लोक अदालत का सार ना जीत ना हार:  वर्ष 2024 का द्वितीय हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन 6654 प्रकरणों का हुआ निराकरण

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कोरबा@M4S: न्यायाधिपति गौतम भादुड़ी,न्यायाधीश , छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर और कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर ने आज कोरबा में नेशनल लोक अदालत का विधिवत शुभारंभ किया।
इस अवसर पर जिला अधिवक्त संघ के अध्यक्ष गणेश कुलदीप सहित जिला मुख्यालय के समस्त न्यायाधीशगण, अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी, जिला प्रशासन के अधिकारी तथा अधिवक्तागण उपस्थित थे। नेशनल लोक अदालत के अवसर पर न्यायालय में कुल 13122 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 3357 एवं प्री-लिटिगेशन के 9765 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 6654 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के विभिन्न शाखाओं सहित पूरे न्यायालय परिसर का किया अवलोकन

निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का किया निरीक्षण

न्यायाधिपति  गौतम भादुड़ी ने जिला सत्र न्यायालय के कुटुम्ब न्यायालय, श्रम न्यायालय सहित अन्य कोर्ट रूम, लेखा अनुभाग, प्रतिलिपि अनुभाग, ज्यूडिशियल सर्विस सेंटर सहित पूरे कोर्ट परिसर का अवलोकन किया। उन्होंने कोर्ट परिसर में आमजनों को स्वास्थ्य लाभ पहुँचाने हेतु लगाए गए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का भी निरीक्षण किया एवं आमजनों को दी जाने वाली स्वास्थ्य जांच की विस्तृत जानकारी ली।

कोर्ट परिसर में पौधरोपण कर पर्यावरण सरंक्षण का दिया संदेश

इस दौरान न्यायाधिपति  गौतम भादुड़ी सहित अन्य न्यायाधीशों ने जिला सत्र न्यायालय परिसर में फलदार पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने आमजनों से वातारवण को हरा भरा बनाए रखने हेतु अधिक से अधिक पौधे लगाने एवं उनकी देखभाल करने की अपील की।

सक्सेस स्टोरी

लोक अदालत ने पति-पत्नी विवाद को किया समाप्त किया सफल कुटुम्ब के निर्माण में दिया अपना बहुमूल्य योगदान

आज के वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली है, आपसी विवाद घरेलू हिंसा तथा एक दूसरे पर विश्वास की कमी कमजोर दाम्पत्य जीवन का आधार बन रही है। ऐसे ही घटना जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, जे0एम0एफ0सी0 कोरबा में विचाराधीन था, आवेदक एवं अनावेदक का आज से लगभग 16 वर्ष पूर्व दिनांक 23.04.2008 को सामाजिक रिति-रिवाज से हिन्दू विधि के अनुसार विवाह संपन्न हुआ था। दंपति को दांपत्य जीवन के संसर्ग से दो जुडवा बच्चों की प्राप्ति हुई।


मान न्यायालय में दिए गए बयान के अनुसार अनावेदक के द्वारा आवेदिका को लगातार प्रताडित किया जा रहा था कि तू बांझ है, बच्चे पैदा नहीं कर सकती, शादी में तेरे माॅ-बाप दहेज भी बहुत कम दिए हैं, मैं दूसरी शादी करूंगा। अनावेदक आए दिन मारपीट कर घर से निकाल देता था, इतना कम दहेज लाई हो, मायके से 05 लाख रूपए ला बोल कर बलपूर्वक जबरन घर से बाहर निकाल देता था। इसप्रकार अनावेदक के द्वारा आवेदिका को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आर्थिक रूप से प्रताडित करता था, तंग आकर माननीय न्यायालय के समक्ष महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 एवं अंतरिम भरण-पोषण प्रदाय किए जाने हेतु धारा 23 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कराया गया।
लगातार 08 वर्षों से प्रकरण लंबित रहा। अनावेदक एवं आवेदिका के मध्य समझौता नहीं हो पा रहा था, ऐसे में आज दिनांक 13 जुलाई 2024 को आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में मान. खंडपीठ ने आवेदक को समझाईश दी कि अनावेदक अपनी आवेदिका पत्नी एवं नाबालिग जुडवा बच्चों को साथ रखे तथा एक खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत करे। जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपने एवं अपने कुटुम्ब के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने बेसहारा आवेदिका के प्रकरण में राजीनामा करा कर सफल कुटम्ब निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।


