमसभा की बैठक साल में एक बार होती है। इसमें बजट, हिसाब-किताब, आगे का खर्च, संतों व पदाधिकारियों की समस्या और व्यवहार आदि पर चर्चा होती है। दो महीना पहले अखाड़े के सचिव को बैठक के संबंध में पत्र भेजा जाता है जिसके बाद सचिव सारी व्यवस्था करते हैं। बैठक कहीं भी हो सकती है।
समस्या होने पर संत बिछाते हैं कंबल
प्रयागराज। अखाड़े के किसी साधु संत को समस्या होने पर कंबल बिछाने की परंपरा है। पीड़ित साधु कंबल बिछाकर वरिष्ठजनों से अनुरोध करता है कि ‘महाराज जी कंबल बिछा दिया आप विचार करो’। इसके बाद संबंधित साधु की समस्या को सुनते हुए निराकरण किया जाता है।