कोरबा@M4S:जिले में होली का उत्साह चरम पर है, रंग-बिरंगी पिचकारियां बाजार में सज चुकी है और हर कोई रंगों में सराबोर होने के लिए बेताब हैं। लेकिन इस उत्साह के साथ एक चिंता भी जुड़ी है, रंगों के रासायनिक दुष्प्रभाव से त्वचा को बचाने की। अगर आप भी इस चिंता से परेशान हैं, तो अब निश्चिंत हो जाइए।कोरबा की महिला सहायता समूह आपके लिए एक शानदार विकल्प लेकर आई है। महिलाएं प्राकृतिक और हर्बल रंग के साथ गुलाल बना रही हैं।
ये महिला समूह घरेलू चीजों का इस्तेमाल कर ऐसे रंग बना रही है, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि आपकी त्वचा के लिए भी सुरक्षित हैं।महिलाएं इन रंगों को बनाने में पलाश के फूल, गुलाब, गेंदा, चुकंदर, गाजर, नीम, अमरूद के पत्ते और पालक जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर रही हैं। गुलाल का बेस मैदा, चावल का आटा और अरारोट पाउडर से तैयार किया जा रहा है। खुशबू के लिए चंदन पाउडर और इत्र का भी प्रयोग किया जा रहा है, जिससे ये रंग और भी आकर्षक बन रहे हैं। इन महिला समितियों का लक्ष्य है कि लोगों को पर्यावरण के अनुकूल और स्वास्थ्यवर्धक होली मनाने के लिए प्रेरित करना। रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से त्वचा में एलर्जी, खुजली और अन्य समस्याएं हो सकती है. वहीं, हर्बल रंग त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी तरह का नुकसान होने का खतरा नहीं रहता। यह पहल न केवल होली के त्योहार को और भी रंगीन बनाएगी, बल्कि यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। इन महिला समूहों की मेहनत से अब कोरबा के लोग बिना किसी डर के होली के रंगों में सराबोर हो सकेंगे तो इस होली, हानिकारक रासायनिक रंगों को अलविदा कह कर और प्राकृतिक रंगों को अपनाएं। कोरबा की महिला सहायता समूहों द्वारा बनाए गए हर्बल रंग बाजार में उपलब्ध है। इनसे होली मनाएं और अपनी त्वचा को सुरक्षित रखें. यह पहल न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छी है, बल्कि यह स्थानीय महिला उद्यमियों को भी सशक्त बनाने में मदद करती है।
हर्बल रंग और गुलाल से मनेगी होली, चेहरे की चमक भी रहेगी बरकरार महिलाएं बना रही हैं हर्बल रंग और गुलाल

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