लोक अदालत का सार ना जीत ना हार: 2024 के तीसरे हाइब्रिड नेशनल लोक अदालत का हुआ आयोजन 9096 प्रकरणों का हुआ निराकरण

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कोरबा@M4S:राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर दिनांक 21 सितम्बर 2024 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन  सत्येंद्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्षता में किया गया। उक्त अवसर में प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश  गरिमा शर्मा, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार चतुर्वेदी, अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.) कोरबा  ज्योति अग्रवाल,  मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा कु0 सीमा चंद्रा, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक कोरबा के अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश, प्रतिक्षा अग्रवाल, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश,  सत्यानंद प्रसाद, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा, कु. डिम्पल, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग दो  मंजीत जांगडे, रिचा यादव,  गणेश कुलदीप अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा, दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में उपस्थित थे। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में कुल 15704 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 3423 एवं प्री-लिटिगेशन के 12281 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 9096 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।

निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का किया निरीक्षण

आज लोक अदालत में कोर्ट परिसर में आमजनों को स्वास्थ्य लाभ पहुँचाने हेतु लगाए गए   निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का भी आयोजन किया तथा मान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश  के द्वारा आमजनों को दी जाने वाली स्वास्थ्य जांच की विस्तृत जानकारी ली।

तालुका स्तर में भी किया गया लोक अदालत का आयोजन राजीनामा आधार पर किया गया प्रकरण का निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली व छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशाानुसार एवं श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में दिनांक 21 सितम्बर 2024 को व्यवहार न्यायालय कटघोरा में नेशलन लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय कटघोरा में कुल 07 खण्डपीड क्रियाशील रहा। उक्त खण्डपीठों में विभिन्न

 

राजीनामा योग्य दांडिक एवं सिविल प्रकृति के लगभग 800  एवं  बैंक वसूली (प्री-लिटिगेशन) के लगभग 1100 प्रकरण सुनवाई हेतु रखा गया।
खण्डपीठ क्र0-01 ( मधु तिवारी) प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश 12 प्रकरण, खण्डपीठ क्र0-02 ( जितेन्द्र कुमार सिंह) द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश में 11 प्रकरण, खण्डपीठ क्र0-03 (पंकज दिक्षित) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी में 23 प्रकरण, खण्डपीठ 4. क्र0-04 (कु.रूपल अग्रवाल) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी 74 प्रकरण, खण्डपीठ क्र0-05 (कु.मयूरा गुप्ता) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी 186 प्रकरण, खण्डपीठ क्र0-06 (राहुल शर्मा) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी 181 प्रकरण खण्डपीठ क्र0-07 (सिद्धार्थ आनंद सोनी) न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी 14 प्रकरण कुल 501 प्रकरणों का अपसी सुलह समझौते एवं बिना किसी डर दबाव से निराकरण किया गया।

सक्सेस स्टोरी

 लोक अदालत ने माता-पुत्र विवाद को किया समाप्त, वृद्ध महिला को मिला जीने का सहारा

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने तथा जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की आवश्यकता होती है, ऐसे में वृद्ध जन जो शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके है, वे मजबूरन बुढापे में अपने बच्चों पर निर्भर करने लगते है।  भरण-पोषण हेतु गुजारा भत्ता का भुगतान न केवल कानूनी अधिकार है, बल्कि बच्चों/परिजनों पर लगाया गया एक सामाजिक और नैतिक दायित्व भी है। ऐसे ही घटना जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन था, उक्त प्ररकण में आवेदिका जो अनावेदक की वृद्ध माता है,के द्वारा मान. न्यायालय में दिए आवेदन के अनुसार सन् 2010 में अपने पति के मृत्यु के पश्चात एस.ई.सी.एल. विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदिका ने अपने अनावेदक पुत्र को नामित किया तथा अनावेदक को नौकरी मिल जाने पर आवेदिका तथा उनकी तीन पुत्रियां साथ में रहने लगे। कुछ समय पश्चात नौकरी मिल जाने के बाद अनावेदक रोज शराब पीकर गाली-गलौच एवं मारपीट करने लगा तथा समय के साथ आवेदिका के द्वारा कई बार थाने में शिकायत दर्ज की गई परंतु थाने से समझाईश दिए जाने तथा कठोर कार्यवाही नहीं किए जाने पर अनावेदक का हौसला बुलंद हो चला तथा आवेदिका को उचित भरण-पोषण नहीं देने तथा ईलाज हेतु मेडिकल कार्ड में ईलाज हेतु सहमति नहीं देना जैसे प्रताडना देकर मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगा। प्रताडना से तंग आकर आवेदिका ने घर छोड दिया तथा अपनी बहन के घर रहने लगी। जिस कारण आवेदिका ने मान. न्यायालय के समक्ष अंतर्गत धारा 144 बी.एन.एस.एस. वास्त भरण-पोषण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदक पुत्र ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगण ने 150000/- रूपये (पंद्रह हजार रूपये) बिना किसी डर-दबाव के भरण-पोषण प्रदाय किए जाने हेतु राजीनामा किया जिसे अनावेदक आवेदिका के बैंक खाते में प्रत्येक माह के 10 तारीख तक सीधे जमा किए जाने अथवा भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार बेसहारा परिवारजनों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।

