नई दिल्ली(एजेंसी):वित्त मंत्री अरुण जेटली की बजट 2016 घोषणाओं में भविष्य निधि निकासी पर टैक्स की बात सबसे ज्यादा चर्चा में आ गई है। तमाम विरोधों और विवाद के बाद राजस्व सचिव को खुद स्पष्टीकरण देना पड़ा। उन्होंने घोषणा की कि पीपीएफ निकासी पर किसी तरह का कर नहीं लगेगा। पर ईपीएफ से अगर आप पैसे निकालते हैं तो टैक्स लगेगा लेकिन वो भी मूलधन पर मिलने वाले ब्याज की राशि के 60% पर।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि ईपीएफ निकासी के समय उसके 60 प्रतिशत हिस्से को कर के दायरे में लाने के प्रस्ताव से केवल 20 प्रतिशत ऐसे कर्मचारी ही कर के दबाव में आएंगे जो उच्च वेतन पाते हैं। उन्होंने कहा कि एक अप्रैल 2016 के बाद भविष्य निधि में किए गए योगदान पर जो ब्याज जमा होगा, उस पर ही कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
अधिया ने कहा मूल राशि पर कर नहीं लगेगा और इसकी निकासी पर कर छूट बकरार रहेगी। हमने यह कहा है कि एक अप्रैल के बाद योजना पर जो ब्याज अर्जित होगा उसके 40 प्रतिशत पर कर नहीं लगेगा, शेष 60 प्रतिशत पर ही कर लगेगा। यदि इस 60 प्रतिशत का निवेश भी पेंशन एन्विटी योजनाओं में कर दिया गया तो इस पर कर छूट होगी। सचिव ने कहा, यह कोई राजस्व संग्रह का उपाय नहीं है।
अधिया ने कहा, कि पीपीएफ के किसी हिस्से पर कर नहीं लगाया गया है और 1.5 लाख रुपए तक की मौजूदा निवेश योजना पर कर छूट बरकरार रहेगी। पीपीएफ की निकासी कर दायरे से बाहर होगी।
क्या सिर्फ 70 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा असर
अधिया के अनुसार ईपीएफ में पैसा जमा करने वाले कुल 3.7 करोड़ कर्मचारियों में से सिर्फ 70 लाख ही कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारी हैं जिन पर इस नए टैक्स की मार पड़ेगी। सरकार के मुताबिक ये उच्च सैलरी पर काम करते हैं। उनके मुताबिक 3 करोड़ ऐसे कर्मचारी हैं जिनका वेतन 15000 हजार प्रतिमाह या उससे भी कम है।
बचा भी सकते हैं इस टैक्स को
अधिया ने बताया कि जबभी कोई कर्मचारी ईपीएफ खाते से अपने पैसे निकालेगा तो अगर वह अपने टैक्स योग्य राशि को दोबारा किसी वार्षिकी पेंशन स्कीम में निवेश कर देते हैं तो वह कर को बचा सकते हैं। इसके पीछे सरकार तर्क दे रही है कि वह इस माध्यम से पेंशन स्कीम या योजनाओं को बढ़ावा देना चाहती है।