KORBA NEWS:प्रश्न पत्र में निजी कोचिंग संस्थान का प्रचार, नियमों के विपरीत हो रहा काम, विभाग नहीं गंभीर

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कोरबा@M4S:निजी स्कूलों में भारी भरकम फीस देकर बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों को ट्यूशन के नाम पर भी हर माह मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। यही वजह है कि कोचिंग संस्थानों की बाढ़ आ गई है। प्रतिद्वंदिता के इस दौर में प्रचार-प्रसार के लिए नियमों को ही ताक पर रख दिया जा रहा है। सीबीएसई निजी स्कूल में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है।
कोचिंग संस्थानों द्वारा विभिन्न परीक्षाओं के नाम पर सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों एवं अन्य स्कूलों में परीक्षा आयोजित कर खुलेआम अपने संस्थान का प्रश्न पत्र में ही प्रचार- प्रसार किया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि यह सीबीएसई के नियम एवं शासन के नियमों के विपरीत है। इस प्रकार से स्कूल के माध्यम से विभिन्न निजी कोचिंग संस्थानों द्वारा अपने संस्थानों का व्यापक प्रचार-प्रसार प्रश्न पत्र में ही किया जा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। इसमें प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत होने की पूरी संभावना है। नाम ना उजागर करने की शर्त पर अभिभावकों ने बताया कि पिछले दिनों आयोजित ओलंपियाड परीक्षा में इस तरह का छपा प्रश्न पत्र हल करने के लिए विद्यार्थियों को स्कूल की ओर से दिया गया था। सवाल तक तो सब ठीक लेकिन प्रश्न पत्र के नीचे और अंतिम पृष्ठ पर मौजूद प्रचार सामग्री पर अभिभावकों की आपत्ति है। निजी और महंगे कुछ कोचिंग संस्थानों के द्वारा इस तरह से प्रश्न पत्र के जरिये स्कूलों में घुसकर प्रचार कतई उचित नहीं है और स्कूल प्रबंधनों को भी इससे दूरी बनानी चाहिए। स्कूल में अपने कोचिंग ट्यूशन सेंटरका प्रचार इस तरह से कभी भी सामने नहीं आया लेकिन जो परंपरा शुरू की गई है, वह अनुचित कही जा रही है। इससे अभिभावकों में रोष भी है।इनका कहना है कि इस प्रकार से गरीब एवं मध्यम वर्ग के छात्रोंके मध्य गंभीर मानसिक, समाजिक एवं आर्थिक दरार पैदा किया जा रहा है। प्रश्न पत्र में निजी कोचिंग का नाम और प्रचार लिखने के बाद बच्चों में अच्छे नंबर लाने के लिए इसी कोचिंग संस्थान से ट्यूशन करने की इच्छा जागना स्वाभाविक बात होगी। आपस में भी विद्यार्थी चर्चा करेंगे। मध्यम व गरीब वर्ग के बच्चों के लिए ऐसे महंगे कोचिंग संस्थानों में ट्यूशन लेना संभव नहीं होगा और कहीं-कहीं उनमें हीन भावना भी आएगी।

कोरोना ने बिगाड़ी आर्थिक स्थिति
वैसे भी कोरोना काल में कई पालकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। ऐसे में कई सम्पन्न छात्र-छात्राएं इन कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेते हैं तो अन्य विपन्न विद्यार्थियों के मन में हीन भावना जागृत होती है। इस प्रकार खुलेआम शैक्षणिक संस्थानों में इन कोचिंग संस्थानों के द्वारा प्रश्न पत्र के जरिये व्यापक प्रचार-प्रसार कर डेटाबेस संग्रहण कर छात्रों से सीधे संपर्क किए जाते हैं। उन्हें विभिन्न प्रकार से प्रलोभन दिया जाता है जिससे छात्रों द्वारा अपने माता-पिता से इनको स्थानों में जाने के लिये मानसिक दबाव बनाया जाता है। इस प्रकार इन कोचिंग संस्थानों का व्यवसाय फल-फूल रहा है जबकि आम नागरिक महंगाई, भ्रष्टाचार, आर्थिक समस्याओं से त्रस्त व ग्रस्त है। ऐसी स्थिति में इन कोचिंग संस्थानों का सीधे स्कूल में प्रवेश कर अपना व्यवसाय स्थापित किया जाना सुनियोजित साजिश की ओर इशारा कर रही है।

विभाग को दिखानी होगी गंभीरता
निजी संस्थानों पर सीबीएसई नियमों के अधीन कड़ी कार्यवाही की अपेक्षा अभिभावकों ने प्रशासन से की है ताकि छात्र-छात्राओं का मानसिक शोषण हीन भावना को आने से रोका जा सके। जहां शासन द्वारा कम खर्चे पर शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा तब ऐसे कोचिंग संस्थानों का प्रश्न पत्र के जरिये स्कूलों में प्रवेश को तत्काल रोकने की आवश्यकता है। स्कूल के बाहर उनके व्यवसाय पर अभिभावकों को आपत्ति नहीं है लेकिन स्कूल के भीतर जाकर व्यवसाय चलाना स्वीकार नहीं। जिले के शिक्षा विभाग को इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए।

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