कोरबा@M4S:भारत राष्ट्र, भारतीय संविधान एवं मानवाधिकारों के रक्षार्थ बनाए गए राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत का घटक संगठन मूलनिवासी मुक्ति मोर्चा है।इसके द्वारा कोरबा लोकसभा क्षेत्र के लोकसभा चुनाव 2024 में मोर्चा समर्थित प्रत्याशी क्रांति कुमार साव का निर्वाचन फार्म भरने में विलंब होने के कारण भारत के संविधानिक मूल्यों का लगातार हनन करने वाली भाजपा के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना चरणदास महंत को समर्थन देना पड़ा।कोरबा लोकसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा की राष्ट्रीय प्रभावशाली नेत्री सरोज पांडे के खड़े हो जाने से बेहद चुनौतीपूर्ण हो चुका था ऐसे में देखा गया कि कई कांग्रेस के कार्यकर्ता तो छोड़ो कई स्थानीय नेता तक प्रचार में खड़े नहीं होते थे। भाजपा का हर छोटा बड़ा नेता 400पार का नारा देकर कोरबा में 4 लाख रिकार्ड वोटो से जितने की बातें करता दिखाई पड़ता था।किंतु जब हमने इस चुनाव को अहंकारी भाजपा के खिलाफ भारत के संविधानिक और बुनियादी मानवीय मूल्यों को लेकर संविधान वादी जनता के बीच एक आक्रामक लड़ाई का आवाहन किया तब माहौल में बिखरी ताकतों के आशा की किरणे फैलने लगी।कांग्रेसी नेताओं को भी लगा कि एकजुटता में भलाई है। माहौल बदलने लगा और एक बड़ी रणनीति के तहत कोरबा विधान सभा क्षेत्र में ज्यादा ना दिखने पर और ग्रामीण अंचलों पर जोर दिया गया।जिसका परिणाम संतोषजनक रहा।हालाकि मेरे कोरबा सीट पर ज्यादा समय देने के कारण पूरे छत्तीसगढ़ की 10 और मध्यप्रदेश में भाजपा ने जीत हासिल कर लिया इस बात का हमें बेहद अपसोस है।कोरबा के 2023 के विधान सभा चुनाव में जिस तरह कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा के प्रत्याशी लखन लाल देवांगन को कमजोर समझकर अति विश्वास में कोरबा सिट गवा दिए थे ठीक इस बार के लोकसभा चुनाव में ज्योत्सना महंत को कमजोर समझने की गलती भाजपा नेताओं ने की उसका हमने रणनीतिक फायदा उठाया।निश्चित ही कांग्रेस नेत्री ज्योत्सना महंत की पहली ही सभा में जब मैने उन्हे निडर होकर दहाड़ते देखा तो समझ गए कि ये शेरनी कोरबा जितने के लिए सही साबित होगी।उनके पति नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने ईमानदारी से इस आंदोलन में गंभीरता और निडरता का परिचय दिया।कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप जायसवाल, एल्डर मैन एवं कांग्रेस नेता सनत दीवान,जिला संयुक्त महासचिव महेंद्र थवाईत ,कलाकार थिरमनदास महंत एवं उनकी संगीत पार्टी के कलाकारों के साथ कई कांग्रेस नेताओं को विशेष शुक्रिया अदा जरूर करना चाहूंगा कि उन्होंने भारत के संविधान की रक्षा आंदोलन को अपने चुनाव की मुख्य धारा के साथ जोड़ने का काम किया।
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत के सकड़ों राजनैतिक एवं सामाजिक संगठन मोदी सरकार के 2024 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के एक साल बाद 2015 से ही भारत राष्ट्र और संविधान विरोधी भाजपा हटाओ भारत बचाओ राष्ट्रव्यापी अभियान में लग चुके थे जिसमे हमने 26/11/2016 को संसद भवन सड़क दिल्ली जंतर मंतर पर भारत के इतिहास में पहली बार संविधान दिवस पर धरना प्रदर्शन किए। इसके बाद पूरे भारत वर्ष के भारत राष्ट्र,भारत का संविधान और मानव अधिकारों में रोजगार एवं बुनियादी सुविधाओं की गारंटी को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के लिए लगातार हजारों सभाएं,और आंदोलन करते रहे।बड़े सामाजिक नेताओं और संगठनों को भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए इन मुद्दों को प्रमुख मुद्दे बनाने के लिए अपीले,मुलाकातें की गई जिसका परिणाम आज सारे भारत देश की बड़ी विपक्षी कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी और यू पी ए के संगठनों ने अपने गठबंधन का नाम ही इंडिया रख दिया और भारत के संविधान की रक्षा को प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दा बनाने से एक आक्रामक प्रचार किया गया जिसका परिणाम पूरे भारत वर्ष में आज एक मजबूत विपक्ष के रूप में इंडिया गठबंधन के रूप में दिखाई पड़ता है।