GOODNEWS:कृष्णा हॉस्पिटल में रूपेश को मिला नया जीवन

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कोरबा@M4S:”जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय ।” यह महज़ एक कहावत नहीं, इसे सच साबित कर दिखाया कृष्णा हॉस्पिटल के डॉक्टर्स एवं टीम ने । जिन्होंने अपने अथक प्रयास से एक बच्चे का गंभीर ऑपरेशन तो किया ही,साथ ही उसकी जान बचाने में में भी सफल हुए ।
नोनबिर्रा निवासी नौ वर्षीय बालक रूपेश को पेड़ से गिरने के कारण अत्यन्त गंभीर अवस्था में उसके माता-पिता ने जैसे-तैसे अपने साधन द्वारा कोसाबाड़ी स्थित कृष्णा हॉस्पिटल ले कर पहुँचे। बच्चे को लगातार खून की उल्टियां हो रही थी व साँस लेने में तकलीफ होने के साथ ही हाथ पैर भी अकड़ रहे थे और अर्ध बेहोशी की हालत में था ।
हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम ने परीक्षण उपरांत बच्चे की गंभीर स्थिति को देख फ़ौरन सीटी स्केन कराया। जिसमे बच्चे के सिर में गंभीर चोट होने के कारण खून का थक्का जमा होने एवं सिर के हड्डी का टूटना पाया। हालात को देख फ़ौरन उसे वेंटिलेटर के सहारे रखा गया।और उसके जल्द से जल्द ऑपरेशन के लिए परिजनों को बताया।ऑपरेशन का नाम सुनते ही परिजन काफी घबरा गए।क्यूंकि इसके लिए न तो तत्काल उनके पास पैसों का प्रबंध था और न ही इस तरह की अचानक आने वाली मुसीबत से उनका कभी सामना हुआ था। डॉ. विशाल उपाध्याय द्वारा उन्हें पैसों की चिंता न करने की समझाईश व आश्वासन दिए जाने के बाद परिजनों ने इसकी सहमति दी।

– किया गया डिकम्प्रेसिव क्रेनियिटॉमी ऑपरेशन-
डॉक्टरों की टीम ने तत्परतापूर्वक बच्चे का डिकम्प्रेसिव क्रेनियोटॉमी ऑपरेशन (ब्रेन की सर्जरी) किया । ऑपरेशन के बाद भी परिजनों को बच्चे के बच पाने की आस बिल्कुल नहीं थी।परंतु डॉक्टरों के अथक प्रयास से बच्चे में धीरे-धीरे सुधार दिखने लगा और 5 – 6 दिन बाद बच्चे ने आँख खोलना शुरू किया । 8 – 10 दिन बाद बच्चे का वेंटिलेटर सपोर्ट पूरी तरह से हटा लिया गया।फिर बच्चे ने खाना पीना प्रारम्भ किया । डॉक्टरों की टीम और नर्सिंग स्टॉफ के लगातार अथक प्रयास से बच्चे ने आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा होना शुरू किया और कुछ ही दिनों में बिना सहारे के स्वतः ही चलने-फिरने लगा।साथ ही सभी बातों को समझ कर बातें भी करने लगा।बच्चे के स्वास्थ में सुधार की स्थिति को देख कुछ जरुरी दवाईयां देकर हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।
एक तरफ जहाँ गाँव के भोले-भाले माता-पिता को अपने इकलौते बच्चे के बच पाने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी,वहीं कृष्णा हॉस्पिटल के डॉक्टर्स आज उन्हें किसी फ़रिश्ते से कम नहीं लग रहे।जिन्होंने रूपेश को नया जीवन तो दिया ही साथ ही उनकी गोद सुनी होने से बचा लिया ।
गौरतलब है,कि इस तरह के ऑपरेशन अब कोरबा जिले में होने से यहाँ के लोगों को लाभ मिलेगा और वे परेशानियों से बच सकेंगे जिसके लिए कभी बड़े शहरों में जाने को मजबूर होना पड़ता था ।

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