यदि आदिवासियों के जंगल-जमीन की लूट और दमन नही रुका तो समाज सड़कों पर आएगा l
रायपुर@M4S: आज होटल सुधा में मीडिया के साथ संवाद करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज अरविंद्र नेताम ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी अधिकारों को दरकिनार कर खनन कंपनियों के इशारे पर सरकारें कार्य कर रही है l
पिछले 10 वर्षो से अधिक समय से हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत आन्दोलन कर रहे हैं लेकिन उन्हें न्याय नही दिया जा रहा है l आखिर ऐसी कौन सी मज़बूरी है सरकार की, सब कुछ जानते हुए भी जंगल- जमीन के विनाश का आदेश दे रहे हैं?
एक तरफ विधानसभा में प्रस्ताव होता है कि हसदेव के कोल ब्लॉक निरस्त किये जाये दूसरी और जंगल कटाई के आदेश जारी हो रहे है l सभी अध्ययन में ये कहा गया है कि हसदेव में खनन से साल के प्राकृतिक जंगल, जैव विविधता का विनाश होगा l हसदेव नदी और बांगो बांध का अस्तित्व संकट में आ जायेगा फिर भी वही से कोयला निकालना ये कौन सी जिद है l नदी, पहाड़, जंगल सब कुछ तबाह करके हम कौन सा विकास करना चाहते हैं?
आज जलवायु परिवर्तन का संकट भयानक रूप से दुनिया के सामने है जो अब धरती पर जीवन के बचे रहने का संकट बनते जा रहा है l इस स्थिति से बचने के लिए हमारे सामने एक ही रास्ता है प्रकृति के साथ सामंजस्य का l हसदेव साल का प्राकृतिक जंगल जिसे कभी भी प्लांटेशन के माध्यम से तैयार नही किया जा सकता है l यह जंगल छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि पूरे मध्यभारत का फेफड़ा है जो हमे आक्सीजन देता है l यही जंगल देश के मानसून के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनके विनाश से देश में गंभीर संकट पैदा होगाl
ये संवैधानिक व्यवस्था है कि पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण ग्रामसभा की सहमती बिना नही होगा l यही बात भारत सरकार ने यूनाइटेड नेशन में भी कही है फिर परसा कोल ब्लॉक में साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर की जमीन बिना ग्रामसभा सहमती के अधिग्रहित कैसे हो रही हैl
राज्यपाल ने वर्ष 2021 में मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव की जाँच की जाये l आज तक न तो निष्पक्ष जांच हुई और न ही खनन गतिविधि को आगे बढ़ाने की कार्यवाही रोकी गई l इस संबंध में विस्तृत चर्चा मुख्यमंत्री से भी हो चुकि है l हमे अभी भी उम्मीद है कि वो हसदेव सहित प्रदेश के आदिवासियों के साथ न्याय करेंगे l