KORBA:कोरबा और कटघोरा में कमल पर जनता ने जताया भरोसा,रामपुर से पंजा और पाली तानाखार में चली आरी

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कोरबा@M4S:रविवार को सामने आए जनता के फैसले ने जिले के चारों विधानसभा सीटों पर इस बार समीकरण बदल दिया है। कांगे्रस के गढ़ कहे जाने वाले हाई प्रोफाइल कोरबा सीट पर पहली बार भाजपा को जीत मिली है। राजस्व मंत्री व तीन बार के विधायक जयसिंह अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन ने परास्त किया है। कटघोरा के कांगे्रस विधायक पुरुषोत्तम कंवर भी अपनी सीट बचा पाने में कामयाब नहीं रहे। भाजपा प्रत्याशी प्रेमचंद पटेल ने यह सीट उनसे छीन लिया। रामपुर विधानसभा सीट पर मौजूदा भाजपा के विधायक ननकीराम कंवर की विधायकी चली गई है। कांगे्रस के फूल सिंह राठिया ने रामपुर में कमल को मुरझा दिया है। पाली तानाखार सीट को भी कांगे्रस को गंवाना पड़ा है। गोंगपा ने कांगे्रस प्रत्याशी दिलेश्वरी सिदार को कांटे की टक्कर में अंतिम चरण के काउंटिंग में मात दी है। रविवार को आईटी कालेज झगरहा में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच चारों विधानसभा रामपुर, कोरबा, कटघोरा और पाली तानाखार के वोटों की गिनती की गई। सबसे पहले डाक और सेवा मतपत्रों की गिनती हुई। इसके बाद चारों विधानसभा के लिए लगाए गए 14-14 टेबल में ईवीएम में कैद वोटों की गिनती की गई। सबसे अधिक पाली तानाखार में 300 मतदान केन्द्र हैं। यहां 22 राउंड में गिनती पूरी हुई और सबसे अंत में परिणाम सामने आया। रामपुर में 284 मतदान केन्द्र के ईवीएम मशीनों के वोटों की गिनती 21 राउंड में पूरी हुई। कोरबा के 243 मतदान केन्द्रों के ईवीएम मशीनों के वोटों की गिनती 18 चरण में पूरा हुआ। सबसे पहले कोरबा सीट का रूझान और परिणाम दोनों आए। कटघोरा के 253 मतदान केन्द्रों में मतदाताओं द्वारा डाले गए वोटों की गिनती 19 चरण में पूरी हुई। मतदान केन्द्र में तीन लेयर में सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

25629 वोटों से जीते लखन
हाई प्रोफाइल कोरबा सीट पर सत्ता विरोधी लहर ऐसी चली कि राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल भी कांगे्रस का किला बचा नहीं पाए। भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन ने जयसिंह अग्रवाल को 25 हजार 629 वोटों से हराकर चौथी बार विधायक बनने का सपना तोड़ दिया। शुरुआत से इस सीट पर भाजपा का दबदबा बना रहा। जो अंत तक कायम रहा और कांगे्रस को इस सीट पर बड़ी हार झेलनी पड़ी है। अब तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोरबा सीट पर अजेय रही थी। 18 चरणों में पूरी हुई गिनती में 14वें राउंड में ही कांगे्रस बढ़त बनाने में कामयाब रही थी। इसके अलावा 17 राउंड ऐसे रहे जिसमें भाजपा ने ही लीड बनाए रखी थी।