 बेसहारा वृद्ध महिला को मिला न्याय, लोक अदालत बना सहारा

मान. न्यायालय प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन एक और प्रकरण में वृद्ध माता, आवेदिका ने प्रस्तुत आवेदन के अनुसार जो बुढापे तथा खराब स्वास्थ्य  के कारण कोल इंडिया स्पेशल फिमेल वालंटियर स्कीम 2014 के तहत आवेदिका ने अपने एकमात्र पुत्र अर्थात अनावेदक को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदाय किया था। उक्त स्कीम के प्रावधानों के तहत अनावेदक को आवेदिका को अपने वेतन का 50 प्रतिशत राशि प्रतिमाह भरण-पोषण हेतु दिए जाने का आश्वासन सहित शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया था। कुछ समय पश्चात अनावेदक के शादी के पश्चात से अनावेदक आवेदिका को भरण पोषण देने से मना कर दिया तथा मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताडित करने लगा, तथा सन्2022 से घर से पृथक कर दिया ऐसे में वृद्ध आवेदिका मजबूरी में अन्य रिश्तेदारों के साथ रहने में विवश हो

गई। उक्त संबंध में आवेदिका के द्वारा एस.ई.सी.एल. प्रबंधन में शिकायत दर्ज कराई गई जिसमें प्रबंधन के द्वारा आवेदिका को न्यायालयीन आदेश उक्ताशय का प्राप्त करने हेतु कहा जा रहा है, जिस कारणवश आवेदिका की ओर से माननीय न्यायालय के समक्ष अनावेदक के विरूद्ध धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। आज हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में मान. खंडपीठ के द्वारा उभयपक्ष के मध्य सुलह कराया गया, जिसके बाद उभयपक्षों ने आपसी समझौतानामा पेश कर प्रकरण समाप्त करने का अनुरोध किया। उभयपक्ष आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर अनावेदक, आवेदिका को 30000/- रूपए प्रतिमाह भरण-पोषण राशि प्रदाय किए जाने में सहमति प्रदान कर अपने प्रकरण का निराकरण किया और ऐसे एक वृद्ध महिला को अपने जीवन जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।
 
 नेशनल लोक अदालत 21 सितम्बर 2024 में 10 वर्षीय मामले के निराकरण संबंध में सफल कहानी का विवरण निम्न प्रकार से हैः
न्यायालय रूपल अग्रवाल न्याया. मजि0 प्रथम श्रेणी कटघोरा के न्यायालय में  लंबित प्रकरण क्रमांक 933/2015  पक्षकार राज्य वि0 देवनारायण वगै0 में प्रार्थी श्याम कुमार निषाद पिता रामअवतार निषाद, उम्र 32 वर्ष निवसी पसान ने आरोपीगण देवनारायण, भारत मरकाम, पन्ना लाल, संतु उर्फ संतराम एवं श्यामरतन के  विरूद्ध में वर्ष 2014 में थाना पसान में रिपोर्ट दर्ज करायी थी, कि  आरोपीगण ने उसे 6 नग नकली सोने की बट्टी को असली बताकर प्रार्थी श्याम कुमार निषाद से 4,96000/-रूपये प्राप्त कर ठगी किया है। उक्त मामले में प्रार्थी श्यामकुमार निषाद ने न्यायालय में उपस्थित होक अभियुक्तगण से राजीनामा किया। उक्त प्रकरण में अभियुक्तगण की  ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री अशोक कुमार ताम्रकार एवं अधिवक्ता  नरेन्द्र कुमार निषाद प्रयासों से भी प्रकरण में सफरलता पूर्वक राजीनामा किया गया।

 वर्ष 2012 से चल रहे श्रमिक कानून से संबंधित प्रकरण का हुआ निराकरण

नेशनल लोक अदालत दिनांक 21 सितम्बर 2024 में वर्ष 2012 से श्रमिक कानून से संबंधित मामले का कंपनी एवं श्रमिकों के मध्य राजीनामा आधार पर श्रम न्यायालय के समक्ष मान. खंडपीठ के समझाईश के द्वारा आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर निराकरण किया गया।

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