नई दिल्ली(एजेंसी):इनकम टैक्स ने आईटीआर फॉर्म 1 और 4 टैक्सपेयर्स के लिए जारी कर दिए हैं। अब सभी का ध्यान इन आईटीआर फाइलिंग पर है। इस बीच अब खबर आ रही है कि फॉर्म-16 से जुड़ा भी बड़ा बदलाव हो सकता है।
क्या होगा फॉर्म-16 में चेंज?
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इनकम टैक्स विभाग ने आईटीआर फाइल को आसान बनाने के लिए फॉर्म-16 में बदलाव किए हैं। अब टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करते वक्त टैक्स डिडक्शन और अलाउंस की जानकारी आसानी से समझ आ जाएगी।इसके साथ ही टैक्सपेयर्स को ये समझने में आसानी होगी कि सैलरी में कितना टैक्स लगेगा और क्या डिडक्शन है। जिससे कोई भी कन्फ्यूजन नहीं होगी।
क्या होता है फॉर्म-16?
कंपनी या इम्प्लॉयर द्वारा फॉर्म-16 जारी किया जाता है। इसमें कर्मचारी के टैक्स से जुड़ी जानकारी शामिल होती है। इस फॉर्म के जरिए कर्मचारियों को ये समझना आसान हो जाता है कि उनकी सालाना सैलरी में कितना टैक्स लगेगा। इसके साथ ही उनकी इनकम टैक्स फ्री या नहीं।
30 अप्रैल को जारी हुई आईटीआर-1 और आईटीआर-4
30 अप्रैल यानी कल इनकम टैक्स विभाग द्वारा आईटीआर-1 और आईटीआर-4 फॉर्म जारी किया गया है। मौजूदा समय में आईटीआर फाइल करने के लिए आईटीआर-1, आईटीआर-2, आईटीआर-3 और आईटीआर-4 फॉर्म उपलब्ध हैं। इनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से सही फॉर्म का चयन कर सकते हैं।
फॉर्म-16 का कहां-कहां होता है इस्तेमाल?
देश से बाहर जाने के लिए पहले विजा के लिए अप्लाई करना पड़ता है। विजा अप्लाई करते वक्त आपसे इनकम प्रूफ मांगा जाता है। इसके लिए आप फॉर्म-16 का उपयोग कर सकते हैं। फॉर्म-16 एक तरह से इनकम प्रूफ की तरह काम करती है।लोन अप्लाई करते वक्त भी बैंक आपसे इनकम प्रूफ मांगती है। इनकम प्रूफ देख बैंक आवेदनकर्ता की उधार चुकाने की क्षमता का जांच करती है। यहां भी फॉर्म-16 का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते वक्त भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
जब आप एक कंपनी से दूसरी कंपनी जाते हैं, तो आपसे इनकम प्रूफ के लिए पे स्लिप मांगा जाता है। लेकिन अगर आपकी पुरानी कंपनी पे स्लिप देने से माना कर देती है, तो आप फॉर्म-16 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
वहीं इसका मुख्य काम टैक्स फाइल से जुड़ा होता है। टैक्सपेयर्स के पास ओल्ड टैक्स रिजीम और नई टैक्स रिजीम के बीच चयन का विकल्प होता है। वहीं आप जब चाहे अपना टैक्स रिजीम चेंज कर सकते हैं।