बेसहारा परिवार को मिला न्याय, लोक अदालत बना सहारा

घटना दिनांक 19.10.2022 को वृद्ध आवेदक का जवान पुत्र अपने मित्र के साथ सुबह सैर के लिए निकाला था। मार्ग में अनावेदक ने पिकअप वाहन लापरवाही पूर्वक चलाकर आवेदक के जवान पुत्र को ठोकर मारकर दुर्घटना में घायल कर दिया जिसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। आवेदक का जवान पुत्र घर का एकलौता कमाने वाला था। जिसकी मृत्यु हो जाने से वृद्ध आवेदक माता-पिता बेसहारा हो गए थे, अब उनका लालन-पालन करने वाला कोई सहारा नहीं रहा। जिस कारण आवेदकगण के द्वारा क्षति रकम प्राप्त करने हेतु, अनावेदक के विरूद्ध मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 के अंतर्गत मान. न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण में आवेदकगण एवं अनावेदक (बीमा कंपनी) ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदकगण ने 13,80,000/- रूपये (तेरह लाख अस्सी हजार रूपये) बिना किसी डर-दबाव के राजीनामा किया जिसे आज दिनांक से 30 दिवस के भीतर अदा किए जाने का निर्देश दिया गया इस प्रकार बेसहारा परिवारजनों को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।
वर्षों से चल रहे भूमि विवाद का हुआ निपटारा

अचल संपत्ति को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है, क्योंकि इस पैसा या जेवर की तरह चुराया नहीं जा सकता है, लेकिन, जमीन और मकान को लेकर एक खतरा हमेशा बना रहा है और वह है, कब्जे का। ऐसा ही प्रकरण जिला न्यायालय कोरबा में कई वर्षों से लंबित था। आवेदक के द्वारा 0.50 एकड़ भूमि कुदूरमाल में खरीदकर 42 डिसमिल जमीन पर पोहा मिल 2010-11 में स्थापित किया तथा शासकीय नौकरी से सेवा निवृत्ति के बाद उस पोहा मिल से अपनी आजीविका चलाते रहे परंतु सन् 2017 में आवेदक ने अनावेदकगण को लिखीत इकरारनामा निष्पादित कर पचास लाख रूपए में वाद संपत्ति का विक्रय किए जाने हेतु सौदा किया। आवेदक के द्वारा सबंधित न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान के अनुसार अनावेदक के द्वारा कुछ समय बाद धोखे से उक्त मिल में कब्जा कर लिया गया तथा कब्जा छोडने से मना किया गया। जिससे आवेदक ने अनावेदक के विरूद्ध वाद भूमि के संबंध में निष्पादित अनुबंध निरस्त होने के परिणाम रूवरूप प्रतिवादीगण का कब्जा अवैधानिक होने से आवेदकगण को अनावेदकगण से विहित समयावधि में रिक्त आधिपत्य दिलाए जाने एवं अनावेदकगण से एक लाख रूपए मासिक किराया मार्च 2018 से कब्जा प्राप्ति तक अनावेदक से दिलाए जाने हेतु प्रकरण दर्ज किया गया, जिसमें आज दिनांक 13 जुलाई 2024 को  हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए आवेदक को उनके वर्षों से लंबित प्रकरण को उभयपक्षों के आपसी रजामंदी के अनुसार अनावेदकगण के नाम पंजीयन एवं नामांतरण किए जानेे हेतु बिना किसी डर-दबाव के राजीनामा किया जाकर अपना प्रकरण निराकृत किया गया।

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