रामपुर में विधायक ननकी को करना पड़ा हार का सामना
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा केवल रामपुर विधानसभा सीट ही जीत पाई थी। बाकी अन्य तीन सीटों पर कांगे्रस ने जीत हासिल की थी। जब इस बार प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को पार कर गई तो ननकीराम कंवर हार गए। उन्हें कांग्र्रेस प्रत्याशी फूल सिंह राठिया ने 22 हजार 859 वोटों से हराया है। गत विधानसभा चुनाव में जनता कांगे्रस छत्तीसगढ़ से चुनाव लड़कर फूलसिंह राठिया ने ननकीराम कंवर को कड़ी टक्कर देते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था। इस बार उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए कांगे्रस ने फूलसिंह राठिया को श्यामलाल कंवर पर तरजीह दी थी। जिसका कांगे्रस को फायदा हुआ है। ननकीराम कंवर ने 70 हजार 788 वोट हासिल किए तो इसके मुकाबले फूलसिंह राठिया 93 हजार 647 वोट हासिल करते हुए भाजपा से यह सीट अपने नाम कर ली है। इस बार कांगे्रस की झोली में गया यही एक मात्र सीट है। इस सीट पर भाजपा कांगे्रस को बारी बारी जनता मौका देती रही है यह क्रम भी इस बार बना रहा।

नए चेहरे प्रेमचंद ने कटघोरा में खिलाया कमल
पिछले चुनाव में कटघोरा विधानसभा सीट कांगे्रस के कब्जे में थी। सीट पर मौजूदा विधायक पुरुषोत्तम कंवर को पार्टी ने पुन: टिकट दिया था। उनके सामने भाजपा ने नए चेहरे प्रेमचंद पटेल को उतारा था। भाजपा का यह दांव भी सही पड़ा। प्रेमचंद पटेल विधायक पुरुषोत्तम कंवर पर भारी पड़ गए। प्रेमचंद पटेल ने 73 हजार 680 वोट हासिल किए। जबकि पुरुषोत्तम कंवर 56हजार 780 वोट हासिल कर 16 हजार 900 वोटों से कांगे्रस सीट गंवा बैठे।

पाली-तानाखार में चरण दर चरण बदलता रहा रूझान
पाली तानाखार सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में कांगे्रस जीती थी। पार्टी ने मौजूदा विधायक मोहित राम केरकेट्टा की टिकट काटकर दुलेश्वरी सिदार को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। वहीं इस सीट पर एक बार फिर कांगे्रस बनाम गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के बीच ही मुख्य मुकाबला देखने को मिला। कांटे की टक्कर में अंत में गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी ने 715 वोटों के अंतर से कांगे्रस के कब्जे से यह सीट अपने हवाले कर ली। कांगे्रस प्रत्याशी दुलेश्वरी को जहां 59हजार 892 वोट मिले तो गोंगपा प्रत्याशी तुलेश्वर मरकाम को 60 हजार 607 वोट मिले। इस तरह 715 वोटों के मामूली अंतर से हार जीत का फैसला तय हुआ। इस सीट पर चरण दर चरण हार जीत और रूझान का समीकरण बदलता रहा। पहले शुरुआती चरण में कांगे्रस का दबदबा रहा। चौथे चरण से 13वें चरण तक गोंगपा फिर आगे हुई। 14वें चरण के बाद कांगे्रस प्रत्याशी लगातार आगे रही, लेकिन अंतिम चरण में हुए मतगणना में परिणाम बदल गया।

फिर भाजपा को तीसरे पायदान पर करना पड़ा संतोष
पाली तानाखार सीट पर सत्ता बदली जरूर है मगर एक चीज जो नहीं बदली वह है भाजपा की तकदीर। इस सीट पर एक बार फिर भाजपा को तीसरे पायदान पर संतोष करना पड़ा है। शुरुआती चरण से लेकर अंतिम 22वें राउंड तक भाजपा प्रत्याशी रामदयाल उइके तीसरे नंबर पर ही रहे। अब तक हुए तीन चुनाव में भी भाजपा लगातार तीसरी पार्टी ही बनती रही है।

वीवी पैट मिलान से हुआ फैसला
पाली तानाखार सीट पर हार जीत का फैसला वीवी पैट के मिलान से हुआ। अंतिम 22वें चरण में कांगे्रस प्रत्याशी व समर्थकों ने ईवीएम मशीन को लेकर आपत्ति की जिस पर मतदान केन्द्र क्रमांक 76 में पडेÞ वोटो की गिनती वीवी पैट से की गई। इसमें 162 वोट कांगे्रस और 339 वोट गोंगपा को मिले। जिसके कारण इस सीट पर परिणाम आने में भी काफी विलंब हुआ। वीवी पैट मिलान में काफी देर लगा। अधिकृत परिणाम आते आते रात 8 बज चुके थे।