2024 का चुनाव भाजपा के खिलाफ देश की जनता के लिए हमने जीवन मरण और लोकतंत्र की आजादी का माहौल बनाया गया। इसमें निश्चित ही कई वर्षों से तपस्वियों की तरह काम करने वाले प्रशिक्षित केडर ,साम्यवादी, अंबेडकरवादी ,मूलनिवासी, समाजवादी, बहुजनवादी सामाजिक राजनैतिक संगठनों ने जिस तरह आनन फानन में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष साथ दिया उसका एक संतोष जनक परिणाम आज हमे भारत की राजनीति में दिखाई पड़ रहा है।हमारे द्वारा बेहद संघर्षकरी आंदोलनों का निश्चित ही बेहद मेहनत करने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ,सपा के अखिलेश ,महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इंडिया गठबंधन को मिलता दिखाई पड़ रहा है।हमारे इस अभियान का फायदा सबसे ज्यादा बसपा नात्री मायावती एवं वंचित अघाडी के प्रकाश अंबेडकर को मिल सकता था।आज ये नेता यदि एन .डी. ए. या इंडिया गठबंधन में भी ना रहते कोई बात नहीं किंतु मिलकर देश भरे में अपने ही बहुजन मूलनिवासी समाज के हजारों संगठनों को भी थोड़ा सा भी जोड़ने का प्रयास भी करते तो आज ये देश की सर्वोच्च सत्ता के बड़े दावेदार होते।जो भी हो अब देश की जागरूक संविधानवादी जनता ने बता दिया कि अब लोग जाने अंजाने में साजिश खोर,कायर और धोखेबाज नेताओं और पार्टियों के भरोसे नहीं रहेंगे। कांशीराम जी ने कहा था कि जबतक मूलनिवासी बहुजन समाज मजबूत नहीं होता हमे किसी भी सरकार को मजबूत नहीं बनने देना चाहिए।हम अपने महान नेताओ के आदर्शों पर हजारों टुकड़ों में बाटे गए भारतवासी समाज को फौज की टुकड़ियों के रूप में जोड़ने में लगे हैं। हमारे त्यागमई संघर्ष को लोग अब मान्यता दे रहे हैं।आज राष्ट्रीय स्तर पर इस संघर्ष में हमारे साथ लगे हुए नेताओं में विशेष रूप से नागपुर महाराष्ट्र से हमारे ओ बी सी नेता एवं संयुक्त मोर्चा भारत के राष्ट्रीय महासचिव एड रमेश पिशे ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अनिल नागबौद्ध,राष्ट्रीय प्रवक्ता प्राध्यापक जावेद पासा,आदिवासी धर्म परिषद नेता एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विश्वनाथ वाकडे ,महिला नेत्री डॉ ममता मुन,केंद्रीय सचिव क्रांति कुमार साव,मध्यप्रदेश अध्यक्ष हाजी शोएब खान,हाल ही में जुड़े राष्ट्रीय उपाध्यज एड शकीर् कुरेशी, छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष एन टी पी सी पूर्व महाप्रबंधक शिवकुमार केशकर,राष्ट्रीय सचिव यू पी प्रभारी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संदीप कुमार, राष्ट्रीय सलाहकार संजय रामटेक,राष्ट्रीय सचिव सुनील बौद्ध,महिला नेत्री माया जामबुलकर ,ओ बी सी बहुजन महासंघ के नेता पूर्व सांसद डॉ खुशाल बोपचे,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ . छबिलाल रात्रे के साथ हजारों राष्ट्रीय नेताओं एवं लाखों कार्यकर्ताओं को तहे दिल से हम धन्यवाद करते हुए समस्त संविधान वादी ,लोकतंत्र वादी ,मानवता वादी जनता का शुक्रिया अदा करते हैं।हमारी अगली रणनीति जो भी सरकार बने भारत राष्ट्र ,भारतीय संविधान और मानव अधिकारों की रक्षा करने वाली हो। हम ई. वी. एम. से बनी प्रतेक सरकार को नैतिकता के आधार पर सही नहीं मानते फिर भी देश में भाजपा को सरकार बनाने का मेंडेट मिला है तो हर हाल मे वह सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर स्थापित हो। ऐसा ना होने पर हम जनता की संविधान वादी सरकार बनाने के लिए आंदोलनात्मक कार्यवाही करेंगे।सभी भारतवासी मूलनिवासी समाज से विनम्र अपील है कि वो भारत के संवैधानिक मूल्यों पर देश की एकता ,अखंडता और मानवता की रक्षा के लिए अपना अधिकाधिक समय ,धन और हुनर का दान इस महान जनांदोलन को कामयाब बनाने के लिए देकर अपनी एकता और जागरूकता का परिचय देवें।
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में “भाजपा का अंत ज्योत्सना महंत” के नारे को संविधानवादी जनता ने कामयाब किया:गोपाल ऋषिकर भारती
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