कोरबा@M4S:वनांचल क्षेत्रों में हाथियों का आतंक किस कदर बढ़ गया है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है,कि गजराजों को खदेड़ने किसानों को अब अपने खेतों को आग के हवाले करना पड़ रहा है। कटघोरा वनमंडल में केंदई रेंज के पचरा गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने अपने खेत में मौजूद पलारी में आग लगा दी ताकी हाथी उनके घरों तक न पहुंच पाए। इस इलाके में करीब 30 हाथियों का दल विचरण कर रहा है।
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कोरबा में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। गजराजों के उत्पात पर लगाम लगा पाने में कोरबा का वन अमला पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। यही वजह है कि ग्रामीणों को तरह तरह के जतन कर हाथियों को खदेड़ना पड़ रहा है। कटघोरा वनमंडल के केंदई रेंज में इन दिनों 30 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। जिनके द्वारा कभी लोगोें के घरों को तोड़ दिया जाता है,तो कभी फसलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हाथियों के उत्पात से परेशान हो चुके ग्रामीणों ने अनोखा रास्ता अपनाया। ग्राम पचरा के ग्रामीण ने अपने खेत में मौजूद पराली में आग लगा दी ताकी हाथी जंगल की तरफ भाग जाए। हाथियों से बचने ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर है।
केंदई और पसान रेंज में विचरण कर रहे हाथी
कटघोरा वन मंडल के केंदई और पसान रेंज में अलग-अलग हाथियों का झुंड घूम रहा है। खेतों में अभी फसल नहीं होने से कम नुकसान हो रहा है। इसके बाद भी हाथी महुआ और धान खाने के लिए मकानों को तोड़ देते हैं।वन मंडल कोरबा में हाथियों की संख्या बढ़ी है। गुरुवार को धरमजयगढ़ वन मंडल से 21 हाथियों का झुंड कुदमुरा रेंज पहुंचने से वन अमला सतर्क हो गया है। गांवों में लोगों को भी अलर्ट किया गया। पसरखेत में 42 हाथी पहले से ही घूम रहे हैं। कटघोरा के बाद अब कोरबा में भी हाथी फिर से डेरा जमाने लगे हैं। 2 साल तक हाथी दो-चार दिन रुकने के बाद वापस लौट जाते थे। हाथियों के झुंड में बच्चे होने की वजह से ही अधिक दूरी तय नहीं कर रहे हैं। अधिकांश समय जलाशय और नदी नालों के आसपास ही घूम रहे हैं। अब हाथियों की संख्या 63 हो गई है।एसडीओ आशीष खेलवार ने बताया कि हाथी काफी शांत है। कुछ गांव में जरूर धान की फसल को नुकसान हुआ है। ग्रामीणों को सायरन के माध्यम से भी हाथियों के आने की सूचना मिल रही है। इसके तहत गांव में अलार्म ऑटोमेटिक बजने लगता है।