40 रूपए तक में बेच रहे , किसानों को उठाना पड़ेगा नुकसान, नहीं हो रही जांच
कोरबा@M4S:धान खरीदी के लिए भले ही प्रशासन तमाम तैयारियां कर रही पर बारदानों की कमी की वजह से आने वाले दिनों में किसानों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। शासन ने 18 रूपये में किसानों से बारदाना खरीदने का एलान किया है। सवाल यह है कि आखिर किसानों के बारदाने कहां से आएंगे। बारदाने के कारोबार से जुड़े व्यापारी इस मौके का फायदा उठाते हुए 40 रूपये में बोरा बेचने लगे हैं। इससे यह तय हो गया है कि किसानों को 20 से 22 रूपये प्रति बोरे में नुकसान उठाना पड़ेगा। धान के कारोबार से जुड़े बिचौलियों ने गोदामों बारदानों को पहले से ही सहेज कर रख लिया है। बीते वर्ष धान खरीदी शुरू होने के पखवाड़े भर पहले ही छापामार कार्रवाई शुरू कर दी गई थी लेकिन इस बार कहीं भी निरीक्षण नहीं किया गया। उल्लेखनीय कि शासन द्वारा प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदी की जाती है, शेष धान को किसानों के राइस मिलर्स के पास ही बेचते हैं, ऐसे में थोक खरीदी के लिए मिलर्स ने भी अपने हिस्से का बारदाना पहले से ही तय कर रखा है। इधर रकबा कम होने की शिकायत भी शुरू हो गई है। ऐसे में किसानों को मिलर्स के पास धान बेचना पड़ेगा।
धान खरीदी की शुरूआत को दो दिन शेष रह गए है। प्रशासन की ओर तैयारियां पूर्ण करने का दावा भले ही किया जा रहा है कि लेकिन पुराने बारदानों में शत प्रतिशत खरीदी ने प्रबंधकों की चिंता बढ़ा दी है। जिला विपणन विभाग ने 15 लाख क्विंटल धान खरीदी का अनुमान लगाया है। जिसके लिए 37 लाख 50 हजार बारदानों की जरूरत होगी। जिला विपणन विभाग ने दो माह के भीतर 14 लाख पुराने बारदानों संग्रहण किया है, जो पर्याप्त नहीं है। 25 फीसदी धान खरीदी किसानों के बारदाने से करने का शासन ने पहले से ही निर्णय ले लिया है। इधर शासन की ओर बारदाने की कीमत तय होते ही बाजार व्यापारियों जूट पुराने जूट बारदानों की कीमत बढ़ा दी है। किसानों को अधिक कीमत में बारदाना खरीद कर कम कीमत में बेचना होगा। किसानों के सामने समस्या यह कि यदि वे प्लास्टिक बारदानें में लेकर धान बेचने जाएंगे तो उन्हे उपार्जन केंद्र में जूट बारदाने उपलब्ध होने तका इंतजार करना होगा। इंतजार की आशंका से बचने के लिए किसान जूट बारदानों कीमत अधिक होने के बाद भी खरीद रहे हैं। धान खरीदी के लिए पंजीयन के आंकड़े इस बार चौकाने वाले आए हैं। बीते वर्षों तक दो से तीन हजार किसानों की ही बढ़त होती थी, लेकिन इस बार सीधे 5631 किसानों की बढ़त ने प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। किसानों को धान के बदले दीगर फसल लेने के लिए प्रेरित करने के बावजूद धान बेचने वालों की संख्या बढ़ी है। किसानों की माने तो भले ही शासन ने दलहन और तिलहन की बोआई पर जोर दिया है लेकिन इस उपज को बजार में खपाने के लिए व्यवस्था नहीं गई है। धान बिक्री के एवज में किसानों को नकद के साथ बोनस राशि भी मिलती है। यही वजह है कि धान बेचने वाले किसानों की संख्या में बढ़त हुई है। जिस संख्या में किसानों ने पंजीन कराया है, उससे जिले में 15 लाख क्विंटल से भी अधिक खरीदी की संभावना है। बीते वर्ष 49378.78 हेक्टेयर पंजीकृत रकबा में 11 लाख 90 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। पंजीयन के बाद धान खरीदी का अनुमान तो लग गया है, लेकिन बारदानों की कमी को लेकर प्रबंधक अभी से चिंतित नजर आ रहे हैं।
KORBA:धान खरीदी से पहले शुरू हुई बारदानों की कालाबाजारी
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