कोरबा@M4S:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नवगठित बांकीमोंगरा नगर पालिका परिषद की कमेटी के वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दिया है। हाई कोर्ट ने नगर पालिका के गठन के औचित्य पर ही सवाल उठाते हुए कहा है कि जब पालिका का गठन हुआ ही नहीं और इसका नोटिफिकेशन तक जारी नहीं हुआ तो फिर यह कमेटी कैसे काम करेगी? कमेटी के वित्तीय अधिकार आगामी निर्णय तक रोक दिए गए हैं। यह मामला नगर पालिक निगम कोरबा से पृथक किए गए ८ वार्डों में से ५ वार्ड के पार्षदों पवन कुमार गुप्ता, अजय प्रसाद, शाहिद कुजूर , कौशिल्या व राजकुमारी के द्वारा हाईकोर्ट, बिलासपुर में अपने अधिवक्ता जूही जायसवाल के माध्यम से लाया गया।
विभिन्न बिंदुओं पर उठाये गए तथ्यों में बताया गया कि नगर पालिक निगम द्वारा वर्ष २०२३ में अधिसूचना जारी कर अपने आठ वार्डो को नगर निगम से अलग कर दिया गया। बांकीमोगरा के नाम से नया नगर पालिका परिषद गठन का कोई भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था। छग म्युनिसिपालिटी एक्ट १९६१ की धारा ५ के तहत बांकीमोगरा को नगर पालिका परिषद गठन किये जाने के संबंध में नोटिफिकेशन प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी किया जाना चाहिए किंतु इस तरह का कोई भी नोटिफिकेशन राज्यपाल के द्वारा जारी नहीं कराया गया और बिना किसी नोटिफिकेशन के ही पालिका का गठन कर उसे संचालित करने के लिए समिति भी बना दी गई।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किए गए इस निर्देश और २७ जून २०२४ को गठित की गई संचालन समिति के विरुद्ध उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर की गई। न्यायाधीश सचिन सिंह राजपूत ने बांकी मोगरा नगर पालिका परिषद गठन के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर जवाब मांगा किंतु राज्य सरकार राजपत्र में प्रकाशन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कर सकी और जवाब के लिए समय मांगा गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा कि जब तक कोई जवाब नहीं मिलता अथवा कोई निर्णय नहीं आ जाता, तब तक गठित कमेटी के वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाई जानी चाहिए। न्यायाधीश ने उक्त याचिका के प्रकाश में समिति के वित्तीय अधिकार पर आगामी आदेश तक रोक लगा दिया है/कमेटी कोई वित्तीय निर्णय नहीं ले सकेगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ शासन, बांकीमोगरा नगर पालिका के सीएमओ, नगर पालिक निगम आयुक्त एवं पालिका संचालन समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सभी ९ सदस्यों को भी नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
वित्तीय घपले की थी आशंका नगर निगम चुनाव के वक्त जबकि इसकी तैयारी में सरकार लगी हुई है, तब इस तरह का आदेश और वित्तीय अधिकार पर रोक लगाने से खलबली मच गई है। वित्तीय अधिकार मिलने से नगर पालिका परिषद क्षेत्र में घपले की बड़ी संभावना बनी हुई थी, जो अब नहीं हो सकेगी,ऐसा याचिकाकर्ताओं का मानना है।