खामोशी के साथ थम जाएगा 2,000 के नोट का सफर? अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर क्या होगा इसका असर जाने 

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नई दिल्ली (एजेंसी): आरबीआई की ओर से 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया है। आम जनता 30 सितंबर तक इसे बैंक से बदल सकती है। आइए जानते हैं इसका शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। (जागरण ग्राफिक्स) भारत सरकार की ओर से 2016 में नोटबंदी के बाद जोरशोर से 2000 रुपये का नया नोट जारी किया गया था। सरकार ने इस नोट को जारी करने के पीछे तर्क दिया था कि इससे नोटो की छपाई जल्दी हो पाएगी और पुरानी करेंसी को नई करेंसी से आसानी से बदला जा सकेगा। इसी का परिणाम था कि मार्चइस नोट को लेकर उस समय कई तरह के दावे किए जा रहे थे कि कालाधन रोकने और एक ही जगह धन जमा न हो इसके लिए सरकार ने इसमें जीपीएस चिप भी लगाया है। लेकिन समय के साथ ये साफ हो गया है कि इसमें चिप नहीं है। 2017 तक देश में चलने वाली 89 प्रतिशत करेंसी 2000 के नोट की थी।
चलन से बाहर हुआ 2000 का नोट

 

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर कर दिया है। साथ ही केंद्रीय बैंक द्वारा बताया गया है कि पब्लिक 23 मई से 30 सितंबर तक अपने पास मौजूद 2000 रुपये के नोटों को बैंक जाकर बदल सकती है। हालांकि, एक बार अधिकतम 20,000 रुपये या 10 नोट ही बदले जा सकते हैं।

कुल करेंसी 11 प्रतिशत ही 2000 का नोट

 

आरबीआई की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि 31 मार्च, 2018 तक देश में 6.73 लाख करोड़ रुपये के दो हजार के नोट चलन में थे, जो कि इसका सबसे उच्चतम स्तर था। 31 मार्च, 2023 तक देश में 3.62 लाख करोड़ रुपये के नोट ही चलन में थे, जो देश की कुल करेंसी का 10.8 प्रतिशत था।

2000 करेंसी का क्या होगा इसका असर?

 

जानकारों का मनाना है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ खास असर नहीं होगा, क्योंकि लोग पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में डिजिटल पेमेंट का उपयोग करने लगे हैं। वहीं, कुछ इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मान रहे हैं क्योंकि 2,000 के नोट का इस्तेमाल कालाधन छुपाने के लिए किया जाता था। इसे बंद करने से अधिक पैसा बाजार में आएगा और शेयर बाजार को भी इसका फायदा हो सकता है।

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