लखन के लिए फिर शुभ हुए चावलानी, विकास और नवरंग ने भी जमाया रंग
कोरबा विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन के चुनाव संचालक अशोक चावलानी लखन के लिए एक बार फिर शुभ साबित हुए। दरअसल राजस्व मंत्री ने चुनाव के दौरान कटाक्ष किया था कि चावलानी जब-जब संचालक बनते हैं तो कांग्रेस को फायदा मिलता है। इस बार भाजपा ने जिस तरह से संगठित होकर चुनाव लड़ा। अशोक चावलानी समेत पूरा संगठन जमीनी स्तर पर जुटा रहा। इसी का फायदा भाजपा को मिला। इसके अलावा युवा भाजपा नेता विकास महतो और अमित नवरंग लाल को भी पार्टी संगठन ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। विकास महतो ने जहां प्रचार के अंतिम दिनों में हवा भाजपा की ओर मोड़ने का काम किया तो अमित नवरंगलाल ने अपनी रणनीति से कोरबा में भाजपा का रंग जमा दिया।

सत्ता विरोधी लहर राजस्व मंत्री को पड़ी भारी
प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर चली और कांगे्रस को सत्ता गंवानी पड़ी। यह लहर कांगे्रस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल पर भी भारी पड़ी। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले जयसिंह अग्रवाल ने जब दो बार भाजपा की सरकार बनी तब भी जीते थे। कांगे्रस की सरकार बनी तो गत चुनाव में भी जीत का क्रम जारी रहा, लेकिन इस बार एंटी इनकंबेसी का शिकार उन्हें होना पड़ा है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि जयसिंह अग्रवाल कई बार अपने ही सरकार के खिलाफ जाकर प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त लहजा भी दिखा चुके थे। शहर विकास के विभिन्न मुद्दों पर मुखर रहने के बाद भी जयसिंह अग्रवाल को सीट खोनी पड़ी है।

जन बल की हुई जीत: लखन
कोरबा सीट से चुनाव जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन ने कहा कि यह चुनाव धन बल और जन बल के बीच था। अंतत: जन बल की जीत हुई। कोरबा में लखन लाल देवांगन ने नहीं बल्कि पूरी जनता ने चुनाव लड़ा। जनता ही चुनाव जीती है। इसके लिए मैं जनता का आभारी हूं। भाजपा के रह एक कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने यह जीत हासिल की है।

जनता की हुई जीत: फूलसिंह
रामपुर के विजयी कांगे्रस प्रत्याशी फूलसिंह राठिया ने कहा कि क्षेत्र की जनता मौजूदा विधायक से खफा थी। विकास कार्य नहीं होने से नाराज जनता ने उन्हें नकार दिया है। यह जीत कांगे्रस और फूल सिंह नहीं बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र के जनता की जीत है। इसके लिए मैं जनता को धन्यवाद देता हंू।

जनता जनार्दन का मिला आशीर्वाद : प्रेमचंद पटेल
कटघोरा सीट के विजयी प्रत्याशी प्रेमचंद पटेल ने कहा कि जनता जनार्दन का आशीर्वाद मिला है। यह मेरी नहीं बल्कि क्षेत्र के हर एक मतदाता, कार्यकर्ता, समर्थक और पदाधिकारियों की जीत है। मेरी जीत का श्रेय चुनाव संचालन करने वालों को देता हूं। पार्टी ने जो घोषणा की उसे अमल में लाया जाएगा।

कांगे्रस को जनता ने नकारा: तुलेश्वर
पाली-तानाखार के गोंगपा के विजयी प्रत्याशी तुलेश्वर मरकाम ने कहा कि क्षेत्र में लगातार कांगे्रस के विधायक जीतते रहे, लेकिन क्षेत्र का विकास नहीं किया। जिसे लेकर जनता ने कांगे्रस को नकारा है। मैं क्षेत्र की जनता की भावनाओं और जन अपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों को संपादित कराने हमेशा तत्पर रहूंगा।

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