कोरबा@M4S:परशुराम नगर की जमीन की खरीद फरोख्त के मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। फर्जी जमीन को बेचने के मामले में प्रोफेसर तिवारी व उनकी पत्नी को तीन साल सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया है। जानकारी के अनुसार मामला 2013 का है। 2013 में जगदीश मिश्रा ने सुरेश तिवारी से जमीन खरीदा था। जमीन का जब नामांतरण करने पहुंचे तो फर्जीवाड़ा का पता चला। रकम देकर जमीन नहीं मिलने पर जगदीश मिश्रा ने श्री तिवारी को जमीन दिलाने का अनुनय किया, लेकिन उन्हें नही मिला। तब जाकर 2020 में न्याय की गुहार लगाते हुए कोर्ट की शरण में चले गए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दंपति को तीन साल की सजा सुनाई है।
प्रकरण में शासन की ओर से जिला लोक अभियोजक एसके मिश्रा ने पैरवी की। 10 जुलाई 2020 को लिखित शिकायत पत्र मानिकपुर पुलिस सहायता केंद्र( थाना- कोतवाली) में प्रार्थी जगदीश मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया। वह मित्र मंडल कॉलोनी, साकेत विहार पटना, जिला-पटना (बिहार), हाल मुकाम ए-104, स्वर्ण रेसीडेंसी, सीपत रोड राजकिशोर नगर बिलासपुर (छ.ग.) का निवासी है। उसका छोटा भाई मदन मिश्रा, पिता स्व. रघुनाथ मिश्रा, एसईसीएल दीपका में जनरल मैंनेजर के पद पर वर्ष 2012-14 के बीच कार्यरत था तथा स्वयं वह अंडर सेकेट्ररी बिहार सरकार की नौकरी से सेवानिवृत्त हो गया है। सेवानिवृत्त होने के पश्चात् प्राप्त राशियों के सदुपयोग हेतु उसे एक भूमि क्रय करने की आवश्यकता थी। अरूण त्रिपाठी एसईसीएल में दीपका गेवरा क्षेत्र में ठेकेदारी करते थे, उन्होंने उसके भाई मदन मिश्रा को बताया कि दादरखुर्द निवासी सुरेशचंद तिवारी अपनी भूमि का विक्रय कर रहे हैं। जिस पर वह और उसका छोटा भाई मदन मिश्रा, अरूण त्रिपाठी के साथ सुरेशचंद तिवारी के घर पहुंचे। तब सुरेश तिवारी ने बताया कि उनकी एक भूमि, जो उनकी पत्नी सुधा तिवारी के नाम पर है और ग्राम दादरखुर्द में स्थित है, जिसका खसरा नंबर पूर्व 529/3/क/2, नया खसरा नंबर 905/2 है, में से 12 डिसमिल भूमि को विक्रय करना चाहते हैं, उसके बाद सुरेश तिवारी ने जमीन दिखाई और पसंद आने पर सौदा कर 16 लाख 50 हजार रुपये का लेन-देन कर जमीन रजिस्ट्री करा दी गई। नामान्तरण के दौरान पता चला कि उक्त जमीन तो इनके नाम पर है ही नहीं, व धोखा हुआ है। पीडि़त ने जब अपने रुपए वापस मांगे तो उसके साथ मारपीट करते हुए धमकी भी दी गई। पीडि़त द्वारा षड्यंत्रपूर्वक ठगी करने की शिकायत दर्ज कराई जिस पर सुरेशचंद्र तिवारी व श्रीमती सुधा तिवारी पर धारा 420, 120 बी के तहत जुर्म दर्ज कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचाराधीन मामले में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी सत्यानंद प्रसाद ने दोषसिद्ध पाते हुए दण्डादेश पारित किया। आरोपीगण सुरेश चन्द्र तिवारी एवं सुधा तिवारी को धारा 420 भा.दं.सं. के अंतर्गत 03-03 वर्ष के कठोर कारावास और 10,000-10,000/- रूपये के अर्थदंड से तथा धारा 120बी भा.दं.सं. के अंतर्गत 03-03 वर्ष के कठोर कारावास और 10,000- 10,000/-रूपये के अर्थदंड से दण्डित किया गया है।
3 माह में देना होगा 25 लाख 50 हजार रुपये
न्यायाधीश ने दण्डादेश में लेख किया है कि आरोपीगण के कृत्य के कारण प्रार्थी जगदीश मिश्रा को अत्याधिक हानि उठानी पड़ी है। प्रार्थी के द्वारा 15,00,000 रूपये जैसे बड़ी राशि वर्ष 2013 में तथा 1,50,000 रूपये कुल 16,50,000 रूपये आरोपीगण को दिया गया है। आरोपीगण को सजा होने के पश्चात् भी प्रार्थी को हुई हानि की भरपाई नहीं होती है। अत: धारा 357 दं.प्र.सं. के अंतर्गत यह न्यायालय आरोपीगण को आदेश देती है कि आरोपीगण 16,50,000 रूपये तथा वर्ष 2016 से उस पर 6 प्रतिशत का साधारण ब्याज सहित कुल 25,50,000 रूपये निर्णय दिनांक से 03 माह के भीतर अदा करेंगे। आरोपीगण द्वारा उक्त प्रतिकर की राशि का भुगतान नहीं किये जाने पर उसकी वसूली जुर्माने की वसूली की तरह की जायेगी।